कोरोना अभी बद से बदतर होगा, वैक्सीन और इम्युनिटी से भी निराशा-WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि अगर ठोस क़दम नहीं उठाया गया तो कोरोना वायरस की महामारी बद से बदतर होती जाएगी।
WHO प्रमुख डॉ. टेड्रोस एडनॉम गेब्रियेसस ने कहा कि दुनिया के कई सारे देश कोरोना से निपटने के मामले में ग़लत दिशा में जा रहे हैं। डॉ. टेड्रोस ने कहा कि कोरोन वायरस से संक्रमण के नए मामले बढ़ रहे हैं और इससे साबित होता है कि जिन एहतियात और उपाय की बात की जा रही है, उनका पालन नहीं किया जा रहा है।
    उत्तरी और दक्षिणी अमरीका इस महमारी की चपेट में अभी सबसे बुरी तरह से हैं। अमरीका में स्वास्थ्य विशेषज्ञों और राष्ट्रपति ट्रंप में चल रही तनातनी के बीच संक्रमण के नए मामले लगातार तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
    जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के डेटा के अनुसार अमरीका अभी कोरोना की मार सबसे ज़्यादा झेल रहा है। यहां अब तक 33 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं और एक लाख 35 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
  सोमवार को जिनेवा में प्रेस वार्ता के दौरान डॉ. टेड्रोस ने कहा कि दुनिया भर के नेता जिस तरह से महामारी से निपटने की कोशिश कर रहे हैं उससे लोगों का भरोसा कम हुआ है।
डॉ. टेड्रोस ने कहा, ''कोरोना वायरस अब भी लोगों का नंबर वन दुश्मन है लेकिन दुनिया भर की कई सरकारें इसे लेकर जो क़दम उठा रही हैं, उससे ये आभास नहीं होता है कि कोरोना को ये गंभीर ख़तरे की तरह नहीं ले रही हैं।"
डॉ. टेड्रोस ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग, हाथ धोना और मास्क पहनना इस महामारी से बचने के कारगर तरीक़े हैं और इन्हें गंभीरता से लिए जाने की ज़रूरत है।
   उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि निकट भविष्य में ऐसा लगता नहीं है कि पहले की तरह सब कुछ सामान्य हो जाएगा। डॉ. टेड्रोस ने कहा, ''अगर बुनियादी चीज़ों का पालन नहीं किया गया तो एक ही रास्ता है कि कोरोना थमेगा नहीं और वो बढ़ता ही जाएगा। यह बद से बदतर होता जाएगा।"
WHO के आपातकालीन निदेशक माइक रायन ने कहा कि अमरीका में लॉकडाउन में ढील और कुछ इलाक़ों को खोलने से संक्रमण के और तेज़ी से फैलने का डर है।
लातिन अमरीका में एक लाख 45 हज़ार से ज़्यादा लोगों की जान कोरोना से जा चुकी है। कहा जा रहा है कि मौत का आँकड़ा और बढ़ेगा क्योंकि पर्याप्त टेस्टिंग नहीं हो रही है। इनमें से आधी से ज़्यादा मौतें ब्राज़ील में हुई हैं।
ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो सख़्त लॉकडाउन के ख़िलाफ़ रहे थे। बल्कि वो लॉकडाउन का मज़ाक उड़ाते थे और बाद में ख़ुद ही संक्रमित पाए गए।
डॉ. रायन ने कहा कि लॉकडाउन से भारी आर्थिक नुक़सान हो रहा है लेकिन कुछ ख़ास जगहों पर लॉकडाउन संक्रमण रोकने के लिए बहुत ज़रूरी है।
उन्होंने दुनिया भर की सरकारों से आग्रह किया कि वे स्पष्ट और मज़बूत रणनीति अपनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि नागरिक भी इसकी गंभीरता को समझें और गाइडलाइन्स का पालन करें।
डॉ. रायन ने कहा, ''हमें वायरस के साथ कैसे जीना है और इसे सीखना होगा। यह उम्मीद करना कि वायरस को ख़त्म किया जा सकता है या कुछ महीनों में प्रभावी वैक्सीन तैयार हो जाएगी, यह सच नहीं है।
उन्होंने कहा, ''अभी तक पता नहीं है कि कोरोना वायरस से ठीक होने वालों में इम्युनिटी बन रही या नहीं और अगर बन भी रही है तो ये नहीं पता है कि कब तक प्रभावी रहेगी।
सोमवार को लंदन के किंग्स कॉलेज के वैज्ञानिकों ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की थी और इसमें बताया था कि कोरोना से ठीक हुए मरीज़ों में बनी इम्युनिटी छोटी अवधि की लिए हो सकती है।
वैज्ञानिकों ने 96 लोगों पर अध्ययन किया कि कैसे शरीर एंटीबॉडीज के ज़रिए स्वाभाविक रूप से कोरोना का सामना करता है और यह कितने दिनों तक टिकता है। मतलब अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कोरोना पीड़ित मरीज़ ठीक होने के बाद कब तक ठीक रह सकते हैं। इस स्टडी में शामिल सभी लोगों में मिले एंटीबॉडीज कोरोना वायरस को रोक सकते थे लेकिन तीन महीने की अवधि में इनका स्तर कम होने लगा था।
WHO ने अपनी प्रेस वार्ता में कहा कि इस बात के सबूत मिले हैं कि 10 साल से कम उम्र के बच्चे कोविड-19 से आंशिक तौर प्रभावित हुए जबकि जो 10 से ऊपर हैं उनमें भी इसी तरह के लक्षण दिखाई दिए। बच्चे वायरस का संक्रमण किस स्तर तक फैला सकते हैं ये अभी जानना बाक़ी है।
(साभार बीबीसी हिन्दी)