बाँदा, उत्तर प्रदेश (Banda, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) ब्यूरो रिपोर्ट। सपा के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद विशम्भर प्रसाद निषाद ने कहा कि किसान विरोधी विधेयक के विरोध में केन्द्र सरकार के खिलाफ लगातार 21 दिन से दिल्ली बार्डर पर देश के किसान धरने पर बैठकर आन्दोलन कर रहे हैं परन्तु केन्द्र की गूगी बहरी मोदी सरकार उद्योगपतियों के दबाव के कारण किसानों के विरोध में, कोरोना काल में, सोशल डिस्टेटिग का उल्लंघन कर किराये के लोगों को बुलाकर जनसभायें कर रही है। अतिपिछड़े बुन्देलखण्ड के बांदा जनपद में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने भी किसान विरोधी बिल के समर्थन में जनसमा की। केन्द्र व प्रदेश की जालिम, निर्दयी सरकार किसानों के ऊपर ऐसी ठण्ड में पुलिस द्वारा पानी की बौछार तथा लाठी डण्डों से बल प्रयोग कराकर, उनकी आवाज को दबाने का काम कर रही है। जबकि बुन्देलखण्ड के किसानों का धान एमएसपी के तहत न खरीदकर, औने पौने दामों पर खरीदकर, किसानो को कमजोर करने का काम किया जा रहा है। जिससे किसान मुखमरी की कगार पर पहुच चुका है और आये-दिन आत्महत्यायें कर रहा है।
सासद श्री निषाद ने कहा कि उद्योगपतियों के दबाव में 05 जून 2020 को किसानों के विरोध में अध्यादेश जारी करके किसानों की खेती ठेके पर देने का काम किया है, आवश्यक वस्तु अधिनियम में सशोघन कर उद्योगपतियों को वेयर हाउस व बड़े-बड़े गोदाम बनाकर किसान की उपज औने-पौने दाम पर खरीदने के लिये छूट दे दी है। किसानों को उद्योगपतियों के उत्पाद की तरह एमएसपी की गारण्टी नहीं दी जा रही है। भाजपा ने चुनावी घोषणा पत्र में स्वामीनाथन सी-2 की रिपोर्ट लागू करने का आश्वासन दिया था, जिसमें किसानों की लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने की सिफारिश की गयी थी, परन्तु अब केन्द्र की भाजपा सरकार अपने वादे से मुकर रही है और किसानों को गुमराह कर किसानों को कान्ट्रेक्ट फार्मिग व उपज का सही मूल्य न देने के विवाद में भी किसानों को सिविल न्यायालय में जाने से रोक लगा दी।
सासद श्री निषाद ने यह भी कहा कि किसान विरोधी तीनों बिल आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020, कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक 2020 तथा कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 को लागू करने का काम किया है, जिनको वापस करने की मांग देश का किसान कर रहा है और अपनी उपज की एमएसपी की गारण्टी का कानून बनाने की माग कर रहा है। पूरे प्रदेश सहित बादा में भी समाजवादी पार्टी ने गांव से लगाकर कचेहरी तक किसानों के समर्थन में धरना प्रदर्शन व आन्दोलन किया, जिसमें बांदा जिला प्रशासन ने किसान की बात करने वाले समाजवादियों को जेल भेजने का काम किया है। किसानों व विपक्ष के लिये सरकार के इसारे पर जिला प्रशासन ने एक तरह से अघोषित इमरजेंसी जैसी लगा रही है। वहीं भाजपा के लिये खुली छूट दे रखी है जो कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा रहे हैं तथा बिना मास्क के बड़ी-बड़ी रैलियां कर रहे है। गृह मत्रालय की गाइड लाइन के अनुसार जिला प्रशासन रैली करने वालों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करे और जेल भेजने का काम करे, वरना आने वाला समय दोहरी नीति चलने वाले व सत्ता की चापलूसी करने वालो को माफ नहीं करेगा।
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