सपा, बसपा, आरएलडी महा गठबंधन द्वारा गोरखपुर, महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित न करने से निषाद पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश (Gorakhpur, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) ब्यूरो रिपोर्ट, 21 मार्च 2019। सपा, बसपा, आरएलडी महा गठबंधन द्वारा गोरखपुर, महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित न करने से निषाद पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष। ज्ञात हो गोरखपुर से वर्तमान सांसद ईं. प्रवीण कुमार निषाद सपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने और महराजगंज से निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामना डॉ.संजय कुमार निषाद निषाद पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने की शर्त पर सपा, बसपा, आरएलडी महा गठबंधन में शामिल होने के लिए तैयार हुए हैं, लेकिन अभी तक महा गठबंधन के द्वारा आधिकारिक तौर पर इन सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए इसकी घोषणा नहीं की है। जबकि कई अन्य सीटों पर अब घोषणा हो जाने से निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं में महागठबंधन के प्रति रोष व्याप्त हो रहा है।
     आंकड़े बताते हैं कि इस बार के लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी और निषाद वोटरों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
    इंडिया टी वी के जातीय ओपिनियन पोल ने इस सच्चाई तो पोल ही खोल दी है-
       दिनांक - 18-3-2019 को समय - 6:00 बजे सांय, इंडिया टी वी ने जातीय ओपिनियन पोल का सर्वे दिखाया। जिसको देखकर आप चकित हो जाएंगे। ओपिनियन पोल में बताया गया कि उ.प्र. गठबंधन को निषाद- 44%, यादव- 57% व जाटव (चमार) - 83% वोट देंगे। जबकि भाजपा को निषाद- 23%, यादव- 16%, व जाटव- 3% वोट देंगे। वहीं पर कांग्रेस को निषाद- 6%, यादव- 4%, जाटव - 12% वोट देंगे।
       अब यदि निषाद, यादव और जाटव का गठबंधन को पड़े मतों की संख्या पर ध्यान दें तो इसे इस प्रकार समझा जा सकता है l
   उत्तर प्रदेश में निषाद 17%, यादव 7%, जाटव 10% हैं।अब मान लें कि यूपी की कुल जनसंख्या 23 करोड़ है। जिसमें से 14 करोड़ 41लाख यानी 62.31% मतदाता हैं। 7.79 करोड़ पुरुष और 6.61 करोड़ महिलाएं मतदाता हैं। यदि 100% वोट पड़े तो इंडिया टीवी के ओपिनियन पोल के अनुसार 'गठबंधन  को निषाद 24,497,000 (2.497करोड़) व यादव 10,087,000 (1.087करोड़) वा जाटव 14,410,000 (1.410 करोड़) वोट देंगे l
    यानी गठबंधन के कुल सांसद जितने बनेंगे उनके टोटल मतों का 50% मत निषादों का ही है। जबकि सपा, बसपा को गठबंधन में निषादों को सीटें देने में आनाकानी कर रहीं हैं।
      निषाद पार्टी और आरएलडी सपा बसपा महागठबंधन के घटक दल हैं लेकिन महत्वपूर्ण बैठकों में केवल सपा और बसपा ही गुपचुप तरीके से अपनी सभा करती रही हैं, निषाद पार्टी और आरएलडी को उसमें शामिल नहीं कर रही हैं, और छपने वाली प्रचार सामग्री व झंडे बैनरों से निषाद पार्टी को नज़र अंदाज़ करना गठबंधन धर्म के साथ अभी से अन्याय ही लगता है। महा गठबंधन के सभी घटक दलों को पूर्ण विस्वास में लेकर ही चुनाव लड़ने और जीतने की रणनीति बनाई जानी चाहिए। और सभी को पूर्ण सम्मान भी मिलना चाहिए, जिससे लगे कि सब एकजुट होकर भाजपा को रोकने के लिए लगे हुए हैं।
      अब जबकि पहले चरण के नामांकन प्रारंभ हो गए हैं और दूसरे चरण के नामांकन प्रारंभ होने वाले हैं, और जब तक गोरखपुर और महराजगंज से प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हो जाती है तब तक बिना राष्ट्रीय कमेटी के लिखित आदेश के निषाद पार्टी कोई के सभी पदाधिकारियों को किसी भी अन्य दल के साथ मंच, कार्यालय व बैठक साझा करने पर पार्टी ने रोक लगा दी है। और अगर कोई पदाधिकारी इसके बाद भी इस तरह की मीटिंग में भाग लेता है तो उसके विरुद्ध अनुशासनहीनता के तहत पार्टी उचित कार्यवाही करने पर बाध्य होगी। निषाद पार्टी के इस आदेश और महागठबंधन के द्वारा महराजगंज और गोरखपुर लोकसभा सीट पर सीघ्र घोषणा नहीं होने से महागठबंधन को नुकसान हो सकता है। इसलिए इस पर तत्काल ध्यान सपा, बसपा को देना होगा।
        क्योंकि निषाद पार्टी मजबूत कैडर बेस्ड संगठन है और इसके कार्यकर्तओं में भाजपा सरकार से सीधी टक्कर लेने की एक अदालत पड़ चुकी है और पार्टी को जिताने व भाजपा को हराने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं, जिसकी बदौलत आज उत्तर प्रदेश की सभी राजनैतिक पार्टियों में एक दहसत भर गई है कि मुस्लिम वोटों के बाद दूसरे सबसे बड़े वोट बैंक और हिंदुओं में पहले वोट बैंक को लुभावने के लिए होड़ मची हुई है। इसका जीता जागता उदाहरण आज़ादी के बाद पहली बार भारत पर सबसे ज्यादा समय तक राज करने वाली पार्टी की राष्ट्रीय महा सचिव और नेहरू-गाँधी परिवार की बेटी प्रियंका गांधी 140 किलोमीटर जल यात्रा पर इस वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए गंगा में चक्कर लगाने को मजबूर हो गई है।
     आज इंडिया टीवी की ओपिनियन पोल को देखकर निषाद समाज के नेताओं और बुध्दिजीवियों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए। गजब का यह समाज है कि यह पार्टियों से एक दो सीट मांगता फिरता है, इससे ज्यादा शर्मिन्दगी की बात और क्या हो सकती है?