क्या निषाद SC आरक्षण पर भाजपा की सरकारें जानबूझकर धोखा दे रहीं हैं ?

अलीगढ़, उत्तर प्रदेश (Aligarh, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) ब्यूरो रिपोर्ट, 12 अगस्त 2019। क्या निषाद SC आरक्षण पर भाजपा की सरकारें जानबूझकर धोखा दे रहीं हैं ?
   21 और 22 दिसम्बर 2016 को शासनादेशों के माध्यम से तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश की 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति के का लाभ देने के लिए निर्देश जारी किए थे। इस आदेश के खिलाफ अम्बेडकर ग्रंथालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी और इनका इम्प्लीमेंटेशन रुक गया। लेकिन 29 मार्च 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाई गई रोक को हटा लिया और शर्तानुसार प्रमाण पत्र जारी रहने के लिए कहा। लेकिन तभी चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई। और भाजपा की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को ही लागू नहीं करने दिया। लेकिन अब जब 2019 के लोकसभा चुनावों में निषाद पार्टी औऱ भाजपा ने चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन किया तो निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद जी ने घोषणा की कि निषाद पार्टी ने भाजपा नेतृत्व के सामने पहली शर्त ही निषाद आरक्षण लागू करने और निषाद आरक्षण के लिए जेल गए लोगों और आरक्षण के आंदोलन के कारण पुलिस और सरकार द्वारा लगाए गए निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं पर मुकद्दमे वापिस लेने की रखी है। और दूसरी शर्त लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी के प्रतिनिधित्व की है।
   अब जब निषाद पार्टी के पूरे देश के कार्यकर्ताओं ने मेहनत करके भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में 17 जातियों के करोड़ों वोट दिलाने में जोरदार मेहनत की है तो उनकी पहली और महत्वपूर्ण मांग को पूरा करने के लिए भाजपा नेतृत्व को भी ईमानदारी दिखानी चाहिए। 
   लेकिन जब निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संत कबीर नगर के सांसद ईं. प्रवीण कुमार निषाद जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी पर 17 जातियों के आरक्षण के मुद्दे को लागू करने के लिए दबाब बनाया तो सरकार ने बड़ी मुश्किल से सबा दो साल बाद अपने द्वारा ही रोके रखे गए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को जारी करने के लिए 12 जून और 24 जून 2019 को शासनादेश जारी किए। पहले तो ये शासनादेश ही जिलों को नहीं भेजे गए लेकिन बड़ी मुश्किल से 3 जुलाई 2019 को 24 जून के GO को ईमेल से जिलाधिकारी और मंडलायुक्त को पूरे उत्तर प्रदेश में भेजा गया। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार की पोर्टल पर इनको अपलोड करने और 17 जातियों को पिछड़े वर्ग की सूची से हटाने के लिए भी इसमें आदेश दिया गया। 
     लेकिन जैसे ही 27 जून को यह बात मीडिया पर दिखाई दी तो बसपा और इन 17 जातियों के आरक्षण के विरोधी सक्रिय हो गए। राज्यसभा में बसपा के राष्ट्रीय महा सचिव सतीश मिश्रा ने 17 जातियों के आरक्षण के GO पर सरकार से सबाल कर दिया, जिस पर केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलौत (जाटव) ने आपत्ति जता दी और कह दिया कि इस तरह के किसी GO को लागू ही नहीं होने दिया जाएगा। थावरचंद गहलौत जी ने यह बात किसके इशारे पर कही ? जब थावरचंद गहलौत को लगा की मेरी खिचाई हो सकती है तो दूसरे दिन राज्य सभा में किलियर किया कि अगर उत्तर प्रदेश सरकार ऐसा कोई प्रस्ताव भेजेगी तो केंद्र उस पर विचार करेगा। लेकिन क्या उत्तर प्रदेश सरकार ने इन 17 जातियों के आरक्षण को लागू करने के लिए अभी तक केंद्र सरकार को कोई प्रस्ताव भेजा है या नहीं ?
     लेकिन अभी लोकसभा सत्र के दौरान यह देखने को मिला कि ईं. प्रवीण कुमार निषाद, रमेश चंद्र बिन्द और विशम्भर प्रसाद निषाद जी ने जब लोकसभा में 17 जातियों के आरक्षण के मुद्दे पर सही तरीके से अपनी बात रखनी चाही तो पीठ ने उनकी बात ही पूरी नहीं होने दी। जब सरकार 17 जातियों के सांसदों से पूरी बात लोकसभा में और राज्यसभा में रखने ही नहीं दे रही है तो उस सरकार से हम 17 जातियों के आरक्षण को लागू करने की उम्मीद कैसे लगा सकते हैं। क्योंकि पिछली भाजपा की मोदी सरकार ने 17 जातियों के आरक्षण के लिए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्तावों को भी मंन्त्री थावरचंद गहलौत के द्वारा वापिस कर दिया था। 

( 2019 के संसद के मानसून में सत्र लोक सभा में भाजपा सांसद ईं.प्रवीण कुमार निषाद-सांसद संत कबीर नगर को बोलते हुए देखें https://youtu.be/XzQVDHUA6cE )

(भाजपा सांसद रमेश चंद्र बिन्द-सांसद भदोही को बोलते हुए देखें   https://youtu.be/NmOWuwuH5A0 )

राज्य सभा में सपा सांसद विशम्भर प्रसाद निषाद जी को बोलते हुए देखें
       ( https://youtu.be/1VqGHkG4EDI )

इससे पहले पिछले वर्ष और पिछली मोदी सरकार के समय भी मानसून सत्र में 22 जुलाई को जब तत्कालीन गोरखपुर के सांसद ईं. प्रवीण कुमार निषाद ने 17 जातियों के आरक्षण का मुद्दा उठाया था तबकी लोकसभा अध्यक्ष ने प्रवीण कुमार निषाद को बोलने नहीं दिया था 
      https://youtu.be/jPnXfumNxQw )


      अब जब 2019 के चुनाव हो गए हैं और उत्तर प्रदेश और केंद्र में भाजपा की मजबूत सरकारें बनाने में 15 प्रतिशत वोट बैंक वाली 17 जातियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तो फिर इस समाज के आरक्षण को लागू करने के लिए सरकार लोकसभा, राज्य सभा में ढंग से बहस और बात क्यों नहीं करती है ? क्योंकि यह समाज कमजोर और अत्यन्त पिछड़ा हुआ है और कमजोर नेतृत्व का शिकार रहा है, इसलिए ?
    एक बात समझ में आती है कि भाजपा की सरकारें पूरे देश में इन जातियों के गुलाम नेतृत्व को पसंद करती हैं, न कि मजबूत नेतृत्व को। अगर आप मजबूत नेतृत्व कर सकते हैं तो आपको कमजोर होने के लिए मजबूर करने में भाजपा अपनी सभी चाल चला देगी। जैसा आज लगभग 2 माह बाद भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के लागू कराने के शासनादेश को लागू नहीं होने पर निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.संजय कुमार निषाद जी (जो निषाद आरक्षण आंदोलन के सबसे बड़े हीरो रहे हैं) भाजपा की निषाद आरक्षण विरोधी नीयत पर सबाल नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उनका बेटा ईं. प्रवीण कुमार निषाद आज भाजपा से सांसद है। और नहीं प्रवीण कुमार निषाद भाजपा नेतृत्व पर यह जोर दे पा रहे हैं कि निषाद एससी आरक्षण को लागू अगर नहीं किया जा रहा है तो मैं लोकसभा सीट से त्यागपत्र दे रहा हूँ। क्योंकि आज निषाद पार्टी के लिए आरक्षण आंदोलन शायद प्राथमिकता में नहीं रह गया है। डॉ. संजय कुमार निषाद जी भाजपा नेतृत्व को बिना नाराज किये ही आरक्षण को लागू कराने के लिए प्रयास कर रहे हैं, जिससे भाजपा आज असहज नहीं हो पा रही है। 
    इस लिए निषाद आरक्षण के लिए राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के बैनर तले अपनी जान कुर्वान करने वाले वीर शहीद अखिलेश कुमार निषाद की आत्मा की आवाज़ के सहारे भाजपा सरकार की निषाद मछुआरों के आरक्षण विरोधी नीति के विरोध में और उत्तर प्रदेश की 17 जातियों के आरक्षण सहित मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ की माझी जनजाती और बिहार व झारखंड के मछुआरा, मल्लाह, बिन्द, केवट व राजस्थान की कीर, कहार, आदि के आरक्षण को लागू कराने के लिए 19 अगस्त को इन राज्यों में एकलव्य आर्मी सभी जिलों में जिलाधिकारियों को भारत के राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देगी। सभी शुभ चिंतकों से अनुरोध है कि आप 19 अगस्त को 10.30 बजे अपने अपने जिलाधिकारी के कार्यालय पर भारी संख्या में पहुंच कर अपनी बात को मजबूत तरीके से सरकार तक पहुंचाने में सहयोगी बनें।