बरारी, कटिहार, बिहार (Barari, Katihar, Bihar), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) धीरज चौधरी की रिपोर्ट, 1 सितम्बर 2020। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नरेश चौधरी का 100 वर्ष की आयु में रविवार 30 सितम्बर को सुबह 4 बजे उनके निज आवास पर निधन हो गया। निधन की खबर मिलते ही बरारी के पूर्व विधायक विभाष चन्द्र चौधरी, वर्तमान विधायक नीरज कुमार यादव, कटिहार के मेयर विजय सिंह, प्रमुख माला कुमारी, उपप्रमुख राजीव भारती, विधायक प्रतिनिधि विमल मालाकर, जदयू प्रखंड अध्यक्ष मनोज सिंह कुशवाहा, महेश कुमार चौधरी, प्रो. विनोद यादव, चंद्रमोहन सिंह, बीडीओ गनोर पासवान, सीओ अमरेन्द्र कुमार, थानाध्यक्ष संजय कुमार आदि गणमान्य व्यक्तियों नेे पहुँच कर स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नरेश चन्द्र चौधरी का जन्म 25 सितम्बर 1920 को हुआ था। विधायक प्रतिनिधि विमल मालाकर ने बताया कि क्रांतियोद्धा नक्षत्र मालाकर कभी-कभी इनके घर में छिपकर रहा करते थे। इनके पिता नेवाजी लाल चौधरी सरकारी सेवक रहते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से प्रभावित हो कर ये भी आंदोलन में कूद पड़े थे।
11 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी के "करो या मरो" आंदोलन के दौरान रौनिया गांव के पास नौजवानों के साथ नरेश चौधरी भी रेलवे लाइन उखाड़ने पहुँच गए और रेलवे लाइन को उखाड़ कर रेलवे को बाधित करने में सफल रहे। इस दौरान इनके ऊपर मुकदमा हुआ और गिरफ्तार भी किये गए और वर्षों तक जेल में रहे। जेल में रहते हुए खादी ग्रामोद्योग से भी जुड़े और लोगों को खादी कपड़ा पहनने के लिए प्रेरित भी किये।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नरेश चन्द्र चौधरी का जन्म 25 सितम्बर 1920 को हुआ था। विधायक प्रतिनिधि विमल मालाकर ने बताया कि क्रांतियोद्धा नक्षत्र मालाकर कभी-कभी इनके घर में छिपकर रहा करते थे। इनके पिता नेवाजी लाल चौधरी सरकारी सेवक रहते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से प्रभावित हो कर ये भी आंदोलन में कूद पड़े थे।
11 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी के "करो या मरो" आंदोलन के दौरान रौनिया गांव के पास नौजवानों के साथ नरेश चौधरी भी रेलवे लाइन उखाड़ने पहुँच गए और रेलवे लाइन को उखाड़ कर रेलवे को बाधित करने में सफल रहे। इस दौरान इनके ऊपर मुकदमा हुआ और गिरफ्तार भी किये गए और वर्षों तक जेल में रहे। जेल में रहते हुए खादी ग्रामोद्योग से भी जुड़े और लोगों को खादी कपड़ा पहनने के लिए प्रेरित भी किये।