आखिर क्यों अवरुद्ध रहा निषाद (ओबीसी) का विकास



आखिर क्यों अवरुद्ध रहा निषाद (ओबीसी) का विकास
राम मंदिर, धारा 370, तीन तलाक, हिन्दू मुस्लिम, गाय गोबर, जय श्रीराम, जैसे इन राष्ट्रीय मुद्दों पर निषाद समुदाय का मन मयूर हो नाच उठता है और अपना बहुमूल्य वोट राष्ट्रीय पार्टियों को फ्री में दान कर देता है। पावर में आकर वही पार्टियां इस समाज के लिए जहरीली नीतियों का चक्रव्यूह रचकर निर्धनता और कुपोषण में जीने जीने को विवश कर देती हैं।
आखिर विषमतावाद/ऊंच-नीच के पोषक नीतिकारों को फ्री में मतदान करने से इस समुदाय का क्या लाभ हुआ ?????
विकास के नाम पर शौचालय/इज्जतघर मिला होगा!!!
आरक्षण मिला??
नौकरी मिली??
रोजगार मिला??
प्राइमरी शिक्षा सुधरी??
स्वथ्य सेवाएं सुधरी??
कृषि सिविधाये मिली??
आप की बस्ती में पक्की सड़क बनी??
मुद्रा योजना का लाभ मिला??
सरकारी कार्योलयो में सुविधा शुल्क बन्द हुआ???
उत्तर- नहीं, ही होगा।
निषाद (ओबीसी) समुदाय को जो बुनियादी सुविधाये चाहिए वो तो मिली ही नहीं, फिर हम क्यों अपने अमूल्य वोट से उन्हें राजा बना रहे हैं, जो हमारे सारे अधिकारों को खा रहे हैं। सवर्ण 8 लाख वार्षिक वाला गरीब है, उसके सामने बीपीएल वाला गरीब कहाँ टिक पायेगा। ये कहाँ का न्याय है??
संविधान का अनुच्छेद 16(4) आरक्षण के बारे में दो शर्तें लगाता है- सामाजिक पिछड़ापन और सरकारी सेवाओं में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व, सवर्ण ये दोनों शर्तें पूरी नहीं करते
भगवान-भगौती, जयकारा-भंडारा, लाल- चुनरिया, महुआ-महारानी जैसे कर्मकांडो से कुछ लाभ हुआ???? किसी भगवान ने कुछ मदद की? किसी देवी देवता ने कुछ मदद की??किसी मंदिर ने आपके समाज के बेहतरी के लिए कोई आर्थिक योगदान किया।
उत्तर- नहीं, ही होगा!!
उपरोक्त सारी समस्यायें तभी सुलझेंगी जब आप शासक बनेंगे। शासक बनने के लिये दुखिया-दुखिया, भाई-भाई आपस में एक दूसरे के सहयोग से सहकारिता व समन्वय कायम कर, अपना प्रधान, बीडीसी, जिला पंचायत, विधायक, सांसद आदि बनाने का काम करें।
(नोट- यह तभी होगा जब आप सवर्णो को दान और मतदान बन्द करेंगे)
 विषमतावादी ऊंच-नीच की पोषक ताकतें रोड़ा बनने के बजाय कभी आप का हित नहीं करेंगी।
राम सतन निषाद
सुल्तानपुर।