17 जातियों के आरक्षण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का साथ मांगा महामना डॉ. सजंय कुमार निषाद और सांसद ईं.प्रवीण कुमार निषाद ने

नई दिल्ली (New Delhi), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) की लोकसभा टीवी से साभार रिपोर्ट, 31 जुलाई 2019। 17 जातियों के आरक्षण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का साथ मांगा महामना डॉ. सजंय कुमार निषाद और सांसद ईं.प्रवीण कुमार निषाद ने।
     आरक्षण के मुद्दे पर मंगलवार 30 जुलाई को नई दिल्ली में 12 बजकर 10 मिनट पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामना डा. संजय कुमार निषाद जी व संत कबीर नगर के सांसद ईं. प्रवीण ने मुलाकात कर पत्र सौंपा। पत्र में लिखा है-
माननीय प्रधानमंत्री महोदय
भारत सरकार नई दिल्ली
विषय:- उत्तर प्रदेश शासन ने हाईकोर्ट के आदेश 29/03/ 2017 के अनुपालन में दिनांक 24/6/2019 को मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी ने फैसला लिया है कि कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोड़िया, मांझी तथा मछुआ को पिछड़े वर्गों के बजाय अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र एवं लाभ देने का आदेश किया है का अनुपालन कराने के संबंध में।

महोदय,
           आपको अवगत कराना है कि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा दिनांक 24/06/2019 को जो अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनाने का आदेश हुआ है। उसमें 14% आबादी अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति के हकदार हैं के लिए हाईकोर्ट के आदेश 29/3/2017 को मानकर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी 153/2019/2580/26-3-219-3(15)/2007टी.सी.-1- 24/06/2019 के शासनादेशानुसार भाजपा सरकार एवं मुख्य मंत्री मा. योगी जी ने एतिहासिक फैसला लिया है कि इनको पिछड़े वर्गों के बजाय अनुसूचित जाति का लाभ एवं अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र निर्गत करने का सभी जिलों के जिलाधिकारियों को आदेश दिया है। भाजपा सरकार के इस फैसले का निषाद पार्टी के कार्यकर्ता एवं अति पिछड़ा समुदाय जोरदार स्वागत किया है।
      भारत सरकार के राजपत्र सेंसस मैनुअल 1961 के अनुसार उत्तर प्रदेश की उपजातियां अनुसूचित जाति की सूची के क्रम संख्या-18 में बेलदार, 36 में गोंड, 53 में मझवार, 59 में पासी, 65 में शिल्पकार, 66 में तुरैहा है जो कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोड़िया, मांझी तथा मछुआ उपजातियां उपरोक्त मूल संवैधानिक जातियों की पर्यायवाची हैं। क्रम संख्या-18 में बेलदार के साथ बिंद, क्रम संख्या 36 में गोंड के साथ गोड़िया, कहार, कश्यप, बाथम, क्रम संख्या 53 में मझवार के साथ मल्लाह, केवट, मांझी, निषाद, मछुआ,  क्रम संख्या 59 में पासी के साथ तरमाली, भर, राजभर, क्रम संख्या 65 में शिल्पकार के साथ कुमार प्रजापति क्रम संख्या 66 में तुरैहा के साथ तुरहा, तुराहा, धीवर, धीमर की पर्यायवाची उप जातियों को दी ट्राइब्स एंड कास्ट्स आफ सेंट्रल प्रोविंसेस आफ इंडिया आर.बी. रसेल एवं रायबहादुर हीरालाल एवं यूनाइटेड प्रोविंसेस आफ आगरा एंड अवध पार्ट-1, रिपोर्ट सेंसस ऑफ़ इंडिया 1931 के लिस्ट-1, अनटचेबल एंड डिप्रेस्ड कास्ट, पीपुल ऑफ इंडिया नेशनल सीरीज वॉल्यूम थर्ड द शेड्यूल ट्राइब एंथ्रोपॉलजिकल सर्वे आफ इंडिया के पूर्व डायरेक्टर जनरल डॉक्टर केयर सिंह के आलेखों के आलोक के आधार पर एवं जे.एस. हयूटन की गणना के अनुसार कैबिनेट में पास कर 22 दिसंबर 2016 के शासनादेश  234/2016/297 सी.एम./26-3-2016-3 (15)/2007 अति पिछड़ी जातियां उपरोक्त जातियों की पर्यायवाची जातियां हैं परिभाषित किया है। जिसके आधार पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन अधिनियम 1976 के अनुसार उपरोक्त सभी जातियों को मझवार, गोंड, तुरैहा और शिल्पकार जाति का प्रमाण पत्र निर्गत करना सम्भव हुआ है।
     31 दिसम्बर, 2016 को कार्मिक अनुभाग-2 संख्या-4 (1)/2002-का-2 केआधार पर अपर मुख्य सचिव ने अधिसूचना जारी करते हुए उत्तर प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों , अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम-1994 (उ.प्र. अधिनियम संख्या-4 सन् 1994) की धारा-13 के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए किया है। उपरोक्त आदेश में स्पष्ट किया गया था कि उक्त जातियों को परिभाषित (स्पष्ट) किया गया है, न कि विशिष्टता के उद्देश्य से भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 341 में छेड़ छाड़ किया गया है।
      केन्द्रीय मंत्री गहलौत में सदन में जो वयान दिया है वह निराधार है। जहां 4% आबादी के जाटव/ चमार जाति सभी उपजाति के लोग 23% आरक्षण का लाभ अकेले 70 साल से लोकसभा, विधानसभा, सचिवालय एवं सभी विभागों में ले रहे हैं। उपरोक्त 17 जातियों को अनुसूचित जाति में 1961 में राष्ट्रपति ने अधिसूचना जारी कर अनुसूचित जाति घोषित किया है। विशेष समुदाय की मिलीभगत से इन जातियों को 1994 में पिछड़ी में डाल कर पूरे देश में गुमराह कर बर्बाद कर दिया गया है। और जाटव नेताओं के द्वारा झूठा प्रचार किया जा रहा है कि यह अधिकार संसद को है। लेकिन जाटव की सभी उपजातियां उसी 1961 के राष्ट्रपति के अधिसूचना के अनुसार अनुसूचित जाति का लाभ ले रहे हैं।
      इस संदर्भ में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद दिनांक 22/01/ 2017 के पी.आई.एल संख्या 2129/2017 फाइल हुआ जिसमें दिनांक 24/01/2017 को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्टे लगा दिया गया था। साक्ष्यों के आधार पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 29/03/2017 को हटाकर उपरोक्त 17 जातियों को अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र सभी उपजातियों को निर्गत किए जाएं के आदेश दिए हैं।
      इस संबंध में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा आदेश संख्या 153/2019/2580/26-3-219-3(15)/2007टी.सी.-1 दिनांक 24/06/2019 को समस्त मंडलायुक्त/ जिलाधिकारी उत्तर प्रदेश को उक्त जातियों को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने हेतु आदेशित किया गया है। लेकिन उक्त शासनादेश एवं माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के मंडलायुक्त/ जिलाधिकारी द्वारा अवहेलना करते हुए उक्त जातियों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किए जा रहे हैं। जिसके कारण लोग सरकारी सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं।
     अतः आपसे अनुरोध है कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश के क्रम में शासनादेश के अनुपालन हेतु आवश्यक निर्देश की कृपा करें।