ओबीसी, एससी, एसटी क्या आप खुद को हिन्दू मानते हो, तो क्यों ?

मैंने कई ओबीसी एससी एसटी अर्थात शूद्रों अतिशूद्रों से पूछा कि क्या आप खुद को हिन्दू मानते हैं?

यदि मानते हैं तो हिन्दू क्यों हैं?


क्योंकि मैं राम को मानता हूं, इसलिए हिन्दू हूं।

फिर राम ने शूद्र शम्बूक की हत्या क्यों की?


क्योंकि मैं मंदिर जाता हूं, इसलिए हिन्दू हूं।

मंदिर में तो सारे भगवान ब्राह्मणों, क्षत्रियों के हैं?


क्योंकि मैं रामचरितमानस पढ़ता हूं, इसलिए हिन्दू हूं।

रामचरितमानस के रचयिता तो, शूद्रों को अपमानित करते हैं?


क्योंकि मैं हनुमान में विश्वास करता हूं, इसलिए हिन्दू हूं।

क्या हनुमान आपके देवता ईश्वर हैं? शूद्रों के लिए उन्होंने क्या किया?


क्योंकि मैं सनातन धर्म में विश्वास करता हूं, इसलिए हिन्दू हूं।

सनातन तो प्रकृति का नियम है, इससे हिन्दू का क्या लेना-देना?


क्योंकि मैं वेदों को मानता हूं।

वेद तो भेदभाव करते हैं, पुरुषोक्त शूत्र की रचना जिसमें ब्रह्मा शूद्रों को पैरों से पैदा करते हैं?


क्योंकि मैं व्रत उपवास रखता हूं।

व्रत उपवास से तो बुद्धि कमजोर होती है! इससे धर्म का क्या संबंध?


क्योंकि मैं भजन कीर्तन करता हूं, मैं हिन्दू हूं।

भजन/कीर्तन ब्राह्मणों ने बनाए इनसे शूद्रों का क्या संबंध?


क्योंकि मेरे मां बाप हिन्दू थे।

तो मां बाप का बोझा आप भी  ढो रहे हो क्यों ?


क्योंकि मैं जन्म और पुनर्जन्म में विश्वास करता हूं।

पुनर्जन्म का वैज्ञानिक आधार क्या है?


क्योंकि मैं अवतारवाद में विश्वास करता हूं।

अवतारवाद की रचना ब्राह्मणों ने छल-कपट से राज्य हड़पने के लिए की।


 क्योंकि मैं कर्म के सिद्धान्त पर विश्वास करता हूं।

कर्म के सिद्धान्त पर आस्था रखकर भी तुम शूद्र कैसे हो गए?


क्योंकि मैं आत्मा में विश्वास रखता हूं।

आत्मा का वैज्ञानिक आधार क्या है?


क्योंकि मैं ब्रह्मा में विश्वास रखता हूं।

तो ब्रह्मा ने तुम्हें पैरों से क्यों पैदा किया?


क्योंकि मैं वेद रामायण गीता में विश्वास करता हूं।

ये सारे धर्मग्रंथ शूद्रों के विरोध में लिखे गए हैं।

बी श्रमण कुमार

          


कलाम सुत्त में गौतम बुद्ध कहते हैं-

किसी बात को इसलिए मत मानो कि, ऐसा सदियों से होता आया है, परंपरा है या सुनने में आया है।

इसलिए भी मत मानो कि, किसी धर्म शास्त्र में लिखा हुआ है या ज्यादातर लोग मानते हैं।

किसी धर्मगुरु, आचार्य,साधु, संत  की बात को आंख बंद करके मत मान लेना।

किसी बात को इसलिए भी मत मान लेना कि, वह तुमसे कोई बड़ा या आदरणीय व्यक्ति कह रहा है।

बल्कि हर बात को पहले तर्क, बुद्धि, विवेक, चिंतन व अनुभूति की कसौटी पर, तोलना, कसना, परखना और यदि वह बात स्वयं के लिए, समाज व संपूर्ण मानव जगत के कल्याण के हित की लगे तो ही मानना!!

अपना दीपक स्वयं बनो!!


  ###############

     सामाजिक क्रांति में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए आज ही हमारे न्यूज़ ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउन लोड करने के लिए नीचे दी है लिंक को किलिक कीजिए  https://play.google.com/store/apps/details?id=com.kamaltonishad.ems_v2

  आपका छोटा सा सहयोग हमारे प्रयासों को गति प्रदान कर सकता है।

क्योंकि इस ऐप पर आपको सामाजिक क्रांति को पूरे भारतवर्ष और दुनिया भर में मजबूती प्रदान करने के लिए एकलव्य मानव संदेश हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र (एक साल में 48 समाचार पत्र 240 रुपये के ऑनलाइन फ्री मिलेंगे) , एकलव्य मानव संदेश हिन्दी मासिक पत्रिका (एक साल में 12 मासिक पत्रिका 420 रुपये की ऑनलाइन फ्री मिलेगी)

एवं

 Eklavya Manav Sandesh डिजिटल न्यूज़ चैनल (www.eklavyamanavsandesh.com

 एवं Eklavya Manav Sandesh यूट्यूब चैनल 

https://youtube.com/@eklavyamanavsandesh2400 ) की सभी खबरें एक ही किलिक पर देखने के लिए मिलती रहेंगे

और

आप हमारे रिपोर्टर बनने और विज्ञापन के लिए भी सम्पर्क कर सकते हैं-

 जसवन्त सिंह निषाद

 संपादक / प्रकाशक / स्वामी / मुद्रक

कुआर्सी, रामघाट रोड, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश, 202002

मोबाइल/व्हाट्सऐप नम्बर्स

 9219506267, 9457311667