अलीगढ़, उत्तर प्रदेश (Aligarh, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) एडिटोरियल रिपोर्ट, 13 मई 2019। अमित शाह और योगी आदित्यनाथ जी बताएं-निषाद के वंशजो को कैसे रखना चाहते हो पैर धोने वाले या निषाद राज वाले। वह गुह्यराज निषाद राज महाराज जिनकी शरण में श्री राम जी अपनी विपदा लेकर पहुंचे और
अपने वन के 14 में से 12 साल से ज़्यादा का वक्त वन में सकुशल विताया था। जिन भगवानों के भगवान गुह्यराज राज ने श्री राम को भगवान मानकर पूजा पाठ कराया था राजपाठ छीने जाने के बाद घर से 14 वर्ष का वन भेजे जाने के बाद भी। गुह्यराज निषाद राज महाराज ही श्री राम की विपत्ति में एकमात्र ऐसे साथी थे जो उनके वन जाने के बाद भी अयोध्या के राज सिंघासन को चलाने में भरत की मदद करते थे।
आज कल लोकसभा चुनाव चल रहे हैं औऱ सभी पार्टियां उत्तर प्रदेश और बिहार में निर्णायक भूमिका में पहुंच चुके 15 प्रतिशत से ज्यादा जन संख्या वाले निषाद वंश की सभी जातियों मल्लाह, केवट, बिन्द, कश्यप, कहार, सहानी, तुरैहा, माझी, मझबार, गोंड़, रायकवार, मेहरा, बेलदार, धुरिया, बाथम, चाई, खरबार आदि को अपनी ओर मोड़ने के लिए तरह तरह के वायदे कर रहे हैं। इसी क्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने संत कबीर नगर की सभा सहित कई सभाओं में घोषणा की कि भाजपा की सरकार बनने पर श्रृंगवेरपुर धाम में जहां केवट ने श्री राम के पैर धोए थे वहां पर 80 फिट की निषाद राज केवट की प्रतिमा लगवाई जाएगी। इसी प्रकार कई बार योगी आदित्यनाथ जी भी केवट के पैर धोने के बयान देते रहे हैं।
रामायण ने गुह्यराज निषाद राज महाराज और नत्था केवट दो अलग अलग किरदार हैं। कथा या भागवत वाचक निषाद राज गुह्यराज महाराज के भगवान राम पर किये गए उपकार की जगह नत्था केवट की ही कथा बड़े मार्मिक तरीके से सुना सुना कर अपनी जीविका चलाने के लिए सुनाते रहते हैं। और लोगों में श्री राम को भगवान के रूप में पूरी दुनिया मे पुजवाने वाले गुह्यराज निषाद राज महाराज की भी तस्वीर केवट की ही दिखाई देती है। नत्था केवट तो निषाद राज गुह्यराज महाराज का एक साथी नाविक था। जिसका कार्य अपने स्वामी की सेवा करने के लिए ही था। और उसी भावना से नत्था केवट ने अपने स्वामी के राज्य में अथिति स्वरूप अपनी विपत्ति में श्रृंगवेरपुर धाम में पधारे श्री राम को गंगा पार उतारा था। निषाद वंशीय लोगों में अतिथि देवो भव की भावना हमेशा ही रही है। पहले राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद और बाद में निषाद पार्थ ने नत्था केवट की जगह निषाद राज गुह्यराज महाराज की तसवीर ही आम जनों के अन्दर पहुंचाने का कार्य किया और उनका पूजा पाठ भी कराया है।
अपने वन के 14 में से 12 साल से ज़्यादा का वक्त वन में सकुशल विताया था। जिन भगवानों के भगवान गुह्यराज राज ने श्री राम को भगवान मानकर पूजा पाठ कराया था राजपाठ छीने जाने के बाद घर से 14 वर्ष का वन भेजे जाने के बाद भी। गुह्यराज निषाद राज महाराज ही श्री राम की विपत्ति में एकमात्र ऐसे साथी थे जो उनके वन जाने के बाद भी अयोध्या के राज सिंघासन को चलाने में भरत की मदद करते थे।
आज कल लोकसभा चुनाव चल रहे हैं औऱ सभी पार्टियां उत्तर प्रदेश और बिहार में निर्णायक भूमिका में पहुंच चुके 15 प्रतिशत से ज्यादा जन संख्या वाले निषाद वंश की सभी जातियों मल्लाह, केवट, बिन्द, कश्यप, कहार, सहानी, तुरैहा, माझी, मझबार, गोंड़, रायकवार, मेहरा, बेलदार, धुरिया, बाथम, चाई, खरबार आदि को अपनी ओर मोड़ने के लिए तरह तरह के वायदे कर रहे हैं। इसी क्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने संत कबीर नगर की सभा सहित कई सभाओं में घोषणा की कि भाजपा की सरकार बनने पर श्रृंगवेरपुर धाम में जहां केवट ने श्री राम के पैर धोए थे वहां पर 80 फिट की निषाद राज केवट की प्रतिमा लगवाई जाएगी। इसी प्रकार कई बार योगी आदित्यनाथ जी भी केवट के पैर धोने के बयान देते रहे हैं।
रामायण ने गुह्यराज निषाद राज महाराज और नत्था केवट दो अलग अलग किरदार हैं। कथा या भागवत वाचक निषाद राज गुह्यराज महाराज के भगवान राम पर किये गए उपकार की जगह नत्था केवट की ही कथा बड़े मार्मिक तरीके से सुना सुना कर अपनी जीविका चलाने के लिए सुनाते रहते हैं। और लोगों में श्री राम को भगवान के रूप में पूरी दुनिया मे पुजवाने वाले गुह्यराज निषाद राज महाराज की भी तस्वीर केवट की ही दिखाई देती है। नत्था केवट तो निषाद राज गुह्यराज महाराज का एक साथी नाविक था। जिसका कार्य अपने स्वामी की सेवा करने के लिए ही था। और उसी भावना से नत्था केवट ने अपने स्वामी के राज्य में अथिति स्वरूप अपनी विपत्ति में श्रृंगवेरपुर धाम में पधारे श्री राम को गंगा पार उतारा था। निषाद वंशीय लोगों में अतिथि देवो भव की भावना हमेशा ही रही है। पहले राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद और बाद में निषाद पार्थ ने नत्था केवट की जगह निषाद राज गुह्यराज महाराज की तसवीर ही आम जनों के अन्दर पहुंचाने का कार्य किया और उनका पूजा पाठ भी कराया है।
इस चुनाव में भी भाजपा की डूबती हुई नैया को पार लगाने के लिए निषाद पार्टी ने भी गुह्यराज निषाद राज की भूमिका निभाई है बिना किसी सीट पर खुद चुनाव लड़कर। इसलिए अब आज भी अगर नत्था केवट या कहार की भूमिका में निषाद वंशजों को भाजपा मानती है तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल है। इसलिए भाजपा के नेतृत्व को स्पस्ट करना चाहिए कि आप ऊपर इस लेख में दी गई किस तसवीर की जैसी प्रतिमा पवित्र श्रृंगवेरपुर धाम में स्थापित कराना चाहते हो।