प्रधानमंत्री मोदी जी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी बताएंगे की 15 अगस्त 1947 को स्वतन्त्रता दिवस के दिन देश की तमाम जेलों में बंद जिन 23 लाख लोगों को आजाद करने के लिये सरदार पटेल ने नेहरू जी से कहा था कि जिस दिन जेलों में बंद 23 लाख लोगों जिन्होंने ने अंग्रेजो को देश छोड़ने के लिये मजबूर किया, जिनके लाखों वंशज आजीवन कारावास, काला पानी एवं फांसी पर चढ़ गये, उनको जेलों से रिहाई मिलने पर ही देश आजाद होगा। तब नेहरू जी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री महाराष्ट्र श्री बी जी खेर, गुलजारी लाल नंदा, मोरारजी देशाई की समिति बनाकर रिहाई के निर्देश दिये समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इन सभी लोगों को अंग्रेजों द्वारा अपराधी जनजाति अधिनियम 1871 के अंतर्गत बंद किया है, इसमें संशोधन कर आदतन अपराधी अधिनियम 1952 के तहत संशोधन करते हुए सूची से मुक्त किया जाता है आज के बाद इनको विमुक्त जनजाति के नाम से जाना जायेगा एवं स्वतन्त्रता सेनानियों की सारी सुविधाओं के साथ सभी को सभी स्थानों पर एससी/एसटी की सुविधाएं मिलनी चाहिए। परन्तु कालांतर में इन वर्गों को गुमराह करते हुए क़ानून की कुर्सियों पर बैठे आईएएस लोगों ने गुमराह करके द्रविड़, विमुक्त, घुमन्तु, खानाबदोश, कहकर आरक्षण की समस्त श्रेणी में डालकर दिया, जिसके कारण इनको किसी भी श्रेणी का लाभ नहीं मिल रहा है। आजादी से आज तक इनके हक अधिकार देने के लिये 6 कमेटी एवं 16 आयोग बनाये गये, परन्तु किसी भी आयोग, कमेटी की रिपोर्ट आज तक लागू नहीं की गई है। ऐसा क्यों किया जारहा है? देश की 25 करोड़ आबादी को वोट लेने के लिये कब तक गुमराह किया जाता रहेगा? यदि जबाब नहीं दिया तो, जैसे कांग्रेस रेनके आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं करने पर जमीन पर आगयी, ठीक इसी तरह से आप ने अभी तक भीखू राम इदाते की रिपोर्ट लागू नहीं की है, आपकी सरकार भी धरासाई हो जाएगी। अति दलितो, पिछड़ो, जागो!! सभी राष्ट्रीय नेताओं से जबाब मांगो!! 31, अगस्त विमुक्त दिवस जिंदाबाद ! अति दलितो, पिछड़ो, आबाज दो, हम सब एक हैं।