जब गुनाह की सज़ा जाति देखर तय होने लगे तो समझ लीजिए गदर का वीज अंकुरित हो रहा है!!

अलीगढ़, उत्तर प्रदेश (Aligarh, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sanded) ब्यूरो रिपोर्ट, 31 जनवरी 2020। जब गुनाह की सज़ा जाति देखर तय होने लगे तो समझ लीजिए गदर का वीज अंकुरित हो रहा है!! फरुखाबाद में बाथम को पुलिश ने घर में घेर कर इंकॉन्टर किया तो, पुलिस के सामने बाथम के बीबी को भी गांव के लोगों ने पीट पीटकर मार डाला!
   दिल्ली में एक को इस लिए गोली नहीं मारी की वह पुलिस और हज़ारों लोगों के ऊपर फायरिंग झोंक हरा था।


अंतर बहुत ज्यादा नहीं है। बस इतना है कि एक बंचित वर्ग राम को पार उतारने वाला केवट व बाथम था एक शाशक वर्ग रामभक्त पर ब्राह्मण था।
    गोपाल शर्मा ने जामिया में पुलिस के सामने गोली चलाई, पुलिस चाहती तो उसको पहले ही पकड़ लेती। लेकिन जिसके हाथ में भारत का संविधान होता है, उसको पुलिस तुरंत पकड़ लेती है। क्योंकि इनको व इनके आकाओं को संविधान से ज्यादा खतरा है। मूलवासियो समय रहते समझ लो, यही इनका रामराज्य/हिंदूवाद है। एससी, एसटी, ओबीसी के साथ व इनकी महिलाओं के साथ कितने अत्याचार /कांड हो रहे हैं, जिनकी रिपोर्ट तक नहीं लिखी जा रही है।
    ये जो दहसतगर्दी है,
      उसके पीछे वर्दी है,,
यही दिल्ली पुलिस कुछ दिन पहले बिना पर्मिशन के जामिया में घुसकर मारपीट, तोड़फोड़ करती है और आज पीछे हाँथ बाँधे तमाशा देख रही है।
    ये आरएसएस और गोडसे की साजिश है

जब मोदी जी बेशर्म होकर सार्वजनिक सभा में हजारों लोगों की भीड़ के सामने कहते हैं कि आप कपड़े देखकर भी दंगाइयों को पहचान सकते हैं। जब संविधान की शपथ लेने वाले केंद्रीय मंत्री नारा देते हैं कि 'गोली मारो सालो को' तो दरअसल वो कह रहे होते है 'नाम ही काफी है'। ऐसे में किसी 'रामभक्त गोपाल' जरूर सामने आना ही है इसमे आश्चर्य की क्या बात है?
    यह गोपाल ओर कोई नहीं है। यह हेट स्पीच की पैदाइश है, जो लगातार सालों तक गोपाल जैसे लोगों के दिमाग में जहर इंजेक्ट किया गया है। आपको याद होगा कि पिछले चुनाव में हर बार मोदी अपने भाषणों में फर्स्ट टाइम वोटर्स का जिक्र करते थे। फर्स्ट टाइम वोटर 18 से 22 वर्ष का वोटर है जो पहली बार वोट देने जा रहा है। यह वोटर सोशल मीडिया के आने के पहले अपने परिवार की परंपरा के आधार पर वोट डाला करता था। लेकिन अब वह अपने मन मर्ज़ी से वोट डालता है। उसे भाजपा आईटी सेल द्वारा व्हाट्सएप और फेसबुक जैसी सोशल साइट्स के माध्यम से लगातार समाज में घृणा फैलाने वाला फेंक मटेरियल पुहंचाया गया है।
   कभी आप लोकल बसों में, ट्रेनों में सफर करते, सड़कों के किनारे खड़े युवाओं की मोबाइल स्क्रीन में झाँक कर देखिए, उन्हें क्या दिखाया जा रहा है ? हर तरह का मटेरियल चाहे वह आईटी सेल के हों, चाहे फेक न्यूज़ हों, चाहे नफरत फैलाने वाले भाषण हों या कोई अन्य तरह के वीडियो हों या कोई भी टेक्स्ट मेसेज हो, उनमें बस एक ही बात रहती है दूसरे सम्प्रदाय प्रति घृणा का भाव। इस घृणा के भाव को देश का मीडिया निरंतर खाद पानी देता रहता है। न्यूज़ चैनलों की बहस में एंकर्स का आप रुख देखिए वह किस तरह का हिडन एजेंडा पोषित करते हैं। इसके साथ जो बीजेपी का आईटी सेल जिस तरह से प्रोफेशनल सांटिफिक एप्रोच के साथ नए युवाओं को खास तरह का मटेरियल पुहंचाता है, वह एक तरह का डेडली कॉम्बिनेशन है।
    अमित शाह सार्वजनिक रूप से यह कई बार बता चुके हैं कि उनका सोशल मीडिया संगठन इतना मजबूत है कि वो जैसा चाहें, वैसा संदेश जनता तक पहुंचा सकते हैं।
    दरअसल बीजेपी की सोशल मीडिया समूह हर तरह के हेट मटेरियल को गढ़ता है, डिजाइन करता है, क्रियान्वित करता है। और उसे अपने डाटा एनेलिटिक्स के हिसाब से सही जगह पुहचाता है।
    इस रामभक्त गोपाल को आप सिर्फ शुरुआत ही समझें। अभी तो बहुत से बाल-गोपाल और तैयार हो गए हैं और सामने आने वाले हैं।
     अपराध किसी भी सभ्य समाज का हिस्सा नहीं हो सकता न ही, किसी भी अपराध को तार्किक ठहराया जा सकता। किन्तु भारत के सिस्टम में इतने छेद हैं, जो अपने ही नागरिकों को अपराधी बनाने को मजबूर करता है। इतना ही नहीं अपराधी की जाति धर्म देखकर उसका जस्टिफिकेशन करता है। वर्ष 1980 के दशक में इसी सिस्टम में 21 गोलियां मारकर बहन फूलनदेवी विश्व की चौथी क्रांतिकारी महिला बन गयी थी। हजारों सालों से धर्म के आधार पर शिक्षा से वंचित करने वाली मानसिकता स्वयंभू लोगो में आज भी विद्धमान है। देश में शिक्षा से वंचित किये गए लोगो को आज भी सिस्टम से लड़ना नहीं आता। यही कारण है कि वह सिस्टम में शिक्षित अपराधियों द्वारा आपराधिक षड्यंत्र का शिकार होकर अपराधी कहलाते हैंं।
    दिनांक 31 जनवरी 2020 को देश में दो घटनाएं घटित हुईं, जिसमें उत्तरप्रदेश के जनपद फरुखाबाद में सुभाष बाथम को बच्चों को बंधक बनाने के अपराध में एनकाउंटर कर दिया गया। समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ कि अशिक्षित अपराधी सुभाष बाथम सिस्टम से परेशान था तथा सिस्टम के लोगों द्वारा लगभग एक वर्ष से सताया जा रहा था। जिसे शिक्षित अपराधियों ने अपराध के जुर्म में झटपट निपटा दिया, जिसके लिये मुख्यमंत्री जी ने राहत की सांस ली और जिसको लोगों ने सराहा। सुभाष बाथम अशिक्षित था, सिस्टम में छिपे अपराधियों के आपराधिक षड़यंत्र  से लड़ना नहीं जानता था। यही वजह थी कि सुभाष बाथम अपराध की ओर अग्रसर हुआ। किन्तु सिस्टम में घुसे उन शिक्षित अपराधियों का क्या करेगी सरकार जिनके कारण लोग अपराधी बनते हैं। मुझे इंतजार रहेगा सरकार से इस सिस्टम के अपराधियों को कब गोली मारेगी।