ब्राम्हणों को अपने धर्म को मजबूत बनाये रखने के लिए किसी एससी, एसटी, ओबीसी से सीधे लड़ने की जरुरत ही नहीं है। ब्राम्हणी मानसिकता के गुलाम एससी, एसटी, ओबीसी में ऐसे बहुत से लोग अभी जिंदा हैं जो ब्राम्हण धर्म की रक्षा के लिए प्राणपण से लगे हुए हैं। ये ब्राम्हणों के बिन वेतन पक्के वफादार गुलाम जब तक जिंदा रहेंगे, ब्राम्हणों पर आँच नहीं आने देंगे भले ही एससी, एसटी, ओबीसी के लोगों के संविधान प्रदत्त अधिकार छिन लिये जायें? गुलाम हमेशा अपने मालिक के लिए लड़ता है जबकि उसका खुद का कोई वजूद नहीं रहता। उसे अपने लोगों से लड़ने के एवज में उनके हिस्से का काजू, किशमिस, पिस्ता और बादाम समय-समय पर मिल जाया करता है वो इसी में खुश रहते हैं। इन मानसिक गुलामों को लगता है कि ब्राम्हणवादियों के बीच में उनकी काफी इज्ज़त है, इसलिए समय-समय पर ये उनके द्वारा पुरस्कृत भी किये जाते रहे हैं? इनको आप अपने समाज अथवा कौम के लिए कभी लड़ते नहीं देखेंगे, ये ज्यादातर उन्हीं विषयों पर मुखर होते हैं जिस पर इनके आका की सहमति होती है। ये हमेशा अपने समाज के विरुद्ध व मनुवादियों के साथ खड़े मिलेंगे, मनुवादियों के हितों के लिए ये बलिदान देने को भी तैयार रहते हैं, इसको ये देशभक्ति, ईशभक्ति व ब्राम्हणभक्ति समझकर करते हैं क्योंकि इनको स्वर्ग में सीट मिलने का पूरा भरोसा रहता है?
किसी भी व्यक्ति के शिक्षा का स्तर इससे नहीं मापा जा सकता कि उसने कितनी डिग्रियां प्राप्त की हैं। किसी भी व्यक्ति के शिक्षा का स्तर इससे भी पता नहीं चलता कि उसने कितनी किताबें पढ़ी हैं। किसी भी व्यक्ति के शिक्षा का स्तर इससे पता चलता है कि उसने कितनी स्वतंत्र सोच विकसित की है। व्यक्ति चाहे कितनी भी डिग्रियां प्राप्त कर ले, अगर वह अपनी सोच को विकसित नहीं कर पाया तो इसका कोई मतलब नहीं है कि वो कितना पढ़ा है।
अगर आपने स्कूल में पढ़ा, रावण के दस सिर थे और आपने मान लिया तो आपकी शिक्षा का कोई मतलब नहीं है। आपकी शिक्षा का मतलब तब है, जब आपने उस पर सवाल उठा दिया कि ऐसा कैसे संभव है? आपकी शिक्षा का पता तब चलता है, जब आपके यहाँ किसी बच्चे ने जन्म लिया और आप उसका नाम रखवाने के लिए ब्राह्मण के पास चल दिए। इससे पता चलता है कि आपने सिर्फ किताबें पढ़ी हैं लेकिन शिक्षित नहीं हुए। आपकी शिक्षा का पता तब चलता है, जब आप मृतक को स्वर्ग का टिकट दिलाने के यज्ञ और हवन करवाते हैं। स्वतंत्र सोच का विकास करना ही शिक्षा है। ये शिक्षा नहीं है कि आपको बता दिया कि हरिश्चन्द्र एक सत्यवादी राजा था और आपने मान लिया। बल्कि शिक्षा ये है कि आपने सवाल उठा दिया कि वह राजा सत्यवादी कैसे हो सकता है? जिसने सिर्फ एक सपने के आधार पर अपना सब कुछ एक ब्राह्मण को दान दे दिया। ये सत्यवादिता नहीं बल्कि मूर्खता है। शिक्षा ये है कि आपने सवाल कर दिया कि अपनी पत्नी बच्चे को बेचने वाला कोई भी आदमी सत्यवादी कैसे हो सकता है?
मूर्खता का इससे बड़ा प्रमाण और क्या होगा कि हम 15 - 20 साल पढ़ाई में ख़त्म करने के बाद एक पाँचवी फेल ब्राह्मण से सलाह लेते हैं। कि हमको क्या करना चाहिए या क्या नहीं करना चाहिए?
मतलब आप इंजिनियर, वकील, डॉक्टर IAS, IPS, PCS, नेता, अभिनेता बनकर भी इस लायक नहीं हुए कि अपना निर्णय खुद ले सकें।
आपमें इतनी क्षमता विकसित नही हुई जितनी एक पांचवी फेल ब्राह्मण में। आप पंद्रह बीस लाख खर्च करके भी ये किसी ब्राह्मण से पूछते हैं कि घर कब बनाना है ? आप दिमाग से पैदल हैं जो अपने घर का निर्माण करने का निर्णय भी खुद नहीं कर सकते ? पूछा ब्राह्मण से घर कब बनेगा? और जब घर बनवाने की बारी आई, तब भी शुरुआत करने वो पाँचवी फेल ब्राह्मण ही आएगा।
बच्चा आपने पैदा कर लिया, लेकिन पंद्रह बीस साल खर्च करने के बाद भी आप इतना नही सीख पाए कि अपने बच्चों का नाम भी खुद रख पायें। बच्चा आपका है या पांचवी फेल ब्राह्मण का?
अब बात शादी की आई तो ये भी तय आप नहीं कर सकते कि आप शादी कब करोगे ? आपको शादी कब करनी है ये भी एक पांचवी फेल ब्राह्मण बताएगा?
आपको लड़की / लड़का पसंद है, आपके परिवार वालों को भी पसंद है लेकिन, एक पांचवीं फेल ब्राह्मण ने कह दिया कि इससे शादी करना अच्छा नहीं होगा तो आप पंद्रह बीस साल खर्च करके भी उस पांचवी फेल ब्राह्मण से तुच्छ ही साबित हुए।
आप जीवन भर पाँचवी फेल ब्राह्मणों के आगे झुकते रहे, लेकिन जब मरोगे तब भी ये ही पांचवी फेल ब्राह्मण तय करेगा कि आपको मरना कैसे है ? गीता सुनकर, रामायण सुनकर या सत्यनारायण की कथा सुनकर? अब इससे ज्यादा मूर्खता के प्रमाण और क्या दूं ? लगता है हम और आप बीमार हैं ब्राह्मणवाद से।
जिसने आपको इंसान बनाए रखने के लिए अधिकार दिए हैं, सवर्ण आज भी उसकी तस्वीरों और मूर्तियों से सबसे ज्यादा नफरत करते हैं !! देखें इस वीडियो को
जय भीम
(साभार: चंद्रभान सिंह बीएसएस, मुंबई)
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घाटमपुर, कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश (Ghatampur, Kanpur Nagar, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश ब्यूरो रिपोर्ट, 2 अक्टूबर 2022। चंद्रिका देवी मंदिर से लौट रहे निषादों से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली पलटी : 26 की मौत, 24 की हालत गंभीर। सूचना मिलते ही, समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद / पूर्व मंत्री मा. विशम्भर प्रसाद निषाद अपने साथियों सहित पीड़ितों से मिलने गाँव और घटना स्थल पर पहुंचे और उनकी बातों को सुना। मा. विशम्भर प्रसाद निषाद जी ने पीड़ित परिवारों को 50-50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और पक्का मकान देने की मांग उत्तर प्रदेश सरकार से की।
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कानपुर के घाटमपुर में अनियंत्रित ट्रैक्टर-ट्राली पलटने से हुआ बहुत ही विभत्स हादसा। हर तरफ लाशें पड़ी थीं और पूरे गांव में मातम पसर जाने से माहौल खौफनाक मंजर में तबदील हो गया। सभी मृतक कोरथा गांव के ही हैं। गांव से लेकर घटना स्थल और अस्पताल तक बस चीख-पुकार और चीत्कार सुनाई दे रही थी। हादसे के कहर से हर कोई टूट गया।
ग्रामीणों के अनुसार, शनिवार सुबह से पूरा गांव खुशियों में डूबा था। हर कोई राजू के बेटे मुंडन संस्कार में जाने को उत्सुक था। भजन गाते और हंसते खेलते बच्चे, महिलाएं आदि लोग गांव से रवाना हुए थे। सब कुछ अच्छा अच्छा चल रहा था। कार्यक्रम भी हो गया था। जब वह अपने गांव से चार पांच किलोमीटर पहले थे तभी हादसा हो गया। खुशियों भरा माहौल चंद सेकेंड में मातम में बदल गया। बिलखते लोग यकीन नहीं कर पा रहे थे कि मासूम भी इस हादसे का शिकार हो गए। लोग मासूमों के शवों को छाती से लगाकर रोते रहे। पुलिस व डॉक्टर की टीम शवों को कब्जे में लेने का प्रयास करती रही, लेकिन ग्रामीण मान नहीं रहे थे।
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मत्स्य मंत्री महा मना जी के रहते हुए क्षत्रिय और तिवारी पाएंगे मत्स्य पालन हेतु तालाबों के पट्टे, मामला कानपुर नगर की बिल्हौर तहसील का है।
लखनऊ, उत्तर प्रदेश (Lucknow, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश ब्यूरो रिपोर्ट, 17 सितंबर 2022। आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आरक्षण बचाओ महापंचायत का आयोजन किया गया। इस महापंचायत में वक्ताओं ने एक स्वर से नारा लगाया -
आरक्षण बचाओ महापंचायत ने भरी हुंकार
अब 2024 में नहीं रहने देंगे बीजेपी सरकार
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दिनांक 17/9/2022 को 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने हेतु 17 अति पिछड़ी जातियों के प्रतिनिधियों की महापंचायत चौधरी चरण सिंह सहकारिता भवन लखनऊ में श्री कामता प्रसाद निषाद जी पूर्व विधायक की अध्यक्षता में हुई। कार्यक्रम का संचालन श्री रमेश प्रजापति जी (मोदीनगर, गाजियाबाद, पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री/ राष्ट्रीय सचिव समाजवादी पार्टी) ने किया।
महापंचायत के संयोजक डॉ. राजपाल कश्यप जी (पूर्व प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ/ पूर्व मन्त्री/ पूर्व एम एल सी) थे।
इस अवसर पर श्री बिशम्भर प्रसाद निषाद जी (पूर्व सांसद/ पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार/ राष्ट्रीय महासचिव समजवादी पार्टी) ने अपने संबोधन में कहा: बीजेपी के पालतू तीतरों को अपने इलाके में न घुसने दें, बहिष्कार करें, इनका हुक्का पानी बन्द करें और जब इनका अपमान होगा तो ये अपने आका से जाकर रोयेंगे और कहेंगे कि हमारी बेज्जती हो रही है। इसके बाद ही बीजेपी सरकार आपका परिभाषित एससी आरक्षण लागू करने को मजबूर होगी। किलिक करके देखें वीडियो
श्री दयाराम प्रजापति जी (इटावा, पूर्व मंत्री/ पूर्व एम एल सी), श्री शंख लाल मांझी जी (पूर्व मंत्री), श्री किरणपाल कश्यप जी (पूर्व मंत्री), श्री हरिश्चन्द्र प्रजापति जी (बुलन्दशहर पूर्व प्रदेश महासचिव सपा पिछड़ा वर्ग), श्री सत्यवीर प्रजापति जी एडवोकेट (मुजफ्फरनगर, पूर्व प्रदेश सचिव समाजवादी पार्टी), आचार्य पूरनमल प्रजापति अलीगढ़ सहित सैंकड़ों गणमान्य लोगो ने उपस्थित होकर महापंचायत को सम्बोधित करते हुए भाजपा सरकार द्वारा 17 जातियों की उपेक्षा और समाजवादी पार्टी के द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की।
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लखनऊ, उत्तर प्रदेश (Lucknow, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश ब्यूरो रिपोर्ट। देखें सपा की अखिलेश यादव सरकार का 17 जातियों को परिभाषित करने का 22 दिसम्बर 2016 का क्या था निर्णय।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद परिभाषित SC आरक्षण के सबसे बड़े पैरोकार, मा.विशम्भर प्रसाद निषाद जी (राष्ट्रीय महासचिव सपा/ पूर्व सांसद/ पूर्व मंत्री उ. प्र. सरकार) की प्रतिक्रिया सुनने के लिए वीडियो को किलिक कीजिए।
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7 जून 2022 के कार्यक्रम की वीडियो एकबार ध्यान से देखें।
वीडियो को किलिक करके सुनिए 7 जून 2022 को अखिलेश निषाद के पिताजी श्री आत्माराम निषाद जी ने क्या कहा और क्यों की सीबीआई जांच की मांग
7 जून की घटना के बाद वीर शहीद अखिलेश निषाद के घर पहुंच कर समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधि मंडल ने मा. विशम्भर प्रसाद निषाद जी के नेतृत्व में दी थी 3.5 लाख रुपए की नकद आर्थिक मदद। देखें
निषाद बिन्द कश्यप समाज सहित 17 पुकारू जातियों के परिभाषित आरक्षण के लिए अखिलेश निषाद और अमर शहीद हरिनाथ बिन्द जी ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी थी! 7 जून 2015 के गोरखपुर के कसरबल काण्ड में इटावा के श्री आत्माराम निषाद के तीन बेटियों के बीच इकलौते बेटे और बीएससी द्वतीय वर्ष के छात्र अखिलेश निषाद ने जब अपनी जान कुर्बान कर दी तो, तत्कालीन समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव सरकार ने पार्टी के निषाद बिन्द कश्यप प्रजापति राजभर नेताओं के अनुरोध पर अखिलेश निषाद के परिवार को 10 लाख रुपये की सरकारी सहायता के साथ 3.5 लाख रुपये, अपने नेताओं को मा. विशम्भर प्रसाद निषाद जी के नेतृत्व में इटावा की मड़ैया दिलीप नगर, वीर शहीद अखिलेश निषाद के घर भेजकर नकद मदद दी। और 17 जातियों के परिभाषित एससी आरक्षण को 22 दिसम्बर 2016 को लागू किया था। लेकिन भाजपा के इशारे पर गोरखपुर के अंबेडकर संस्थान और अंबेडकर ग्रंथालय के पदाधिकारियों ने इस पर स्टे ले लिया था। इस स्टे पर 29 मार्च 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शर्त के साथ रोक हटा दी थी और उत्तर प्रदेश सरकार से 6 सप्ताह के काउंटर एफिडेविट मांगा था। क्योंकि मार्च 2017 में भाजपा की योगी आदित्यनाथ की सरकार बन गई थी तो, उसने आज तक 5 साल बीतने के बाद भी परिभाषित आरक्षण को लागू करने के लिए, अपना एफिडेविट दाखिल नहीं किया है।
सुनिए कठवा मोड़ काण्ड के पीड़ित निषादों की दास्तान
भाजपा के धन और पद के लालची नेताओं के लालच के कारण उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ जी की सरकार 5 साल से कोर्ट में अपना जबाब ही दाखिल नहीं कर रही है!! इससे ज्यादा शर्मनाक इस समाज के लिए क्या हो सकता है ??
समाज को दिखा देकर भाजपा की मदद कर मौज उड़ा रहे नेता के बोल सुनें
परिभाषित आरक्षण पर मा. विशम्भर प्रसाद निषाद जी के प्रयासों को देखने के लिए नीचे दी गईं लिंकों को किलिक कीजिये:
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