नाथ या गुलामी

अलीगढ़, उत्तर प्रदेश (Aligarh, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) की सभार रिपोर्ट, 12 जनवरी 2020। एक कदम नाथ (गुलामी) शब्द की ओर--- "नाथ या गुलामी"
    जिस प्रकार जानवरों को काबू में करने के लिए उनकी नाक में छेद करके रस्सी डाली जाती है।फिर चाबुक के डर और रस्सी के खींच और ढील से वो अपने "मालिक" की अनचाही गुलामी करने को मजबूर होता है। इसी तरह "इंसान" को "गुलाम" बनाने के लिए जो रस्सी है उसे "धर्म" कहते हैं। जिसमें रस्सी डाली जाएगी उस छेद को "आस्था" कहते हैं और जिस "चाबुक" से हांका जाता है उसे "ईश्वर" कहते हैं।
      ऐसे "गुलाम इंसान" जानवरों से भी बद्तर हैं क्योंकि, "जानवर" अपने "नाथ" से नफरत करता है और उसे छुड़ाने की कोशिश उम्र भर जारी रखता है पर "गुलाम इंसान" तो अपनी "नाथ" से प्यार करता है। जो भी  इसको छुड़ाने की कोशिश करता है ये उसी पर "हिंसक" हो जाते हैं।
      इसलिए कोई भी शासक "आस्था" नामक छेद को ठीक करने की कोशिश नहीं करता। शासक ये सोचते हैं कि अगर वे कोशिश करेंगे तो उनकी सत्ता चली जाएगी।
    इस बात पर और संसार के चलन पर ध्यान देंगे तो आप भी समझ सकते हैं कि ऐसे गुलामों को आजाद नहीं करवाया जा सकता जो अपनी नाथ से प्रेम करते है।
अंधविश्वास पाखण्ड मिटाओ।
मानवता की ज्योति जलाओ!!
जय संविधान!!