19 जून 2020।
द हिंदू ने सेना से जुड़े सूत्रों के हवाले से कहा है कि चीन ने पकड़े गए 10 भारतीय सैनिकों को गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के बाद रिहा कर दिया है।
मेजर जनरल स्तर की वार्ता के बाद भारतीय सैनिकों को छोड़ा गया। इनमें एक लेफ्टिनेंट कर्नल और तीन मेजर भी शामिल थे।
भारत ने 18 जून को जारी एक बयान में कहा है कि उसका कोई सैनिक लापता नहीं है। द हिंदू के मुताबिक चीन ने भारतीय सैनिकों को गुरुवार शाम पांच बजे छोड़ा है।
15-16 जून की रात को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में बीस भारतीय सैनिक मारे गए हैं। भारत के 78 सैनिक घायल भी हुए हैं जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।
वहीं चीन ने हताहत हुए अपने सैनिकों की संख्या जारी नहीं की है।
सेना चाहती है सीमित कार्रवाई
द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सेना के कुछ अधिकारियों का मानना है कि चीन को जवाब देने के लिए सीमित सैन्य कार्रवाई ज़रूरी है। हालांकि ये पूरी तरह राजनीतिक फ़ैसला होगा।
चीन ने पूर्वी लद्दाख में अपनी सेना की मौजूदगी बढ़ाई है। द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सेना के पास पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी को भारतीय इलाक़ों से ज़बरदस्ती हटाने और चोटियों को सुरक्षित करने या 1999 में कारगिल में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 'कैलिब्रेटेड संघर्ष' जैसी लड़ाई तक का विकल्प है।
साथ ही राजनीतिक, आर्थिक और राजनयिक विकल्प तो हैं ही। हालांकि ये अहसास भी है कि चीन पाकिस्तान नहीं है और चीन सैन्य संख्याबल और ताक़त में भारत से ऊपर है।
भारत ने चीन से कहा अपनी सीमा में रहो
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने लद्दाख की गलवान वैली पर अपना दावा मज़बूत करते हुए भारत ने चीन से कहा है कि बढ़ा-चढ़ाकर और बेबुनियाद दावे करना 6 जून को सैन्य कमांडरों के बीच हुई वार्ता में बनी सहमति के ख़िलाफ़ है।
भारत ने चीन से कहा है कि सीमा पर प्रबंधन के प्रति भारत का रवैया ज़िम्मेदार है और भारत की सभी गतिविधियां लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के भारतीय क्षेत्र में ही हैं।
भारत ने चीन से कहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि चीन अपनी गतिविधियों को लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के अपनी ओर तक ही सीमित रखेगा।
भिड़ंत के बाद से डटी हैं सेनाएं
द हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत और चीन के बीच लद्दाख में चार बिंदुओं पर गतिरोध बरकरार है। 15-16 जून की रात को हुए हिंसक संघर्ष के बाद से ही दोनों देशों की सेनाएं वहीं डटी हैं और पीछे नहीं हटी हैं।
एक ओर जहां दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर पर बातचीत चल रही है, वहीं दूसरी ओर मिलिट्री इंटेलिजेंस से पता चला है कि 6 जून को सैन्य स्तर में हुई बातचीत में तय की गई पीछे हटने की योजना का चीन की सेना ने पालन नहीं किया है और वो वहीं है जहां थी।
(साभार बीबीसी हिंदी)
द हिंदू ने सेना से जुड़े सूत्रों के हवाले से कहा है कि चीन ने पकड़े गए 10 भारतीय सैनिकों को गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के बाद रिहा कर दिया है।
मेजर जनरल स्तर की वार्ता के बाद भारतीय सैनिकों को छोड़ा गया। इनमें एक लेफ्टिनेंट कर्नल और तीन मेजर भी शामिल थे।
भारत ने 18 जून को जारी एक बयान में कहा है कि उसका कोई सैनिक लापता नहीं है। द हिंदू के मुताबिक चीन ने भारतीय सैनिकों को गुरुवार शाम पांच बजे छोड़ा है।
15-16 जून की रात को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में बीस भारतीय सैनिक मारे गए हैं। भारत के 78 सैनिक घायल भी हुए हैं जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।
वहीं चीन ने हताहत हुए अपने सैनिकों की संख्या जारी नहीं की है।
सेना चाहती है सीमित कार्रवाई
द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सेना के कुछ अधिकारियों का मानना है कि चीन को जवाब देने के लिए सीमित सैन्य कार्रवाई ज़रूरी है। हालांकि ये पूरी तरह राजनीतिक फ़ैसला होगा।
चीन ने पूर्वी लद्दाख में अपनी सेना की मौजूदगी बढ़ाई है। द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सेना के पास पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी को भारतीय इलाक़ों से ज़बरदस्ती हटाने और चोटियों को सुरक्षित करने या 1999 में कारगिल में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 'कैलिब्रेटेड संघर्ष' जैसी लड़ाई तक का विकल्प है।
साथ ही राजनीतिक, आर्थिक और राजनयिक विकल्प तो हैं ही। हालांकि ये अहसास भी है कि चीन पाकिस्तान नहीं है और चीन सैन्य संख्याबल और ताक़त में भारत से ऊपर है।
भारत ने चीन से कहा अपनी सीमा में रहो
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने लद्दाख की गलवान वैली पर अपना दावा मज़बूत करते हुए भारत ने चीन से कहा है कि बढ़ा-चढ़ाकर और बेबुनियाद दावे करना 6 जून को सैन्य कमांडरों के बीच हुई वार्ता में बनी सहमति के ख़िलाफ़ है।
भारत ने चीन से कहा है कि सीमा पर प्रबंधन के प्रति भारत का रवैया ज़िम्मेदार है और भारत की सभी गतिविधियां लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के भारतीय क्षेत्र में ही हैं।
भारत ने चीन से कहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि चीन अपनी गतिविधियों को लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के अपनी ओर तक ही सीमित रखेगा।
भिड़ंत के बाद से डटी हैं सेनाएं
द हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत और चीन के बीच लद्दाख में चार बिंदुओं पर गतिरोध बरकरार है। 15-16 जून की रात को हुए हिंसक संघर्ष के बाद से ही दोनों देशों की सेनाएं वहीं डटी हैं और पीछे नहीं हटी हैं।
एक ओर जहां दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर पर बातचीत चल रही है, वहीं दूसरी ओर मिलिट्री इंटेलिजेंस से पता चला है कि 6 जून को सैन्य स्तर में हुई बातचीत में तय की गई पीछे हटने की योजना का चीन की सेना ने पालन नहीं किया है और वो वहीं है जहां थी।
(साभार बीबीसी हिंदी)