22 अप्रैल इलाहाबाद हाईकोर्ट में 17 जातियों के आरक्षण की सुनवाई का दिन होगा महत्वपूर्ण

अलीगढ़, उत्तर प्रदेश (Aligarh, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) ब्यूरो रिपोर्ट, 19 अप्रैल 2019। 22 अप्रैल इलाहाबाद हाईकोर्ट में 17 जातियों के आरक्षण की सुनवाई का दिन होगा महत्वपूर्ण।
      22 अप्रैल 2019 दिन सोमवार 17 अति पिछड़ी जातियों के लिए महत्वपूर्ण दिन है। माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट में आरक्षण को लेकर सुनवाई है। और उसी दिन निषाद पार्टी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य नाथ की परीक्षा की घड़ी है जो कहते हैं कि भाजपा को वोट दें। इस दिन सबका साथ सबका विकास के झूठे नारे की सार्थकता की परख होगी। जिस यूपी सरकार ने अभी तक कोर्ट में जबाब नहीं दाखिल किया और न ही कोर्ट से स्टे हटने के बावजूद प्रमाण पत्र जारी कर रही है। और यह एक तरह से माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट की अवमानना का भी केस बनताहै।  निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामना डॉ. संजय कुमार निषाद जी की भी यह अग्नि परीक्षा होगी, क्योंकि जिस भाजपा से निषाद पर्टी ने गठबंधन किया है उसके लिए पहली मांग ही यह है कि यह आरक्षण के लिए समझौता किया है और लगातार प्रचारित भी किया जा रहा है कि निषाद पार्टी ने भाजपा गठबंधन से लोकसभा में सीट से ज्यादा जरूरी निषाद आरक्षण की मांग को प्राथमिकता दी है और भाजपा नेतृत्व इस पर लिखित समझौता कर चुका है। आरक्षण के नाम पर निषाद पार्टी क्या यूपी सरकार से कोर्ट में महाधिवक्ता द्वारा जबाब दाखिल करवा पाती है।
क्योंकि 17 जातियों के आरक्षण पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के 29 मार्च 2017 के आदेश को अभी तक उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ही हवा में उड़ाती रही है और योगी आदित्यनाथ जी ही खुद अपने किये वायदे पर अभी तक झूठे ही सवित हुए हैं।     
       22 अप्रैल 2019 की इलाहाबाद हाईकोर्ट की सुनवाई पर योगी आदित्यनाथ सरकार के रुख को देख कर कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के निषाद वंश के वोट भाजपा को मिलेंगे या भयंकर विरोध में पड़ेंगे, यह निर्भर कर सकता है।
       क्योंकि भाजपा कभी भी अपने वायदे पर खरी नहीं उतरी है। यह उत्तर प्रदेश के साथ बिहार और मध्य-प्रदेश के मामले में भी देखा जा चुका है। मध्य-प्रदेश में तो 2018 की 1 जनवरी को नव वर्ष की खुशियों की जगह शिवराज सिंह चौहान जी की भाजपा सरकार ने बाकायदा मंत्रिमंडल की बैठक में माझी आरक्षण को एक तरह से खत्म ही कर दिया था और इसका खामियाजा 2018 के विधानसभा चुनाव में 50 लाख से ज्यादा माझी समाज के वोट अपने विरोध में कराकर अपनी सरकार गवां कर भुगतना पड़ा था।
     यही हाल बिहार में 2014 और 2015 में बिहार के मामले में भी रहा था। सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहानी को स्टार प्रचारक बनाकर और मोदी और अमित शाह द्वारा निषाद आरक्षण के भरोसे के साथ चुनाव जीतने के बाद निषाद आरक्षण पर धोखा दे दिया। इस धोखे से खफा होकर मुकेश सहानी ने अपनी नई पार्टी विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी बनाकर महागठबंधन के साथ 3 सीट लेकर भाजपा के विरोध में ताल ठोक रहे हैं।