हाथरस की बिटिया की सामूहिक दुष्कर्म के बाद ही की गई थी हत्या- सीबीआई

हाथरस, उत्तर प्रदेश। हाथरस में कथित सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार (18 दिसम्बर 2020) को एससी/एसटी कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। सीबीआई ने 22 सितंबर को दिए गए पीड़िता के आखिरी बयान को आधार बनाया है। सीबीआई की टीम ने अब निर्णय कोर्ट पर छोड़ दिया है। मामले में आरोपियों के वकील मुन्ना सिंह पुंडीर ने बताया कि सीबीआई ने छात्रा के आखिरी 22 सितंबर वाले बयान को आधार मानते हुए चारों को आरोपी बनाया है। सीबीआई ने आरोप पत्र में चारों पर सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का आरोप लगाया है। सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ 325 एससी एसटी एक्ट और आईपीसी की धारा 354 व 376ए, 376 डी व 302 के तहत मामला दर्ज किया है। सीबीआई की टीम मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के लिए पीड़ित के भाई को गुजरात ले जाएगी। 


    उत्तर प्रदेश के हाथरस के चंदपा कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में 14 सितंबर को चार लोगों ने 19 साल की युवती के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म किया था। जब बिटिया के साथ दरिंदगी हुई तब वह कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं थी। युवती को गंभीर हालत में हाथरस के जिला अस्पताल लाया गया, जहां से अलीगढ़ के लिए रेफर कर दिया गया था। 22 सितंबर तक सामान्य तरीके से पीड़िता का इलाज होता रहा, जबकि उसकी हालत काफी गंभीर थी। 23 सितंबर को पीड़िता को वेंटिलेटर मिला। गंभीर हालत को देखते हुए  28 सितंबर को दिल्ली रेफर कर दिया गया था। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान 29 सितंबर को पीड़ित की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। पीड़िता के भाई की तहरीर पर चार युवकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। जिसके बाद देशभर में जमकर प्रदर्शन हुआ था। 

     यूपी पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दावा किया था कि पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म नहीं हुआ। कोर्ट ने इस बयान पर पुलिस को फटकार भी लगाई थी। इस मामले में योगी सरकार ने एसआईटी का गठन किया था। जिसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस मामले में योगी सरकार की सिफारिश के बाद सीबीआई का गठन किया गया था। सीबीआई ने मामले की जांच करते हुए कई बार पीड़िता के परिजनों के पूछताछ की। जेल में बंद आरोपियों से भी पूछताछ की उनके परिजनों से भी सवाल पूछे। इसके अलावा कई बार घटनास्थल का निरीक्षण भी किया था। सीबीआई की टीम ने आरोपियों का पॉलीग्राफी टेस्ट और ब्रेन मैपिंग भी कराई थी। उत्तर प्रदेश सरकार की क्षत्रछाया में जिलाधिकारी हाथरस ने पीड़िता के परिवार को हरप्रकार से मामले में एक प्रकार से डराने और धमकाने के सभी उपाय किये थे। मीडिया के एक वर्ग ने बिटिया के चरित्र हनन और मददगारों को नक्सलियों और विदेशी षड़यंत्र तक क़रार दिया था। लेकिन भीम आर्मी, कांग्रेस, सपा, आप, और कुछ जांबाज़ महिला पत्रकारों के प्रयास से मामला गरमाया और आज सीबीआई ने भी मान लिया कि गांव के ठाकुरों ने सामूहिक बलात्कार किया था।

   आओ अब पत्रिकारिता के माध्यम सामाजिक एकता को मजबूत बनाएं.. 


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