अलीगढ़, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में जमकर जातिवाद हो रहा है। इसी का नतीजा है प्रदेश में बीजेपी की योगी सरकार जमकर सरकारी महकमों में ब्राहमणों की नियुक्तियां कर रही है।
बुधवार 18 मार्च को योगी सरकार की तरफ़ से उन्नाव जिले में शासकीय अधिवक्ताओं की 9 नियुक्ति की गई हैं। इन 9 पदों में 8 नियुक्तियां ब्राहमण जाति से की हैं, जबकि एक नियुक्ति कायस्थ जाति से की गई है। ओबीसी, एससी/एसटी और अल्पसंख्यकों का नामों निशान तक नहीं है। इसके बाद भी पूरी बीजेपी के बड़े नेता और योगी सरकार ‘महात्मा’ बनकर मीडिया के सामने बयान दे देंगे कि हमारी सरकार न जातिवाद करती है और न जातिवाद को बढ़ावा देती है। सच्चाई तो ये है कि बीजेपी की सरकार में जमकर जातिवाद किया जा रहा है।
उन्नाव में नियुक्त किए गए अधिवक्ताओं के नाम शैलजा शरण शुक्ला (जिला शासकीय अधिवक्ता राजस्व), योगेन्द्र कुमार तिवारी (जिला शासकीय अधिवक्ता राजस्व), विनोद कुमार त्रिपाठी (जिला शासकीय अधिवक्ता दीवानी), चन्द्रिका प्रसाद वाजपेयी (अपर जिला शासकीय अधिवक्ता दीवानी), प्रशांत त्रिपाठी (सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दीवानी), अनिल त्रिपाठी (जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी), प्रदीप श्रीवास्तव (सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी), हरीश अवस्थी (सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी) और विनय शंकर दीक्षित ( सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी) हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में जातिवाद को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश ने लोकसभा चुनाव के दौरान अपने भाषण में कहा था कि, “हमपर बीजेपी ने आरोप लगाया कि हमारी सरकार ने भेदभाव किया था। बीजेपी ने कहा था कि ये यादवों की सरकार है। लेकिन योगी सरकार में इस समय एक भी डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर (डीएम) और एसपी यादव नहीं हैं। बीजेपी से बड़ी जातिवादी पार्टी इस देश में कोई नहीं है। जिसने जाति और धर्म में बांटा। जैसे अंग्रेज करते थे वैसे ही बीजेपी बांटो और राज करो करती है।“