अलीगढ़, उत्तर प्रदेश (Aligarh, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश ब्यूरो रिपोर्ट, 2 जून 2022। आप भी चलो इटावा, 7 जून 2022 को वीर शहीद अखिलेश निषाद के शहीदी दिवस कार्यक्रम में मड़ैया दिलीप नगर इटावा चलो।
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7 जून को वीर शहीद अखिलेश निषाद का शहीद दिवस मनाने में आप भी आर्थिक सहयोग भेज सकते हैं।
वीर शहीद अखिलेश निषाद अपने माता पिता का तीन बहनों में इकलौता बेटा था। जिसने भाजपा की मोदी सरकार के समय, 7 जून को गोरखपुर के कसरबल में हुए रेल रोको आंदोलन में अपनी जान कुर्बान कर दी थी। अखिलेश निषाद की मौत केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार के रेल ट्रैक खाली कराने के आदेश पर पुलिस द्रारा चलाई गई गोली से हुई थी। लेकिन इसके बाद भी आज तक मोदी योगी सरकारों ने 2017 और 2019 के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में निषाद बिन्द कश्यप समाज की सभी जातियों के लिए 22 जून 2016 को जारी परिभाषित आरक्षण को लागू करने की दिशा में आज तक वायदा करके भी कोई कदम नहीं उठाया है।
हम सभी का कर्त्तव्य है कि 7 जून को वीर शहीद अखिलेश निषाद का शहीद दिवस उनकी जन्मभूमि मड़ैया दिलीप नगर में उनकी समाधि स्थल पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में पहुंच कर श्रद्धांजलि अर्पित करें और कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार उनके परिवार द्वारा स्थापित वीर शहीद अखिलेश निषाद स्मारक ट्रस्ट के खाते हैं सीधे ऑनलाइन आर्थिक सहयोग जरूर भेजें।
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निषाद बिन्द कश्यप समाज सहित 17 पुकारू जातियों के परिभाषित आरक्षण के लिए अखिलेश निषाद और अमर शहीद हरिनाथ बिन्द जी ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी थी! 7 जून 2015 के गोरखपुर के कसरबल काण्ड में इटावा के श्री आत्माराम निषाद के तीन बेटियों के बीच इकलौते बेटे और बीएससी द्वतीय वर्ष के छात्र अखिलेश निषाद ने जब अपनी जान कुर्बान कर दी तो, तत्कालीन समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव सरकार ने पार्टी के निषाद बिन्द कश्यप प्रजापति राजभर नेताओं के अनुरोध पर अखिलेश निषाद के परिवार को 10 लाख रुपये की सरकारी सहायता के साथ 3.5 लाख रुपये, अपने नेताओं को मा. विशम्भर प्रसाद निषाद जी के नेतृत्व में इटावा की मड़ैया दिलीप नगर, वीर शहीद अखिलेश निषाद के घर भेजकर नकद मदद दी। और 17 जातियों के परिभाषित एससी आरक्षण को 22 दिसम्बर 2016 को लागू किया था। लेकिन भाजपा के इशारे पर गोरखपुर के अंबेडकर संस्थान और अंबेडकर ग्रंथालय के पदाधिकारियों ने इस पर स्टे ले लिया था। इस स्टे पर 29 मार्च 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शर्त के साथ रोक हटा दी थी और उत्तर प्रदेश सरकार से 6 सप्ताह के काउंटर एफिडेविट मांगा था। क्योंकि मार्च 2017 में भाजपा की योगी आदित्यनाथ की सरकार बन गई थी तो, उसने आज तक 5 साल बीतने के बाद भी परिभाषित आरक्षण को लागू करने के लिए, अपना एफिडेविट दाखिल नहीं किया है।
अखिलेश यादव सरकार के आरक्षण के आदेश को लागू कराने के लिए निषादों ने 29 दिसम्बर 2018 को गाजीपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली को रोकने के लिए 5 स्थानों पर सड़क जाम कर दी थीं। इसी जाम में एक कठवा मोड़ घटना घटित हो गई, जिसमें आंदोलन रोकने के लिए निषादों पर बल प्रयोग करने के दौरान पैर फिसलने से गिरने पर, कटे पेड़ की लकड़ी से सिर टकराने पर एक पुलिस कर्मी की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद इलाके के निषादों के अनेकों गांव में योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने तीन दिन तक भयंकर तांडव मचाया था और सैकडों निर्दोष निषाद महिला, पुरुष और नाबालिग बच्चों को बेरहमी से मार मार कर जेल में डाल दिया था। इसी घटना में 2 बेटों सहित बुजुर्ग हरिनाथ बिन्द जी को भी बुरी तरह से मारपीट कर पुलिस ने जेल में डाल दिया था और 28 फरवरी 2018 को हरिनाथ बिन्द जी की इलाज के अभाव में जेल में ही मौत हो गई और परिवार को आज तक कोई सरकारी सहायता योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार ने नहीं दी।
सुनिए कठवा मोड़ काण्ड के पीड़ित निषादों की दास्तान
भाजपा के धन और पद के लालची नेताओं के लालच के कारण उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ जी की सरकार 5 साल से कोर्ट में अपना जबाब ही दाखिल नहीं कर रही है!! इससे ज्यादा शर्मनाक इस समाज के लिए क्या हो सकता है ??
समाज को दिखा देकर भाजपा की मदद कर मौज उड़ा रहे नेता के बोल सुनें
परिभाषित आरक्षण पर मा. विशम्भर प्रसाद निषाद जी के प्रयासों को देखने के लिए नीचे दी गईं लिंकों को किलिक कीजिये:
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दोनों फ़ोटो में लिखी हुई बातों को ध्यान से पढ़ें।
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