चन्देरी, अशोक नगर, मध्य-प्रदेश (Chanderi, Ashok Magar, Madhya Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh), ब्यूरो मुकेश कुमार रैकवार की रिपोर्ट, 25 मई 2019। मोदी की सुनामी में 1957 के बाद पहली बार सिंधिया राजघराने के सदस्य को चुनाव हाराकर खिला कमल। यही नहीं, पहली बार सिंधिया परिवार का कोई सदस्य गुना लोकसभा सीट से चुनाव हारा है। क्योंकि बदले हुए हालात में भी सिंधिया राजघराने का सदस्य यहां से चुनाव जीतता रहा, लेकिन इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना लोकसभा सीट से चुनाव हार गए। पार्टी कोई भी रही हो लेकिन गुना लोकसभा सीट पर सिंधिया परिवार का ही कब्जा रहा है। लेकिन 2019 में पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से चुनाव हार गए। इनसे पहले 1957 में यहां हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सिंधिया राजघराने की महारानी विजिया राजे ने पहला चुनाव लड़ा। उसके बाद 1971 में विजयाराजे के बेटे माधवराव सिंधिया ने भी पहला चुनाव यहीं से जंनसंघ के टिकट पर लड़ा था और जीता भी था। माधवराव सिंधिया के निधन होने के बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2002 में हुए उपचुनाव में यहीं से की। पिछले 4 चुनावों से इस सीट पर कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही जीत मिलती रही, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में वे अपने प्रतिद्वंदी और भाजपा उम्मीदवार डॉ. के पी यादव से चुनाव हार गए। हार का कारण प्रत्याशी, नहीं मोदी लहर है।
सिंधिया ने गुना लोकसभा में बहुत से विकास कार्य किए, लेकिन कभी पंचायत गांव पर ध्यान नहीं दिया। आज बही गांव उनकी हार का कारण बन गए। आज बहुत से ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जहाँ शिक्षा, पानी, बिजली, को लोग तरसते हैं। आज वही सिंधिया घराने की हार का कारण बन गए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि रहे डॉ. के पी यादव 2019 लोकसभा चुनाव में जैसे ही भाजपा की ओर उम्मीदवार बने, वे चर्चा के केन्द्र में आ गए, क्योंकि सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया ने ट्वीट कर कहा था कि जो कल तक महाराज के साथ सेल्फी लेने के सिंधिया का इंतजार करता था, वह अब गुना में उनको चुनौती देगा? इस बयान के बाद से ही इस सीट पर गुरु-चेले की लड़ाई परवान पर चढ़ी। इस लड़ाई में चेला गुरु पर भारी पड़ गया और 1957 के बाद पहली बार यह सीट सिंधिया राजघराने के हाथ से निकल गई। डॉ. के पी यादव ने मुंगावली विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस से टिकट मांगा था, लेकिन सिंधिया ने इसमें कोई रुचि नहीं ली थी। जिससे डॉ. के पी यादव नाराज हो गये और भाजपा में आ गए।
सिंधिया ने गुना लोकसभा में बहुत से विकास कार्य किए, लेकिन कभी पंचायत गांव पर ध्यान नहीं दिया। आज बही गांव उनकी हार का कारण बन गए। आज बहुत से ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जहाँ शिक्षा, पानी, बिजली, को लोग तरसते हैं। आज वही सिंधिया घराने की हार का कारण बन गए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि रहे डॉ. के पी यादव 2019 लोकसभा चुनाव में जैसे ही भाजपा की ओर उम्मीदवार बने, वे चर्चा के केन्द्र में आ गए, क्योंकि सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया ने ट्वीट कर कहा था कि जो कल तक महाराज के साथ सेल्फी लेने के सिंधिया का इंतजार करता था, वह अब गुना में उनको चुनौती देगा? इस बयान के बाद से ही इस सीट पर गुरु-चेले की लड़ाई परवान पर चढ़ी। इस लड़ाई में चेला गुरु पर भारी पड़ गया और 1957 के बाद पहली बार यह सीट सिंधिया राजघराने के हाथ से निकल गई। डॉ. के पी यादव ने मुंगावली विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस से टिकट मांगा था, लेकिन सिंधिया ने इसमें कोई रुचि नहीं ली थी। जिससे डॉ. के पी यादव नाराज हो गये और भाजपा में आ गए।