नई दिल्ली, एकलव्य मानव संदेश ब्यूरो रिपोर्ट। किसान विरोधी 3 बिलों का खामियाजा क्या केवल सिर्फ पंजाब और हरियाणा के किसान ही भूग्तेंगे? क्या देश के बाकी हिस्सों के किसानों के हक में है। यह किसान विरोधी बिल है, दिल्ली की विभिन्न बॉर्डर पर हरियाणा पंजाब का किसान आए दिन अपनी शहादत दे रहा है, सरकार से आत्मघाती तीनों कृषि विरोधी बिलों को खत्म कराना चाहता है, किंतु तानाशाह भाजपा सरकार अपने पूंजीपति मित्रों के हितों की अनदेखी में कोई बात सुनना ही नहीं चाहती। देश को आत्मनिर्भर बनाने वाले अन्नदाता किसान आज शहादत दे रहे हैं और देश के बाकी हिस्सों के किसान चुपचाप तमाशा देख रहे हो ! याद रखना यदि किसान की यह मांग सरकार ने दबा दी तो पूरे देश में लोकतंत्र बचेगा ही नहीं। ईस्ट इंडिया कंपनी की भांति पूरा देश अडानी-अंबानी-मोदी के हाथ की कठपुतली बनकर रह जाएगा। एपीएमसी (मंडी) खत्म करने की साजिश, कांटेक्ट फार्मिंग कानूनी बाध्यता और स्टोरेज (भंडारण) का असीमित अधिकार से जमाखोरी और महंगाई बढ़ेगी। एमएसपी की बिना गारंटी किसानों के उपज की होगी लूट और कांट्रेक्ट शर्तों के अधीन किसान बन जाएगा बधुआ मजदूर। अगर ऐसे किसान विरोधी, देश विरोधी कानून पर रोक नहीं लगी तो खामियाजा पूरा देश भुक्तेगा।
-विशम्भर प्रसाद निषाद (सांसद)
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