मायावती के सामने अखिलेश यादव ने टेक दिये हैं घुटने-महामना डॉ.संजय निषाद

लखनऊ, उत्तर प्रदेश (Lucknow, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) ब्यूरो रिपोर्ट, 29 मार्च 2019। निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद पार्टी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामना डॉ. संजय कुमार निषाद ने लखनऊ में आज कहा कि मायावती के सामने अखिलेश यादव ने टेक दिये हैं घुटने। आरएलडी से बड़ा दल है निषाद पार्टी, फिर भी गठबंधन में सहयोगी दल की बजाय माना समर्थक दल।
       2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट बटवारे को लेकर युपीए, एनडीए और सपा बसपा गठबंधन की निगाह में पूर्वी उत्तर प्रदेश एक महत्वपूर्ण भूमिका में है। इसी दौरान निषाद पार्टी ने शुक्रवार को सपा बसपा गठबंधन से अलग होकर उन्हें तगड़ा झटका दे दिया है।
     निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामना डॉ. संंजय कुमार निषाद जी ने कहा कि अखिलेश यादव औऱ माया बती के गठबंधन में मेरा और समर्थकों का दम घुटने लगा था।
     महामना डॉ. संजय कुमार निषाद जी ने यह भी कहा कि बीते उप चुनाव में गोरखपुर की सीट निषाद पार्टी ने निकाली और उसका श्रेय सपा मुखिया अखिलेश यादव ने लिया। और जब गठबंधन में हिस्सेदारी की बात आई तो उन्होंने निषाद पार्टी को दल की बजाय समर्थक मानते हुए खुद अपनी विरासत लेकर मायावती के सामने नतमस्तक हो गए। इसी कारण हमें इस दल से अलग होना पड़ा है।  जब उप चुनाव में सपा ने निषाद पार्टी के दम पर गोरखपुर की सीट निकाली तो उनके हौसले आसमान छू रहे थे।
      निषाद पार्टी के साथ माझी, केवट, निषाद, कश्यप, धीमर, धीवर समेत 17 उप जातियां हैं। जब सपा, बसपा गठबंधन में निषाद पार्टी के हिस्सेदारी की बात आई तो उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल को गठबंधन का हिस्सा माना लेकिन हमारी पार्टी को सपा का हिस्सा मानकर समर्थक करार दे दिया। बात सीटों की आई तो वह हर कदम बसपा मुखिया मायावती से पूछकर चल रहे हैं। अखिलेश यादव खुद की 37 सीटें भी मायावती के चरणों में रखकर टिकट का फैसला ले रहे हैं।     
       महामना डॉ. संजय कुमार निषाद जी ने आगे कहा कि राजनीतिक विरासत मुलायम सिंह यादव से मिलने के कारण अखिलेश यादव को अपने दल के वजूद का महत्व नहीं मालूम है। इसीलिए वह उसे खुद ही नहीं संभाल पा रहे हैं। इसी कारण सपा में अंदरखाने कलह चरम पर है।
       निषाद पार्टी के समर्थक लगातार दबाव बनाए हुए हैं कि जहां पार्टी का वजूद नहीं नज़र आ रहा है वहां टिके रहना नासमझी साबित होगी। ऐसे में इस गठबंधन में रहने की बजाय अकेले लड़ना बेहतर समझ में आया। क्योंकि अपने दल का वजूद तो बचाया जा सकता है।
     गठबंधन तोड़ने की घोषणा के बाद निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि एक बड़े दल से हिस्सेदारी के लिये बातचीत चल रही है। परिणाम जल्द ही सामने होगा। और कार्यकर्तओं व समर्थकों के सम्मान की हर हाल में रक्षा की जाएगी।