न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण चंदौली में अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने से किया मना

सकलडीहा, चंदौली, उत्तर प्रदेश (Sakaldiha, Chandauli, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) ब्यूरो रिपोर्ट, 5 अगस्त 2019। न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण चंदौली में अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने से किया मना।
     जिला चंदौली की सकलडीहा तहसील में न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए मना कर दिया गया।
     
       ज्ञात हो 21 दिसम्बर और 22 दिसम्बर 2016 को तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने 17 जातियों को अनुसूचित जाति में परिभाषित करते हुए प्रमाण पत्र जारी कर अनुसूचित जाति का लाभ प्राप्त करने के लिए शासनादेश जारी किया था। जिसको अम्बेडकर ग्रंथालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनवरी माह में रोक लगा दी थी, लेकिन 29 मार्च 2017 को इस रोक को इस शर्त पर  हटा दिया था कि जो भी प्रमाण पत्र बनेंगे वो कोर्ट के निर्णय से प्रभावित होंगे। 12 जून और 24 जून 2019 को सबा 2 साल बाद उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश को लागू करने के लिए शासनादेश जारी किए थे। जिसके बाद 17 जातियों के लोग अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र बनबाने के लिए आवेदन कर रहे हैं। कुछ एक जिलों में कुछ एक लोगों को छोड़कर अधिकांश जगह तहसील से प्रमाण पत्र जारी नहीं किये जा रहे हैं इससे लगता है कि खुद भाजपा सरकार ही नहीं चाहती है कि इन जातियों के अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र बनें।



क्योंकि 12 जून और 24 जून 2019 के शासनादेश निषाद पार्टी और भाजपा के लोकसभा चुनाव पूर्ण समझौते के अनुसार जारी किए गए थे, जिनका वायदा खुद उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने गोरखपुर में निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए किया था। लेकिन अब लगता है कि सरकार इन जातियों के साथ धोखा दे रही है। क्योंकि 12 जून और 24 जून के शासनादेश अभी तक NIC पर अपलोड नहीं हुए हैं।