जुल्म के खिलाफ लड़ने के बजाय ज़ालिम के सामने झुक जाना "हिकमत" नहीं "नामर्दी" है

अलीगढ़, उत्तर प्रदेश (Aligarh, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) एडिटोरियल (Editorial)। जुल्म के खिलाफ लड़ने के बजाय ज़ालिम के सामने झुक जाना "हिकमत" नहीं "नामर्दी" है। 
              ( ये पिछले साल के समाचार पत्र की फ़ोटो है, जिसमें डॉ. संजय निषाद ने भाजपा से निषाद पार्टी के गठबंधन के लाभों के बारे मीडिया को बताया और यही प्रचार करके करोड़ों रुपया भाजपा से ऐंठने के साथ अपने बेटे को सांसद बनाया और आज समाज को गुमराह करने के लिए जगह जगह सभा करते घूम रहे हैं)
       आज उत्तर प्रदेश की मझबार, तुरैहा, गौंड, बेलदार की पुकारू जातियों के आरक्षण पर सबसे बड़ा धोखा देने वाली भाजपा का अपने परिवार की तरक्की के लिए साथ देने वाला "महा ठग", "महा धूर्त" डॉ. संजय कुमार निषाद ने इटावा के "वीर शहीद अखिलेश निषाद", गाज़ीपुर के "हरनाथ बिन्द", और सुल्तानपुर की "कंचन निषाद" की सहादत को बर्बाद करने का काम किया है। ऐसे नेता जो "समाज के पैसे से अपना परिवार मजबूत करने, अपने बेटों को राजनीति में स्थापित करने में लगा है, वह कभी भी इस समाज को हक़ अधिकार नहीं दिला सकता है"।
    आज डॉ. संजय कुमार निषाद केवल कुछ नौकरी पर रखे हुए बेरोजगार लोगों के माध्यम से गांव-गांव अनपढ़, भोली भाली निषाद वंश की जनता को गुमराह कर जिला पंचायत और प्रधानी के चुनाव में बेचने के लिए मेहनत कर रहा है। अगर इतनी मेहनत यह भाजपा को चुनौती देने के लिए करता कि, भाजपा को निषाद पार्टी के आरक्षण और आरक्षण के आंदोलनकारियों पर लगे मुकद्दमे वापिस लेने के वायदे के गठबंधन के कारण निषाद वंश का वोट मिला था को लागू करे और अगर भाजपा की केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकरें मझबार, तुरैहा, गौंड, बेलदार की पुकारू जातियों के आरक्षण को लागू नहीं कर रहे हैं तो हम आपके विरोध में फिर से आंदोलन करेंगे। लेकिन इस महा धूर्त ने आज तक भाजपा के आरक्षण पर धोखा देने के खिलाफ एक शब्द सार्वजनिक रूप से नहीं बोला है, क्यों ?
    वीर शहीद अखिलेश निषाद के पिता आत्मराम निषाद जी की डॉ. संजय कुमार निषाद से यह मांग कि मैंने अपना इकलौता बेटा निषाद वंश के आरक्षण के लिए कुर्बान कर दिया तो, आज आपका बेटा, मेरे बेटे की शहादत से मिला मझबार, गौंड, तुरैहा, बेलदार की पुकारू 17 जातियों के आरक्षण के 22 दिसम्बर 2016 के शासनादेश को खत्म करने वाली, महा धोखेबाज भाजपा के सांसद की अपनी सीट से त्याग पत्र देने की घोषणा इस लोकसभा के बजट सत्र क्यों नहीं कर रहा है ?  और आप सार्वजनिक रूप से भाजपा की आरक्षण पर धोखेबाजी पर क्यों नहीं बोल रहे हो ? दोनों हाथों में लड्डू रखने से आप समाज का हित नहीं कर सकते हो। हाँ बर्बाद जरूर कर सकते हो।