अलीगढ़, उत्तर प्रदेश (Aligarh, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) ब्यूरो रिपोर्ट, 19 फरवरी 2019।
AMU को बदनाम करने की भाजपा और आरएसएस की चाल हुई नाकामयाब।
एएमयू के रजिस्ट्रार आफिस के बाहर 12 फरवरी को हुए झगड़े में भाजपा नेता की तहरीर पर एएमयू छात्र व छात्र संघ पदाधिकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे में से राजद्रोह की धारा को हटा लिया गया है। पुलिस को जांच के दौरान राजद्रोह जैसी किसी बात के लिए कोई साक्ष्य नहीं मिला। अन्य धाराएं मुकदमे में यथावत रहेंगी।
AMU को बदनाम करने की भाजपा और आरएसएस की चाल हुई नाकामयाब।
एसएसपी आकाश कुलहरि ने बताया कि भारत के खिलाफ नारेबाजी करने वाले 14 छात्रों पर राजद्रोह की एफआईआर दर्ज की गई थी। इस संबंध में पुलिस ने राजद्रोह संबंधी घटना के साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए अपील की थी। साथ ही साक्ष्य देने वाले का नाम और पहचान भी गोपनीय रखने की बात कही थी। मुकदमे में दर्ज धाराओं के संबंध में पुलिस ने गहन विवेचना की। लेकिन इस दौरान देशद्रोह, देश विरोधी नारेबाजी का कोई साक्ष्य नहीं मिला है।
एएमयू के रजिस्ट्रार आफिस के बाहर 12 फरवरी को हुए झगड़े में भाजपा नेता की तहरीर पर एएमयू छात्र व छात्र संघ पदाधिकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे में से राजद्रोह की धारा को हटा लिया गया है। पुलिस को जांच के दौरान राजद्रोह जैसी किसी बात के लिए कोई साक्ष्य नहीं मिला। अन्य धाराएं मुकदमे में यथावत रहेंगी।
मुकदमा भाजपा युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष मुकेश सिंह की ओर से दर्ज कराया गया था, जिसमें नदीम अंसारी, जैद शेरवानी, छात्रसंघ सचिव हुजैफा आमिर, उपाध्यक्ष हमजा सूफियान, मो.आमिर, नवेद आलम, छात्रसंघ अध्यक्ष सलमान इम्तियाज, पूर्व अध्यक्ष मशकूर अहमद, आरिफ त्यागी, फरहान जुबैरी, नजमुल साकिब, जकी, रिहान, असद व अन्य अज्ञात एएमयू छात्रों को आरोपी बनाया गया था। इन पर भारतीय दंड विधान की धारा 124 ए (राजद्रोह) के साथ ही अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था।
झूठ की सुरुआत खुद भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष मुकेश सिंह लोधी ने ही की थी। जिसमें उसने अपने साथी मनोज शर्मा संग किसी काम से कलेक्ट्रेट जा रहे थे बताया था, जबकि वह खुद एएमयू में हुए झगड़े में साथ देने गए थे और जब एएमयू के छात्रों ने उन्हें वहां से खदेड़ा था। मुकेश सिंह ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एएमयू सर्किल पर हमलावर एएमयू छात्रों ने उनकी गाड़ी को देखकर हमला बोल दिया और फायरिंग की। एक गोली उनकी गाड़ी में लगी। बाद में देश विरोधी, भाजपा और पीएम विरोधी नारेबाजी करते हुए हमलावर भाग गए।
दूसरी रिपोर्ट भाजपा नेता पक्ष से बरौली विधायक ठा. दलवीर सिंह के पौत्र व एएमयू के एलएलबी छात्र अजय सिंह पर हमले के संबंध में तहरीर भाजपा मीडिया प्रभारी डॉ.निशित की ओर से दी गई थी।
प्रशासन और पुलिस ने एएमयू में 12 फरवरी को हुए घटनाक्रम के बाद बेहद सधे हुए अंदाज में स्थिति को संभाला है। अब जांच में एएमयू छात्रों को देश विरोधी नारेबाजी से भी क्लीन चिट मिली है।
पुलिस ने एएमयू प्रशासन को पत्र लिखकर कहा है कि वह छात्रों की गतिविधि को कैंपस तक रखना सुनिश्चित करें। अब तक जो हुआ सो हुआ। अब आगे कोई बात हुई तो उसकी जिम्मेदारी एएमयू प्रशासन की होगी। अगर एएमयू इंतजामिया हालात काबू नहीं कर पाती है और कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो एएमयू अपने स्तर से साइनडाई घोषित करने की तैयारी कर ले और एएमयू को कुछ समय के लिए बंद कर दे।
भाजपा के अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र के सांसद जो एएमयू कोर्ट के सदस्य भी हैं ने पहले भी जिन्ना Iकी तस्वीर के बहाने यहाँ के माहौल को खराब करने की कोशिश की थी। लेकिन उनकी यह कोशिश भी नाकामयाब रही।
अलीगढ़ मुस्लिम विस्वविद्यालय दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों में से एक है और यहाँ से पढ़े छात्रों ने देश और दुनिया में अलीगढ़ का नाम रोशन किया है, जो आरएसएस को कहीं न कहीं चुभता है। एएमयू गंगा जमुनी तहजीब का एक मजबूत केंद्र भी रहा है। मुस्लिम छात्रों के साथ हिन्दू और अन्य धर्मों के छात्र यहाँ बिना किसी भेदभाव के उत्कृष्ट शिक्षा प्राप्त करते हैं।
मैं जसवन्त सिंह निषाद (एकलव्य मानव संदेश हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र एवं ऑनलाइन न्यूज़ चैनल का संपादक/प्रकाशक) भी 1983 से 1989 तक 10 प्लस 2 से बीएससी ऑनर्स का छात्र रहा हूँ। मेरा इनरोलमेन्ट नम्बर S-7187 है। अपने 6 साल के अध्ययन के दौरान मुझे कभी भी की धार्मिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।
मेरे एक बेटे ने एएमयू से ही बेकरी का डिप्लोमा किया और आज नोएडा में सर्विस कर रहा है।
मेरी बड़ी बेटी ने एएमयू से ही गारमेंट मेकिंग का डिप्लोमा किया है उसे भी अपने अध्ययन के दौरान कभी कोई धार्मिक परेशानी नहीं हुई।
देश की साम्प्रदायिक शक्तियों के कारण आज यहाँ पढ़ने वाले छात्रों को परेशानी होती है। अगर कोई छात्र देश के साथ गद्दारी करता है तो पूरे शिक्षण संस्थान को बदनाम करने की चालों से बचना चाहिए। क्योंकि गद्दार कहीं भी और कोई भी हो सकता है, उसका धार्मिक आधार पर नामकरण नहीं करना चाहिए। क्योंकि देश की गोपनीय जानकारी पाकिस्तान को देने वाले भी इसी देश की जमीन पर बहु संख्यक सामज में ही पैदा हुए हैं। इसके लिए क्या हम पूरे बहु संख्यक समाज को गद्दार कहें ?