भाजपा के सांसद और विधायक निषाद वंशियों की पुकारू जातियों के परिभाषित आरक्षण की अवाज़ क्यों नहीं उठा रहे-पूंछता है एकलव्य मानव संदेश

अलीगढ़, उत्तर प्रदेश, एकलव्य मानव संदेश एडिटोरियल रिपोर्ट। निषाद वंश की सभी पुकारू जातियों के परिभाषित अनुसूचित जाति के आरक्षण को भाजपा की मोदी और योगी सरकार कोई कदम नहीं उठा रहीं हैं। उत्तर प्रदेश सरकार नौकरियों की घोषणा कर रही है, जिसमें सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ सरकार द्वारा दिया जा रहा है, लेकिन निषाद वंश की मझबार, तुरैहा, गौंड, बेलदार की सभी पुकारू जातियों (मल्लाह, केवट, कहार, कश्यप, बिन्द, बाथम, रायकवार, तुरहा, गोंडिया, माझी, धींवर, धीमर आदि) को उनका परिभाषित आरक्षण योगी और मोदी जी की सरकारों द्वारा आज तक लागू नहीं किये जाने से इस समाज के लिए नौकरियों में बहुत कम स्थान ही मिलने की संभावना है। इसलिए निषाद वंश के अनुसूचित जाति के परिभाषित आरक्षण लागू कराने के अपने अभियान में एकलव्य मानव संदेश पूंछता है, कि क्या यह समाज पैर धोने और वोट रूपी नैया पार लगाने के लिए ही काम आता है भाजपा के लिए। इस समाज के भाजपा सांसद और विधायक निषाद वंशियों की पुकारू जातियों के परिभाषित आरक्षण को लागू कराने के लिए कब कदम उठवायेंगे उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकारों से?



  अगर भाजपा के सांसद और विधायक या अन्य पदाधिकारी जिनको भाजपा में पद ही उनकी जाति के वोट को ध्यान में रखकर दिया जाता है तो ये अपनी जाति के अधिकार के लिए अवाज़ क्यों नहीं उठा रहे हैं, जब केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकारें आज हैं ?
   क्या निषाद वंस की जातियों के नेता समाज के आरक्षण की आवाज़ को भाजपा द्वारा दबाए जाने के हथियार बन गए हैं?