कानपुर, उत्तर प्रदेश (Kanpur, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh), ब्यूरो रिपोर्ट, 22 जून 2019। देश पर जान न्यौछावर करने वाले वीर निषादों को श्रद्धांजलि देने 27 जून को भारी संख्या में चलो सती चौराहा घाट, यह आवाह्न निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामना डॉ. संजय कुमार निषाद जी ने किया है।
सती चौरा कांड में निषादों ने 9 सितम्बर 1856 कों योजना बद्ध तरीके से 3400 अंग्रेजो को गंगा में डुबो कर मोंत के घाट उतरा था। इनकी बस्तियों को आग लगा दी गयी। कानपुर के इतिहास के पन्ने पलट कर देखे तो ज्ञात होता है कि 27 जून 1857 को सुबह 6 बजे 167 निषादों को सती चौरा घाट पर पीपल के पेड़ से लटका कर कची फाँसी देने के बाद और उनके पेड़ पर लटके हुए मृत शरीरों के तोपों से चीथड़े उड़ा दिये गए थे। क्रांति कारी लोचन निषाद और समाधान निषाद इस घटना के मुख्य सूत्रधार थे।
सती चौराहा काण्ड के बाद अंग्रेजी सरकार दहशत में आ गई थी। उसने भारत के इतिहासविदों को इंग्लैंड बुला और जानकारी प्राप्त की कि कैसे इन निषादों को काबू में किया जा सकता है। प्राप्त जानकारी के बाद अंग्रेजी सरकार ने निषादों पर नॉर्थन इंडिया फिशरीज एक्ट, नॉर्थन इंडिया फ़ेरीज एक्ट, नॉर्थन इंडिया मीनिंग एक्ट, नॉर्थन इंडिया फॉरेस्ट एक्ट लगाने के बाद काले कानून के रूप में 1871 में क्रिमिनल ट्राइब एक्ट भी लगा दिया था।
इन एक्टो की वजह से ही यह समाज अलग अलग नामों में और अलग अलग जातियों में बटकर अपनी जान बचाने को मजबूर हो गया। देश की खातिर अपनी रोजी रोटी के साधनों को भी गवां बैठा। 82 साल क्रिमिनल ट्राइब लगाने के बाद, इन बहादुर जातियों की स्थिति बद से बतर है। आज़ादी के आज 68 साल बाद भी किसी सरकारों ने इनके विकाश के लिए कुछ नही सोचा। आयोग पर आयोग बने और चले गए । आज भी लोग अशिक्षित, बेरोजगार, बेपहचान, बेघर ,बेजर, बेपर और राजनीती से कोशो दूर हैं। इनको जरूरत है शिक्षा की, बोर्डिंग स्कूल हो, अलग से बजट हो, अलग से आरक्षण हो, लोगों को रहने के लिए घर हो और सरकार स्वतंत्रता सेनानी के वंशज घोषित करे।
कानपुर के सती चौराहा घाट पर राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद और निषाद पार्टी हर साल इन वीर शहीदों की याद में कार्यक्रम आयोजित करती है। इस वर्ष भी यह कार्यक्रम 27 जून को आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम निषाद वंश के सांसदों, विधायकों के अलावा मंत्रियों भी इस वर्ष पहुंच कर वीर क्रांतिकारियों निषादों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। आप सभी से अनुरोध किया जाता है कि आप भी अपने साथियों सहित बड़ी संख्या में सती चौराहा घाट के 27 जून 2019 के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में जरुर पहुंचे।
सती चौरा कांड में निषादों ने 9 सितम्बर 1856 कों योजना बद्ध तरीके से 3400 अंग्रेजो को गंगा में डुबो कर मोंत के घाट उतरा था। इनकी बस्तियों को आग लगा दी गयी। कानपुर के इतिहास के पन्ने पलट कर देखे तो ज्ञात होता है कि 27 जून 1857 को सुबह 6 बजे 167 निषादों को सती चौरा घाट पर पीपल के पेड़ से लटका कर कची फाँसी देने के बाद और उनके पेड़ पर लटके हुए मृत शरीरों के तोपों से चीथड़े उड़ा दिये गए थे। क्रांति कारी लोचन निषाद और समाधान निषाद इस घटना के मुख्य सूत्रधार थे।
सती चौराहा काण्ड के बाद अंग्रेजी सरकार दहशत में आ गई थी। उसने भारत के इतिहासविदों को इंग्लैंड बुला और जानकारी प्राप्त की कि कैसे इन निषादों को काबू में किया जा सकता है। प्राप्त जानकारी के बाद अंग्रेजी सरकार ने निषादों पर नॉर्थन इंडिया फिशरीज एक्ट, नॉर्थन इंडिया फ़ेरीज एक्ट, नॉर्थन इंडिया मीनिंग एक्ट, नॉर्थन इंडिया फॉरेस्ट एक्ट लगाने के बाद काले कानून के रूप में 1871 में क्रिमिनल ट्राइब एक्ट भी लगा दिया था।
इन एक्टो की वजह से ही यह समाज अलग अलग नामों में और अलग अलग जातियों में बटकर अपनी जान बचाने को मजबूर हो गया। देश की खातिर अपनी रोजी रोटी के साधनों को भी गवां बैठा। 82 साल क्रिमिनल ट्राइब लगाने के बाद, इन बहादुर जातियों की स्थिति बद से बतर है। आज़ादी के आज 68 साल बाद भी किसी सरकारों ने इनके विकाश के लिए कुछ नही सोचा। आयोग पर आयोग बने और चले गए । आज भी लोग अशिक्षित, बेरोजगार, बेपहचान, बेघर ,बेजर, बेपर और राजनीती से कोशो दूर हैं। इनको जरूरत है शिक्षा की, बोर्डिंग स्कूल हो, अलग से बजट हो, अलग से आरक्षण हो, लोगों को रहने के लिए घर हो और सरकार स्वतंत्रता सेनानी के वंशज घोषित करे।
कानपुर के सती चौराहा घाट पर राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद और निषाद पार्टी हर साल इन वीर शहीदों की याद में कार्यक्रम आयोजित करती है। इस वर्ष भी यह कार्यक्रम 27 जून को आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम निषाद वंश के सांसदों, विधायकों के अलावा मंत्रियों भी इस वर्ष पहुंच कर वीर क्रांतिकारियों निषादों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। आप सभी से अनुरोध किया जाता है कि आप भी अपने साथियों सहित बड़ी संख्या में सती चौराहा घाट के 27 जून 2019 के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में जरुर पहुंचे।