अलीगढ़, उत्तर प्रदेश, एकलव्य मानव संदेश रिपोर्ट। कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मोदी सरकार की लचर व्यवस्था: उधर बड़ा पलायन तो, इधर इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं लोग।
देश के प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र का हाल है। ये उस जगह का हाल है जिसको क्योटो बनाने का वादा किया गया था। इलाज न मिलने की स्थिति में एक बेटे की अपने मां के कदमों में मृत्यु हो गई। वो ई रिक्शा पर पड़ा रहा एंबुलेंस तक नसीब नहीं हुई।
माँ के पैरों से लिपटा बेटे का शव है। ई-रिक्शा में बेटे का शव लेकर जा रही मां की तस्वीरें कैमरे में हुईं कैद। मां को बेटे की मौत के बाद नहीं मिली थी एम्बुलेंस। ई-रिक्शे में बेटे का शव ले जाते तस्वीर वायरल हो गई हैं, जो सिस्टम की सच्चाई दिखा रही हैं। बीएचयू के सर सुंदर लाल चिकित्सालय गई थी मां।
विनीत सिंह पुत्र स्व विनोद सिंह मड़ियाहूं, जौनपुर का युवक मुंबई में काम करता था, घर जौनपुर में आया था। किडनी में प्रॉब्लम होने पर बीएचयू में आया था लेकिन एडमिट न होने पर ककरमत्ता स्थित एक निजी अस्पताल में आया तो उसने भी भर्ती नहीं किया। उसके बाद रिक्से पर उसकी मौत हो गयी। इलाज के अभाव में मां के पैर पर प्राण त्यागने की ये तस्वीर रोंगटे खड़े करने वाली है। धिक्कार है ऐसी नकारा सरकार और सिस्टम पर जो इलाज की व्यवस्था तक नहीं दे पा रहा है। और मोदी ने पूरे देश के हर जिलों में फाइव स्टार स्तर के कार्यकाल तो बनवा दिये लेकिन हास्पिटल नहीं बना सके!!
एक साल बाद फिर वही स्थिति में पहुंच गया मजदूरों का पलायन, वायरल तस्वीरों से हकीकत समझी जा सकती है।
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