पहला कदम निश्चित रूप से बहुत मुश्किल होता है क्योंकि पहला लक्ष्य प्रत्यक्ष रूप से दिखता है, लेकिन ये न सोचिये कि राह उसके बाद आसान हो जाएगी। अब आगे बढ़ने पर अप्रत्यक्ष शत्रु मिलेंगे, ये बड़े खतरनाक हैं, क्योंकि इन्हें आप पहचानते नहीं हो, ये दिखते भी नहीं है और अपना काम कर जाते हैं। प्रगति के पथ पर आगे बढ़ना, मतलब एक से एक धूर्त से टकराना, धोखा खाना, बहुत मुश्किल होता है, बचपन आए सीखे आदर्शो पर चलना। पर यही है जिंदगी और ये हमेशा चलती रहती है।
सो अगर अपना लक्ष्य पाना है तो, आँखे खोलकर सिर्फ सामने वाले शत्रु पर ही फोकस न रखें, कई बार-बडा शत्रु अहंकार के रूप में तो, कभी भय के रूप में, आपके अंदर होता है, तो लड़ना तो वहां भी पड़ेगा।
जीना इसी का नाम है,
लड़ना रोज का ही काम है।
कमर कस और लड़ और आगे बढ़।
साभार : जिस मित्र ने इतने प्यारे ढंग से एक चित्र से गंभीर बात समझा दी।
-नवनीत सिकेरा (आईजी/आईपीएस)