अलीगढ़, उत्तर प्रदेश (Aligarh, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) रिपोर्टर उमेश कुमार निषाद द्वारा रिपोर्ट किया गया, 28 मार्च 2020।
कहीं नहीं भगवान रे....
एक कोरोना ने समझाया,
सबको सबक महान रे !
अब तो छोड़ो मंदिर मस्जिद,
कहीं नहीं भगवान रे !!
धंधे के षङयंत्र बने सब,
पंडो की गद्दारी है !
मौलवियों की दहशत और,
पोपों की मक्कारी है !!
पोल खुली सब पाखंडों की,
इनकी बंद दुकान रे......
अब तो छोड़ो मंदिर मस्जिद,
कहीं नहीं भगवान रे !!
अब तो सावधान हो जाओ,
सदियों के षङयंत्रों से !
शिक्षा का कुछ असर दिखाओ,
दूर रहो इन मंत्रों से !!
ये ही तो सारे व्यभिचारों,
की जड़ हैं पहचान रे.....
अब तो छोड़ो मंदिर मस्जिद,
कहीं नहीं भगवान रे !!
हर विपदा में संग खड़ा है,
दुनिया में केवल विज्ञान !
धरे रह गये शबद कीर्तन,
कथा आरती और अजान !!
हम तो पहले कहते आये,
अब तो आखिर मान रे.......
अब तो छोड़ो मंदिर मस्जिद,
कहीं नहीं भगवान रे !!
कवि लोकेन्द्र ज़हर
(साभार प्रकाशित)
एक कोरोना ने समझाया,
सबको सबक महान रे !
अब तो छोड़ो मंदिर मस्जिद,
कहीं नहीं भगवान रे !!
धंधे के षङयंत्र बने सब,
पंडो की गद्दारी है !
मौलवियों की दहशत और,
पोपों की मक्कारी है !!
पोल खुली सब पाखंडों की,
इनकी बंद दुकान रे......
अब तो छोड़ो मंदिर मस्जिद,
कहीं नहीं भगवान रे !!
अब तो सावधान हो जाओ,
सदियों के षङयंत्रों से !
शिक्षा का कुछ असर दिखाओ,
दूर रहो इन मंत्रों से !!
ये ही तो सारे व्यभिचारों,
की जड़ हैं पहचान रे.....
अब तो छोड़ो मंदिर मस्जिद,
कहीं नहीं भगवान रे !!
हर विपदा में संग खड़ा है,
दुनिया में केवल विज्ञान !
धरे रह गये शबद कीर्तन,
कथा आरती और अजान !!
हम तो पहले कहते आये,
अब तो आखिर मान रे.......
अब तो छोड़ो मंदिर मस्जिद,
कहीं नहीं भगवान रे !!
कवि लोकेन्द्र ज़हर
(साभार प्रकाशित)