मोदी के नए मंत्रिमंडल में नहीं मिला किसी निषाद को कैबिनेट मंत्री पद

अलीगढ़, उत्तर प्रदेश (Aligarh, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh), एडिटोरियल रिपोर्ट, 30 मई 2019। मोदी के नए मंत्रिमंडल में नहीं मिला किसी निषाद को कैबिनेट मंत्री पद। आपको ज्ञात हो उत्तर प्रदेश के 13 प्रतिशत निषाद वोटों का अधिकांश हिस्सा इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिला है। साध्वी निरंजन ज्योति, धर्मेंद्र कश्यप, ईं.प्रवीण कुमार निषाद, रमेश चंद्र केवट, अक्षवर लाल गोंड़ सहित 3 लोधी समाज के सांसद राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया, डॉ. साक्षी महाराज और मुकेश राजपूत व पकौड़ी लाल कोल भाजपा 9 भाजपा के सांसद इस लोकसभा चुनाव में जीते हैं। इनमें से कई अनुभवी भी हैं, लेकिन इन सांसदों में से एक भी इनको कैबिनेट स्तर का मंत्री बनाने के लाइक नहीं मिला।
     साध्वी निरंजन ज्योति जी पिछली सरकार में भी राज्य मंत्री बनाई गई थीं, इस बार भी राज्य मंत्री ही बनाई गई हैं। उनको भी स्वतंत्र प्रभार तक नहीं मिला है। एकलव्य मानव संदेश परिवार साध्वी निरंजन ज्योति जी को राज्य मंत्री जी बनाये जाने पर हार्दिक शुभकामनाएं देता है। और आशा करता है कि निषाद वंश के आरक्षण पर आपने 2014 में जो आवाज़ उठाई थी वह उस समय दब गई थी और उस दबी हुई आवाज़ के साथ ही निषाद आरक्षण भी भाजपा ने नहीं दिया था। अब चूंकि उत्तर प्रदेश के 99 प्रतिशत निषाद वंश की सभी जातियों ने 17 जातियों के आरक्षण को लागू कराने की आशा के साथ निषाद पार्टी के भाजपा से हुए समझौते पर पूर्ण विस्वाश करते हुए वोट दिया है तो साध्वी निरंजन ज्योति जी से सम्पूर्ण निषाद और 17 जातियों के लोग कहना चाहते हैं कि आप अपनी दबी हुई आवाज़ को नया रूप दीजिए और निषाद आरक्षण को सवर्ण आरक्षण की तर्ज़ पर लागू कराने के लिए आगामी लोकसभा सत्र में पास कराकर लागू कराकर 17 जातियों के उत्थान के मार्ग में सहायक बनिये।
      क्योंकि मोदी जी की नई सरकार एक भी निषाद कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया है तो निषादों के कल्याण की योजनाओं पर मंत्री मंडल कैसा विचार और व्यवहार करता है यह एक रहस्य ही बना रहेगा। क्योंकि अभी सरकार में एक नया मंत्रालय बनाया गया है, मछुआ कल्याण मंत्रालय और उसका जो मंत्री होगा वह गैर मछुआरा ही होगा, तो उसको कैसे पता रहेगा कि मछुआरों की वास्तविक परेशानी क्या है, तो उनका कल्याण भी होगा यह भी एक प्रश्न ही बना रहेगा। क्योंकि राज्य मंत्रियों को कैबिनेट की बैठक में भाग नहीं लेने दिया जाता है।