2019 के लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने भाजपा से समझौता नहीं किया होता तो अगला प्रधनमंत्री मछुआरा समाज का बनता-राकेश वर्मा

2019 के लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने भाजपा से समझौता नहीं किया होता तो अगला प्रधनमंत्री मछुआरा समाज का बनता, यह कहना है मध्यप्रदेश के माझी समाज के जुझारू, संघर्षशील नेता श्री राकेश वर्मा जी का।
     श्री राकेश वर्मा जी ने उज्जैन मध्यप्रदेश से एकलव्य मानव संदेश को भेजे अपने संदेश में कहा है कि राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के बनने से भारत के सम्पूर्ण निषाद मछुआरा वंश में जागरूकता की जबरदस्त लहर चल रही थी। जिसके बाद निषाद पार्टी का गठन राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद जी द्वारा किया गया। लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान अंतिम छड़ों में भाजपा से गठबंधन करके निषाद पार्टी ने मछुआरे समाज के 15 प्रतिशत वोट को भाजपा को दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन यही भूल निषाद मछुआरे समाज के लिए एक अभिशाप बन गई है आज। भाजपा को लोकसभा चुनावों में मिला प्रचण्ड बहुमत इस समाज के हकों पर एक तरह से डाका डालकर पीछे करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। निषाद आरक्षण के लिए सभी स्तर पर निषाद पार्टी से तय कर गठबंधन करने वाली भाजपा की केंद्रीय सरकार का समाज कल्याण मंत्री कहता है कि हम किसी भी कीमत पर उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा सबा दो साल रोके रखने के बाद जारी इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने के शासनादेश को लागू नहीं करने देंगे। और आज यही हो रहा है। इससे पहले 1 जनवरी 2018 को मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने भी माझी समाज के आरक्षण पर रोक लगा दी थी।
     राकेश वर्मा जी माझी आरक्षण के लिए बड़े बड़े आंदोलन मध्यप्रदेश में करने के लिए मशहूर हैं। मध्यप्रदेश के लोग राकेश वर्मा जी को पहलवान के नाम से भी जानते हैं। राकेश वर्मा जी भाजपा से गठबंधन को निषाद पार्टी द्वारा लिये गये निर्णय को गलत मानते हैं। और कहते हैं कि निषाद पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता ने पूरे देश के मछुआरों के लिए राजनीति की एक बड़ी किरण जगाई थी। अगर निषाद पार्टी भाजपा से गठबंधन नहीं करती तो 2024 में देश का प्रधानमंत्री मछुआरे समाज से ही बनता।