राज्यसभा सांसद विशम्भर प्रसाद निषाद ने स्पष्ट शासनादेश और इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के वावजूद SC के प्रमाण पत्र न बनाये जाने के विरोध में लिखा राष्ट्रपति जी को पत्र

नई दिल्ली (New Delhi), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) की लोकसभा टीवी से साभार रिपोर्ट, 25 जुलाई 2019। राज्यसभा सांसद विशम्भर प्रसाद निषाद ने स्पष्ट शासनादेश और इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के वावजूद 17 जातियों SC के प्रमाण पत्र न बनाये जाने के विरोध में लिखा राष्ट्रपति जी को पत्र।


श्री रामनाथ कोयिन्द जी भारत कं राष्ट्रपति
राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली
महामहिम राष्ट्रपति जी,

     आपको अवगत कराना है कि उ०प्र० की उपजातियां अनुसूचित जाति की सूची के क्रम सं०-18 में बेलदार, क्रम सं०-36 में गोंड, क्रम सं०-53 में मझधार, क्रम सं०-59 पासी, कम सं०-65 शिल्कार, क्रम सं०-66 में तुरैहा हैं जो कहार, कश्यप, कंवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर. राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी तथा मछुबा उपजातियाँ उपरोक्त जातियों की पर्यायवाची है। क्रम सं०-18. बेलदार के साथ बिन्द, क्रम सं0-36. गोड, गौड, के साथ गोडिया कहार कश्यप, बाथम, क्रम सं०-53. मझबार के साथ मल्लाह, केवट, मांझी, निषाद, मछुवा व क्रम सं०-59 पासी के साथ तरमाली, भर, राजभर, क्रम सं०-65 शिल्कार, कुम्हार, प्रजापति, क्रम सं०-66 तुरैहा कं साथ तुरहा, तुराहा, घीमर, धीवर की पर्यायवाची उपजातियों को दिनांक 22 दिसंबर 2०16 को शासनादेश सं. 234 /2०16/297सी.एम. /26.3.2०16…3(15)/2००7 द्वारा उपरोक्त 17 पिछडी जातियों कहार, कश्यप, कंवट, मल्लग्रह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा. गोडिया, मांझी तथा मछुवा को अनुसूचित जाति के रूप में परिभाषित किया गया था ।
    इस संदर्भ में माननीय उच्च न्यायालय में पीआइंएल (सं. 2129/2०17) दिनांक 24.12०17 को फाइल हुआ जिस पर मा० उच्च न्यायालय द्वारा स्टे लगा दिया गया था जो मा. उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 29.3.2०17 को स्टे हटा दिया गया था। परीक्षणों उपरांत सुसंगत अभिलेखों के आधार पर मा० उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि नियमानुसार उक्त अनुसूचित जाति की उपजातियो को अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र निर्गत किए जाएं।
इस संबंध में उ.प. शासन द्वारा अगदेश सं (153 / 2०19/2580 /26-3-2०19-3 (15)/12००7 टी.रगे.-1 दिनांक 24 जून 2०19) को समस्त मण्डलायुक्त/जिलाधिकारी, उप्र. को उक्त जातियों के अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने हेतु आदेशित किया गया है। लेकिन उक्त शासनादेश एवं मा0 उच्च न्यायालय के आदेश की मण्डलायुक्त/जिलाधिकारियो द्वारा अवहेलना करते हुए उक्त जातियों को अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किए जा रहे हैं। जिससे कारण लोग सरकारी सुविधाओ से वंचित हो रहे हैं।
   अत: आपसे अनुरोध है कि मा० उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के आदेश के क्रम में शासनादेश के अनुपालन हेतु आवश्यक निर्देश देने की कृपा करें ।
धन्यबाद
भवदीय
 (विशम्भर प्रसाद निषाद)
    राज्यसभा सांसद