श्याम बाबू गोंड़ की बर्खास्तगी, बीजेपी सरकार द्वारा आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्गों के अधिकारियों का उत्पीड़न है-डॉ. राजपाल कश्यप

लखनऊ, उत्तर प्रदेश, एकलव्य मानव संदेश ब्यूरो रिपोर्ट। बीजेपी सरकार आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्गों के अधिकारियों का उत्पीड़न कर रही है, अनन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, यह कहना है समाजवादी पार्टी के पिछड़ा वर्ग मोर्चा के अध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य डॉ. राजपाल कश्यप जी का। उन्होंने आगे कहा द्वेष भावना से कार्य कर रहे अवधिकारीयों को बर्खाश्त करो। आदिवासी समाज का उत्पीड़न बन्द करे योगी सरकार। श्याम बाबू गोंड कांस्टेबल तक ठीक थे, जैसे ही एसडीएम बने तो उनका जाति प्रणाम पत्र फर्जी हो गया और वह गन्दी राजनीती के शिकार हो गए और उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। 

    व्यक्ति वही, निवास जिला और राज्य वही, 12 वर्ष पुलिस विभाग में कार्य भी किया, जिस जाति प्रमाण पत्र पर आगे पढ़ाई किया, फार्म भरा, आजतक पूरा परिवार की जाति, जनजाति पर अचानक सिपाही से पीसीएस परीक्षा निकाल एसडीएम पद पर नियुक्त होने पर किसी द्वेष भावववना से ग्रषित विपक्ष द्वारा सवाल खड़ा किया जाता है, तशीलदार द्वारा जांच उपरांत जाति पर सवाल खड़ा करने के बाद तत्कालीन डीएम द्वारा जांच कर जाति प्रमाण पत्र सही पाया जाता है, उसके बाउजूद प्रकरण के कमिश्नरी पहुचने पर श्याम बाबू की जाति गलत बता कर नियुक्ति पर रोक लगाना कहाँ तक न्याय है ? हमारी मांग है इस प्रकरण की जांच कर दोषी अधिकारियों पर तत्काल कार्यवाही करे योगी सरकार।
    पूर्वांचल के जिलों में जनजातियों, आदिवासी परिवारों को जांच के नाम पर जाति प्रमाण पत्र जारी करने में हिला हवाली करने वाले कर्मचारी, अधिकारियों को भी बिना द्वेष से समय के भीतर जाति प्रमाण पत्र जारी करने का तत्काल निर्देश दे सरकार।
   भाजपा सरकार में पूर्वांचल में गोंड जनजाति के प्रमाण पत्रों की जांच के नाम पर परेशान करना उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है, जिम्मेदारों द्वारा उनका आर्थिक शोषण, उन्हें शिक्षा रोजगार अन्य सरकारी लाभ सहित आगामी पंचायत निकाय चुनाव में राजनीतिक प्रतिनिधित्व से रोकने की द्वेषपूर्ण साजिश है।
   समाजवादी पार्टी की सरकार में सभी जनजाति के लगभग 13 जिलों में जाति प्रमाण पत्र जारी किये जाने में आज की भाजपा सरकार जितनी समस्या कभी नहीं रही। श्रीअखिलेश यादव जी, तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश द्वारा वर्षो से पंचायत निकाय चुनाव में राजनीतिक प्रतिनिधित्व से वंचित आदिवाशी समाज को चुनाव लड़ने के निर्णय को बिना किसी द्वेष भावना के लागू कर उन्हें पंचायत और निकाय चुनाव में लड़ने का अधिकार दिया गया। लेकिन आज की भाजपा सरकार पूरी तरह से अदिवाशियों का उत्पीड़न करने पर आतुर है। प्रत्येक जिलों में लगातार तहसील और जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना होने के बाउजूद योगी सरकार और उनके जिमेदार अधिकारियों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है और आदिवासी समाज के बच्चो की पढ़ाई, उच्च शिक्षा, स्कालरशिप, फीस माफी, बेरोजगार नौजवानों रोजगार हेतु फार्म भरना, मृतक लाभ अन्य उपयोगी कार्य, वर्षो तैयारी करने के बाद सरकारी नौकरी निकालने के बाद, जॉइनिंग, पढ़ाई रोजगार और तमाम कार्यो में समस्या आ रही है, जिसे पूरे आदिवासी समाज में भाजपा की दमनकारी सरकार के खिलाफ निराशा, आक्रोश व्याप्त है, जो आगामी चुनाव में भाजपा सरकार को जवाब देने का कार्य करेगा।