निषाद जलवंशी समाज की महिलाओं/ बहनों की त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत चुनाव में भागेदारी

सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश, (Sultanpur, Uttar Pradesh) एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) रिपोर्टर रामसतन निषाद की विशेष रिपोर्ट। निषाद जलवंशी समाज की उन महिलाओं/ बहनों पर गर्व है जो 2021 के त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत चुनाव में अपने आपको एक प्रत्यासी के रूप में देख रही हैं। 


    पहले समाज की महिलाओं की जब किसी अजनबी महिला से आँखें मिलती थीं तो बातें शुरू होतीं.... घर-बार, बाल-बच्चों से शुरू होकर सुख-दुःख तक पहुँच जाती, बच्चों की आदतें, सास-ससुर की बातें एक दूसरे के पतियों की पसंद-नापसंद तक जान लेने का प्रयास.... कितने जानवर हैं, कुल कितने दूध देने वाले और गाय कब की ब्याने वाली हैं और भी बहुत सारी बातें, जैसे साडी के रंग, पहनावे के ढंग, पैर से लेकर, नाक–कान में पहने गहन-पात के बारे में, ऐसा लगता है जैसे जन्मों पुराना आपसी परिचय है, ज्यादातर यहीं तक सीमित होती थीं। अब राजनीति में हमारी महिलाएं अग्रणी हो राजनीति की चर्चा करने का प्रयास करते हुए, ग्राम पंचायत, न्याय पंचायत, क्षेत्र पंचायत,  जिला पंचायत, अथवा उसके ताने बाने को समझने का प्रयास कर रही हैं, तो समय और समाज भी उनकी प्रतीक्षा में है। 

    आज समाज में आशातीत परिवर्तन हो रहा है, देवी-देवता, स्वर्ग-नरक, मन्दिर मस्जिद, हिन्दू मुस्लिम, गाय गोबर के मुद्दों में फंसाकर राजनीति करने वाले शासक वर्ग की मंशा को समाज भाप गया है, क्योंकि इससे कल्याण नहीं हो सकता।

   संविधान वर्णित समानता व हक अधिकार प्राप्त करना है तो शासक बनना होगा, शासन सत्ता में भागीदारी, सभी दरवाज़ों से प्राप्त करनी होगी।

   ऊक्त परिदृश्य में ग्राम पंचायत चुनाव की राजनीति में समाज की महिलाओं की एंट्री एक सामाजिक बदलाव के आभाष की ओर ले जाती है। 

   क्योंकि महिलाओं के मन मस्तिष्क में ही अंधश्रद्धा व अंध विस्वास का पौधा शासक वर्ग के पादरियों द्वारा रोपा गया था। जो मौखिकरूप से पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा था, अब उस पर विराम की बारी है।

   आज के समय में हमारे समाज का कल्याण शिक्षा के साथ शासन सत्ता की भागीदारी में ही निहित है। अपना और अपने मत का मूल्य हमें बखूबी समझना है। अन्यथा राजनीतिक शिकारी (शासक वर्ग) हमारा शिकार करता रहेगा।