नई दिल्ली, 10 फरवरी 2023। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि:
देश जवाब चाहता है —
1️⃣ क्या अडानी घोटाले की जाँच नहीं होनी चाहिए ?
2️⃣ क्या एलआईसी का पैसा, जो अडानी की कंपनियों में लगा है, उसकी गिरती कीमतों पर सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए ?
3️⃣ एसबीआई व दूसरे बैंकों द्वारा अडानी को दिए गए ₹82,000 करोड़ लोन के बारे में सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए?
4️⃣ क्या यह नहीं पूछना चाहिए कि अडानी के शेयरों में 32 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट के बावजूद एलआईसी व एसबीआई का 525 करोड़ अडानी एफपीओ में क्यों लगवाया गया ?
5️⃣ क्या यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि एलआईसी और एसबीआई के शेयरों की कीमत शेयर बाजार में 1 लाख करोड़ से ज्यादा क्यों गिर गई ?
6️⃣ क्या यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि टैक्स हैवन्स से अडानी की कंपनियों में आने वाला हजारों करोड़ रुपया किसका है ?
7️⃣ क्या मोदी जी ने अडानी के एजेंट के तौर पर श्रीलंका और बांग्लादेश में ठेके दिलवाए? किस-किस और मुल्क में जाकर प्रधानमंत्री ने अडानी की मदद की ?
8️⃣ क्या यह सच है कि फ्रांस की “टोटल गैस” (“Total Gas”) ने अडानी की कंपनी में होने वाले 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश को जाँच पूरी होने तक रोक दिया है ?
▪️ क्या दुनिया के सबसे बड़े शेयर इन्वेस्टर, नॉर्वे सॉवरेन फण्ड (Norway Sovereign Fund) ने 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अडानी के सारे शेयर बेच दिए हैं ?
▪️ क्या एमएससीआई (MSCI) ने अडानी की कंपनियों की रैंकिंग गिरा दी है ?
▪️ क्या स्टैंडर्ड चार्टर्ड सिटी ग्रुप, क्रेडिट सुइस्से (Standard Chartered, City Group, Credit Suisse) ने अडानी के डॉलर बॉन्ड्स पर लोन देना बंद कर दिया है ?
▪️ क्या डाऊ जोंस (Dow Jones) ने अडानी की कंपनी को "सस्टेनेबिलिटी इंडिकस" (“Sustainability Indices”) से हटा दिया है ?
9️⃣ क्या कारण है कि मोदी जी और पूरी सरकार संसद में अडानी शब्द भी नहीं बोलने देती ?
🔟 क्या कारण है कि आरबीआई, सेबी, ईडी, एसएफआईओ, कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री, इनकम टैक्स, सीबीआई (RBI, SEBI, ED, SFIO, Corporate Affairs Ministry, Income Tax, CBI), सबको लकवा मार गया है, और वो अडानी की जाँच के नाम पर आँखें मूंदे बैठे हैं ?
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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी का एकायक अवतरण होना और यह कथन करना कि "जाति पंडितों ने बनाईं, भगवान ने नहीं पूर्णतः कूटनीतिक और सोची समझी रणनीति के तहत दिया गया वक्तव्य है। ठीक उसी तरह जैसे दुनिया के सबसे महान धनुर्ध वीर एकलव्य जी का छल, कपट, धोखे से अंगूठा काटकर पूरे समाज को शस्त्र विहीन कर आर्य साम्राज्य स्थापित किया गया था, एकबार फिर हिन्दू राष्ट्र के नाम पर, हिन्दू धर्म के दूसरे रूप "सनातन धर्म" की आड़ में, ब्राह्मण सत्ता को, स्थापित करने के लिए बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के द्वारा बनाए गए संविधान को बदलकर मनुषमृति के सिद्धांत को लागू करने का प्रयास है।
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बिहार सरकार द्वारा जातिगत जनगणना 7 जनवरी से शुरू कराया जाना, अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग महासंघ द्वारा जातिगत जनगणना कराकर आबादी के अनुसार ओबीसी को आरक्षण सरकारें दें, की मांग को उठाने का आंदोलन चलाये जानें से, तुलसी दास द्वारा रचित रामायण में ढोल, गवार, शूद्र, पशु, नारी, सकल ताडना के अधिकारी, की चौपाई के विरोध में 97 प्रतिशत शूद्रों के एकीकरण से 3 प्रतिशत पंडितों की चारों तरफ से निंदा होने के कारण घिर जाने से व अडानी प्रकरण से भाजपा की थुआ फजीहत और वोट बैंक खिसकने से चिंतित पंडित मोहन भागवत ने पंडितों और भाजपा के बचाव हेतु संत रविदास के जंयती के अवसर पर पंडितों के खिलाफ बयान देकर देश की जनता का ध्यान अपनी तरफ आकृष्ट किया, जिससे जातिगत जनगणना, आबादी के अनुसार ओबीसी को आरक्षण, अडानी और तुलसीदास दूबे की चौपाई से उठे विवाद से जनता का ध्यान हटाया जा सकें।
संस्कृत के प्रकांड विद्वान भी आज ये बताने में जुटे हैं कि ऋषि वाल्मीकि एक दलित समाज के वाल्मीकि समाज से आते हैं। कुछ विद्वान कबीर, रैदास, धन्ना, पीपा, दादूदयाल, नानक एंव बुद्ध को देवताओं का अवतार तक सिद्ध करने में लगे हैं, जबकि इन लोगों ने अवतारवाद का भरपूर खंडन किया है।।
कबीर, रैदास को कुछ धूर्तों ने इतना कष्ट दिया कि उन्हें लिखना पड़ा।
जीवन चार दिवस का मेला रे
बांभन झूठा, वेद भी झूठा, झूठा ब्रह्म अकेला रे।
मंदिर भीतर मूरति बैठी, पूजति बाहर चेला रे।
लड्डू भोग चढावति जनता, मूरति के ढिंग केला रे।
पत्थर मूरति कछु न खाती, खाते बांभन चेला रे।
जनता लूटति बांभन सारे, प्रभु जी देति न धेला रे।
पुन्य पाप या पुनर्जन्म का, बांभन दीन्हा खेला रे।
स्वर्ग नरक बैकुंठ पधारो, गुरु शिष्य या चेला रे।
जितना दान देव गे जैसा, वैसा निकरै तेला रे।
बांभन जाति सभी बहकावे, जन्ह तंह मचै बबेला रे।
छोड़ि के बांभन आ संग मेरे, कह विद्रोहि अकेला रे।
जाति-जाति में जात है, ज्यों केलन के पात।
रैदास न मानुष जुड़ सकै, जौ लौ जात न जात।।
जन्म जाति के कारने, होत न कोई नीच।
नर को नीच करि डारि है, ओछे करम के कीच।।
रैदास ब्राह्मण मत पूजिए, जउ होवे गुनहीन।
पूजिए चरन चण्डाल के, जो होवे गुन प्रवीन।।
ऐसा चाहूँ राज मैं, जहँ मिले सबन को अन्न।
छोट-बड़ो सब सम बसे, रैदास रहे प्रसन्न।
चारों वेद करौ खंडौती।
तो रविदास करौ दंडौती।।
कबीर तो इससे भी कटु आलोचना करते हैं, जो मुद्रित करने योग्य नहीं है।
ऊंचे कुल क्या जनमिया, जब करनी ऊंच न होय।
सुबरन कलस सुरा भरा, साधु निंदा सोय।
चन्द्र भान पाल ( बी एस एस) मुम्बई से लिखते हैं:
स्कूल के रास्ते में शुकुल का पुरवा, उसमें एक शुकुल के घर के सामने टंगा पिंजरा और उसमें गले पर लाल धारी के पट्टे वाला सुंदर तोता, हम बच्चे मुख्य रास्ता छोड़कर उस तोते से मिलने शुकुल के घर जरूर जाते। उस तोते की विशेषता थी कि वह न सिर्फ मिट्ठू सीताराम ही बोलता बल्कि,
चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।
तुलसीदास चंदन घिसैं तिलक देंय रघुवीर।।
पूरा दोहा ही सुना देता
फिर कभी शुकुल मिल जाते तो बड़ी शान से बताते कि इस तोते को यह सब सिखाने में उन्होंने कितनी मेहनत की।
परिवार और समाज में देखा तो वातावरण पूरी तरह राममय था। बच्चों के पैदा होने पर गाये जाने वाले गीतों में राम, बच्चों के नाम के आगे पीछे राम, किसी को जम्हाई आ रही है तो लंबा सा हे राम, किसी काम का आरंभ करना है तो राम, यहां तक कि अनाज बेचने के लिए तौलते समय, पहले पलड़े को राम, दूसरे को दो, फिर तीन।
दरवाजे पर लिखा राम राम, किसी को नमस्कार करना है तो राम राम या जय राम जी की, ब्राह्मणों को छोड़कर, उन्हें तो चरण स्पर्श या प्रणाम के अलावा कुछ मंजूर नहीं, नाटक खेलना है तो, रामलीला करो, अखंड रामायण, अखंड कीर्तन करो तो, रात दिन राम राम, विवाह गीत गाना है तो राम लखन, जब जेवन बैठे, गावैं सखिन सब गारी, हां सीताराम के भजो, सावन में झूला झूलने के समय झूला झूलैं अवध बिहारी उनके संग में जनक दुलारी, झूला पड़ि गयो अमवा के डार में सावन के बहार में ना।
कोई विपत्ति पड़ी तो हाय राम, हाय राम करो, सुबह उठो तो राम राम, दिन भर राम राम, सोने से पहले राम राम, बच्चे पढ़ने जायें तो, पढ़ें राम राज बैठे त्रैलोका, हर्षित भये गये सब शोका।और
नाथ शंभु धनु भंजनि हारा
होइहैं कोउ एक दास तुम्हारा ।। पढ़ें
किसी का अन्तिम समय आया है तो मुंह से राम राम निकलना ही चाहिए फिर तो उद्धार निश्चित। गांधी जी को गोली लगी मर गये किन्तु ब्राह्मणों ने प्रचार कर दिया मरने से पहले गांधीजी ने "हे राम" कहा था।
परिजन दुख की घड़ी में राम राम करें, यहां तक कि अंतिम यात्रा में भी "राम नाम सत्य है" का उद्घोष करते रहें, यह तो अपने आप में प्रमाण है कि राम नाम को सत्य न मानने वाला बहुत बड़ा तबका हमेशा रहा है ।
फुले साहू अम्बेडकर पेरियार आदि महापुरुषों के लिखे साहित्य पढ़कर और मिशनरी संगठनों से जुड़ने के बाद जब पता चला रामायण तो काल्पनिक ग्रंथ है, वास्तविक इतिहास नहीं। तब जाकर मुझे इस बात का एहसास हुआ कि जिस तरह शुकुल ने मनोरंजन के लिए तोते को पिंजरे में रखकर बचपन से ही उसको सीताराम और रामायण का दोहा बड़ी मेहनत से रटाया, उससे लाखों गुना ज्यादा मेहनत शुकुल के ब्राह्मण समाज ने विषमता वादी व्यवस्था के प्रतीक राम का उपयोग, शूद्रों को मानसिक गुलाम बनाने के लिए किया। भय और लालच के सहारे शूद्रों के जन्म से मरण तक रोम रोम में राम को स्थापित कर दिया। कुल मिलाकर ब्राह्मणों ने पूरे शूद्र समाज को उनके इशारे पर जय श्रीराम का शोर मचाने वाला तोता बना दिया और खुद शासक बन गये। आज भी सत्ता के बल पर शिक्षण व्यवस्था और संचार माध्यमों के द्वारा शूद्रों को तोता बनाओ अभियान जोर शोर से चल रहा है। हालांकि इनका सारा प्रोपगंडा झूठ पर आधारित है फिर भी मिशनरी साथियों जो फुले साहू अम्बेडकर पेरियार आदि महापुरुषों की समता वादी वैज्ञानिकता वादी मानवता वादी विचार धारा को समाज स्थापित करने हेतु संघर्ष रत हैं, उनके लिए चुनौती तो है ही, सबक भी है, कि जिस तरह ब्राह्मणों ने जन्म से मरण तक कोई ऐसा अवसर नहीं छोड़ा जहां, राम कृष्ण या काल्पनिक देवी देवताओं को शूद्रों के दिमाग में ठूंस ठूंस कर भरने का प्रयास न किया हो।
मिशनरी व्यक्तियों और संगठनों को अपने शूद्र समाज को ब्राह्मणों द्वारा थोपे झूठ से बाहर निकालकर महापुरुषों की मानवता वादी विचारधारा को जीवन के हर क्षेत्र में हर अवसर पर जन जन तक पहुंचाना होगा और अपने समाज को तोते से इंसान बनाना होगा। क्योंकि तोता कभी शासक बन नहीं सकता और महापुरुषों के विचारों से लैस इंसान बन गया तो, उसे शासक बनने से कोई रोक नहीं सकता।
ओबीसी समाज के जागरूक साथियों से अपील है कि भागवत की कोई बात न करके सिर्फ और सिर्फ जातिगत जनगणना और आबादी के अनुसार ओबीसी को सरकार आरक्षण दे और 97 प्रतिशत शूद्र एकता की ही बात प्रमुखता से तब उठाते रहें, जबतक हमारा हक अधिकार नहीं मिल जायेगा और तब तक आंदोलन जारी रहना चाहते।
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देखें इस वीडियो में: क्यों भाजपा के पालतू तीतरों का सामाजिक वहिष्कार करना जरूरी है!
देखें क्या कहते हैं योगी आदित्यनाथ जी की भाजपा सरकार में कठवा मोड़ कांड में जेल गए और जेल में ही शहीद हुए अमर शहीद हरिनाथ बिंद जी के परिजन
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जसवन्त सिंह निषाद
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