विपक्ष और मीडिया के भारी चलते हाथरस मामले में लापरवाही बरतने के चलते एसपी, सीओ और इंस्पेक्टर तत्काल प्रभाव से किये निलंबित

 हाथरस, उत्तर प्रदेश (Hathras, Uttar Pradesh)। विपक्ष और मीडिया के भारी दबाव में हाथरस मामले में योगी सरकार ऐक्शन लेने को मजबूर हो गई है। खबरों के मुताबिक सरकार ने हाथरस मामले में लापरवाही बरतने के चलते जिले के, एसपी विक्रांत वीर, सीओ और इंस्पेक्टर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इनके अलावा चंदपा कुछ अन्य पुलिसकर्मियों को भी सस्पेंड किया गया है।


    इस मामले में शुरुआत से लेकर अभी तक प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है। विवाद को थमता न देख मुख्यमंत्री कार्यालय ने सीधा हस्तक्षेप किया और डीएम-एसपी के खिलाफ विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। पूरे मामले में डीएम और एसपी की भूमिका को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद खफा बताए गए हैं। ऐसा माना जा रहा था कि किसी भी वक्त हाथरस के डीएम और एसपी को सस्पेंड किया जा सकता है। 
  अब हाथरस के एसपी विनीत जायसवाल होंगे। जायसवाल शामली के एसपी हैं।

(देखें वीडियो https://youtu.be/peOT3L4X-oI)
   हाथरस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्राथमिक जांच रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला लिया है। साथ ही दोनों पक्षों (पीड़ित और आरोपी) और मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों का नार्को टेस्ट करवाए जाने का निर्देश दिया गया है।
   हाथरस गैंगरेप की घटना को लेकर हो रही आलोचनाओं के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा कि उत्तर प्रदेश में माताओं-बहनों के सम्मान-स्वाभिमान को क्षति पहुंचाने का विचार मात्र रखने वालों का समूल नाश सुनिश्चित है।
उन्होंने कहा, ''इन्हें ऐसा दंड मिलेगा जो भविष्य में उदाहरण प्रस्तुत करेगा। आपकी उत्तर प्रदेश सरकार प्रत्येक माता-बहन की सुरक्षा व विकास हेतु संकल्पबद्ध है। यह हमारा संकल्प है-वचन है।''
    हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार की भूमिका शुरुआत से ही संदिग्ध रही है। मृत लड़की के परिवार ने डीएम लक्षकार पर बेहद गंभीर आरोप लगाए। डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार पर पीड़िता की भाभी ने आरोप लगाया था कि डीएम ने उनके ससुर (पीड़िता के पिता) से कहा है कि अगर तुम्हारी बेटी अभी कोरोना से मर जाती तो क्या तुमको मुआवजा मिल पाता?
    इधर सोशल मीडिया पर वायरल पीड़िता के पिता को धमकी देने वाला वीडियो में जिलाधिकारी और पीड़िता के पिता के बीच हुई बातचीत की एक फुटेज से भी प्रशासन पर गंभीर आरोप लगने लगे हैं। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में डीएम पीड़िता के पिता से कह रहे हैं कि आप अपनी विश्वसनीयता खत्म मत करो। ये मीडिया वाले आपको बता दूं, आधे आज चले गए और आधे कल चले जाएंगे। हम आपके साथ खड़े हैं, आपकी इच्छा है कि आपको बार बार बयान बदलना है कि नहीं बदलना है। अभी हम भी बदल जाएं तो?
   दंबगों के अमानवीय कृत्य के कारण अपनी बिटिया को गंवाने वाला हाथरस का परिवार अब जिला तथा पुलिस प्रशासन के बाहुबल से परेशान है। इनका गांव बूलगढ़ी तो पुलिस की छावनी बना है। पुलिस ने पूरे गांव को सील कर दिया है। गांव को छावनी में बदल दिया गया है। गांव के घरों में पुलिस ने ताला लगाया है। यहां पर लोगों को उनके घरों में कैद कर दिया गया है। लोगों को बाहर निकलने नहीं दिया जा रहा है। बूलगढ़ी गांव में हाथरस के जिला की फोर्स लगाने के साथ ही पीएसी को भी मुस्तैद कर दिया गया है। हाथरस  के पीड़ित परिवार को किसी से भी मिलने की इजाजत नहीं है, किसी रिश्तेदार को भी गुड़िया के पिता, माता या भाई से मिलने नहीं दिया जा रहा है। गुड़िया के चचेरे भाई का आरोप है कि डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार ने घर के सभी लोगों का मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिया है और ताऊ के साथ मारपीट भी की है। सीने में लात मारी है।
   बेटी को गंवाने के बाद अब पीड़ित परिवार जिला प्रशासन का कहर झेल रहा है। घर पर चारों तरफ पहरा लगाकर इनको कैद में रखा गया है। इस दौरान किसी तरह खेतों के रास्ते निकले गुड़िया के चचेरे भाई ने पीड़ित परिवार के भय की दास्तां बताई। उनसे बताया कि जिला प्रशासन ने परिवार की घेराबंदी कर रखी है। घर से सभी लोगों के मोबाइल भी छीनकर कब्जे में ले रखे हैं। गांव की हर कच्ची पक्की गली में पुलिस का सख्त पहरा है। पीड़िता के घर के चारों तरफ पुलिस तैनात है। ऐसे में खेतों के रास्ते गांव से बाहर निकलकर आए मृत गुड़िया के चचेरे भाई ने मीडिया के समक्ष आप बीती सुनाई। उसने बताया कि प्रशासन ने परिवार की घेरीबंदी कर रखी है। आलम तो यह है कि मारपीट कर उन्हें धमकाया जा रहा हैं। हमारे मोबाइल भी छीन लिए हैं। इन आरोपों के बाद कोई भी प्रशासनिक अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। चचेरे भाई ने बताया कि वह शुक्रवार को पशुओं के लिए चारा लाने का बहाना कर छिपते हुए बाहर तक आया हैं। मकान की छतों व गलियों में पुलिस का पहरा हैं। 

(देखें वीडियो https://youtu.be/MAeX3OEy6bw)
     14 सितंबर को हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र स्थित एक गांव की रहने वाली 19 वर्षीय दलित लड़की से कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया था। लड़की को रीढ़ की हड्डी में चोट और जीभ कटने की वजह से पहले अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। जहां हालत खराब होने पर उसके बाद उसे दिल्ली स्थित आल इंडिया मेडिकल साइंस के लिए रैफर किया गया था, लेकिन वहाँ जब बिटिया को भर्ती नहीं किया गया तो, सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था, जहां मंगलवार तड़के उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद प्रशासन ने जबरन रात में 2.30 बजे हिन्दू मान्यताओं को दरनिकार करते हुए लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया।
    इस घटना के बाद पूरे इलाके में धारा 144 लगा दी गई है। राजनीतिक कार्यकर्ताओं को दूर, मीडिया से भी प्रशासन ने बदसलूकी की है। एबीपी न्यूज़ की टीम को हाथरस जाने से रोक दिया गया। हाथरस मामले की जांच राज्य सरकार ने विशेष जांच दल गठित किया है। इधर प्रशासन लगातार दावा कर रहा है कि लड़की के साथ गैंगरेप की घटना नहीं हुई है।
   उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप पीड़िता के परिवार का पक्ष जानने गई एबीपी न्यूज़ सहित मीडिया की टीमों के साथ यूपी पुलिस ने बदसलूकी की। पुलिस ने पहले तो मीडिया को गांव में जाने से रोका, फिर कैमरे का तार निकालने की कोशिश की। बाद में एबीपी न्यूज़ रिपोर्टर को पुलिस गाड़ी में जबरन बैठाकर ले गई। पुलिस की बदसलूकी का आलम यहीं नहीं रुका और एक पुलिस अधिकारी ने संवाददाता को चोर तक कह दिया।