अलीगढ़, उत्तर प्रदेश (Aligarh, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) ब्यूरो रिपोर्ट, 10 अगस्त 2019। दुष्टों का संहार करने वाली एकलव्य मानव संदेश की प्रेरणा श्रोत वीरांगना फूलन देवी के जन्मदिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
फूलन देवी जी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव गुढ़ा का पूर्वा में निषाद वंशीय एक मल्लाह के घर हुआ था। फूलन जी की शादी ग्यारह साल की उम्र में हुई थी लेकिन उनके पति और पति के परिवार ने उन्हें छोड़ दिया था।
बीहड़ से लेकर दो बार लोकसभा की सदस्य रहने के साथ उनका जीवन बड़े ही उतार चढ़ाव भरा रहा।
बेहमई में बलात्कारियों को ऐसी सजा दी थी कि आज भी पूरी दुनिया फूलन देवी जी की जय जय कार करती है।
एकलव्य मानव संदेश का शुभारंभ 28 जुलाई 1996 को अलीगढ़ जनपद के कुआरसी ग्राम से हुआ था। इस साप्ताहिक समाचार की प्रेरणा श्रोत फूलन देवी जी ही थीं, जिसका मकसद उनके द्वारा बनाई गई एकलव्य सेना के प्रचार प्रसार को गति देना था। इसीलिए इसके शुभारम्भ के लिए फूलन देवी जी के लिए सहारा देने वाले प्रमुख समाज सेवी चौ. हरफूल सिंह कश्यप जी दिल्ली से चलकर अलीगढ़ आये थे। जब फूलन देवी जी ग्वालियर जेल से 1994 में रिहा हुईं थीं तो चौ. हरफूलसिंह कश्यप जी ही के घर रही थीं।
आज जब देश मे महिलाओं और बच्चियों पर अत्याचार और योन उत्पीड़न की घटनाएं बङ रही हैं तो महिलाओं को बर्बस ही फूलन देवी जी के द्वारा किए गए बेहमई काण्ड की याद ताजा हो जाती है। उनको प्रेरणा देती है कि अत्याचार करने वाले से डरने की नहीं मुकाबला करने की जरूरत होती है। तभी अत्याचार रुक सकता है।
यादव शक्ति के संपादक चंद्रभूषण सिंह यादव
लिखते हैं कि हमारे कई साथी लिख रहे हैं कि झाँसी की रानी को पढ़ाने की बजाय वीरबाला फूलन देवी जी को पढाया जाय, क्योंकि फूलन जी को पढ़ाने से बलात्कार करने से पूर्व बलात्कारी मानसिकता के लोगों को पसीने छूट जायेंगे।
वास्तव में फूलन देवी जी के नाम का ऐसा असर था कि एक बार वे पूर्व सांसद होने पर ट्रेन में बैठ गयी। जल्दबाजी में टिकट नहीं ले पायीं थीं। टिकट कलेक्टर जब टिकट की जाँच करते हुए फूलन जी के पास पंहुचा तो उसने टिकट माँगा। फूलन जी ने टिकट बनाने को कहा। टीटी टिकत बनाने के लिए नाम पूछा तो फूलन जी ने अपना नाम फूलन देवी बताया। फूलन देवी का नाम सुनते ही टीटी टिकट बनाना छोडकर भाग चला और स्टेशन से पूरे फ़ोर्स के साथ फूलन जी के पास पहुंचा। फ़ोर्स सहित टीटी को देखकर फूलन देवी जी ने टीटी से पूछा कि क्यों क्या बात है, तो स्टेशन मास्टर और स्टेशन चौकी इंचार्ज ने कहा कि आप फूलन देवी जी हैं? फूलन देवी जी ने कहा, हाँ, मैंने तो इससे टिकट बनाने को कहा था तो,यह आपलोगों को लेने क्यों चला गया? स्टेशन मास्टर ने कहा कि आपका नाम सुनकर ये डर गये थे। फूलन देवी जी हंसने लगी थी।
फूलन देवी जी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव गुढ़ा का पूर्वा में निषाद वंशीय एक मल्लाह के घर हुआ था। फूलन जी की शादी ग्यारह साल की उम्र में हुई थी लेकिन उनके पति और पति के परिवार ने उन्हें छोड़ दिया था।
बीहड़ से लेकर दो बार लोकसभा की सदस्य रहने के साथ उनका जीवन बड़े ही उतार चढ़ाव भरा रहा।
बेहमई में बलात्कारियों को ऐसी सजा दी थी कि आज भी पूरी दुनिया फूलन देवी जी की जय जय कार करती है।
एकलव्य मानव संदेश का शुभारंभ 28 जुलाई 1996 को अलीगढ़ जनपद के कुआरसी ग्राम से हुआ था। इस साप्ताहिक समाचार की प्रेरणा श्रोत फूलन देवी जी ही थीं, जिसका मकसद उनके द्वारा बनाई गई एकलव्य सेना के प्रचार प्रसार को गति देना था। इसीलिए इसके शुभारम्भ के लिए फूलन देवी जी के लिए सहारा देने वाले प्रमुख समाज सेवी चौ. हरफूल सिंह कश्यप जी दिल्ली से चलकर अलीगढ़ आये थे। जब फूलन देवी जी ग्वालियर जेल से 1994 में रिहा हुईं थीं तो चौ. हरफूलसिंह कश्यप जी ही के घर रही थीं।
आज जब देश मे महिलाओं और बच्चियों पर अत्याचार और योन उत्पीड़न की घटनाएं बङ रही हैं तो महिलाओं को बर्बस ही फूलन देवी जी के द्वारा किए गए बेहमई काण्ड की याद ताजा हो जाती है। उनको प्रेरणा देती है कि अत्याचार करने वाले से डरने की नहीं मुकाबला करने की जरूरत होती है। तभी अत्याचार रुक सकता है।
यादव शक्ति के संपादक चंद्रभूषण सिंह यादव
लिखते हैं कि हमारे कई साथी लिख रहे हैं कि झाँसी की रानी को पढ़ाने की बजाय वीरबाला फूलन देवी जी को पढाया जाय, क्योंकि फूलन जी को पढ़ाने से बलात्कार करने से पूर्व बलात्कारी मानसिकता के लोगों को पसीने छूट जायेंगे।
वास्तव में फूलन देवी जी के नाम का ऐसा असर था कि एक बार वे पूर्व सांसद होने पर ट्रेन में बैठ गयी। जल्दबाजी में टिकट नहीं ले पायीं थीं। टिकट कलेक्टर जब टिकट की जाँच करते हुए फूलन जी के पास पंहुचा तो उसने टिकट माँगा। फूलन जी ने टिकट बनाने को कहा। टीटी टिकत बनाने के लिए नाम पूछा तो फूलन जी ने अपना नाम फूलन देवी बताया। फूलन देवी का नाम सुनते ही टीटी टिकट बनाना छोडकर भाग चला और स्टेशन से पूरे फ़ोर्स के साथ फूलन जी के पास पहुंचा। फ़ोर्स सहित टीटी को देखकर फूलन देवी जी ने टीटी से पूछा कि क्यों क्या बात है, तो स्टेशन मास्टर और स्टेशन चौकी इंचार्ज ने कहा कि आप फूलन देवी जी हैं? फूलन देवी जी ने कहा, हाँ, मैंने तो इससे टिकट बनाने को कहा था तो,यह आपलोगों को लेने क्यों चला गया? स्टेशन मास्टर ने कहा कि आपका नाम सुनकर ये डर गये थे। फूलन देवी जी हंसने लगी थी।
यह घटना फूलन जी के नाम का असर बताने को काफी है। इसलिए निश्चय ही यदि फूलन देवी जी को पढ़ाया जाय तो जुर्म करने वालो के पसीने छूट जायेंगे और कमजोर भी बहादुर हो जायेगा।एकलव्य मानव संदेश परिवार की ओर से फूलन देवी जी के जन्मदिन की आप सभी को बहुत बहुत बधाई।