लखनऊ, उत्तर प्रदेश (Lucknow, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव सन्देश (Eklavya Manav Sandesh) ब्यूरो रिपोर्ट, 6 जुलाई 2019। यह बहुत ही बड़ी विडम्बना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में 17 जातियों के SC आरक्षण के कोई भी पैरोकार वकील है संवैधानिक विशेषज्ञ नहीं है। इसलिए इन सभी वकीलों को चाहिए कि तुरंत समन्वय बनायें किसी संवैधानिक विशेषज्ञ अधिवक्ता से। जिससे उच्च न्यायालय में यह संवैधानिक लड़ाई जीती जा सके।
आप को मालूम होना चाहिए कि न्याय व्यवस्था की पढ़ाई में भी डॉक्टरों की तरह सभी प्रकार के विशेषज्ञ वकीलों की भी पढ़ाई का प्रावधान है। जैसे सिविल, क्रिमिनल, फौजदारी, संवैधानिक अधिकार आदि के लिए भी पढ़ाई के रूप में अधिवक्ता विशेषज्ञ बनने के लिए विषय चुनकर पढ़ते हैं। और जब मुकद्दमा न्यायाधीश महोदय के पास पहुंचता है तो वे सुनवाई करते समय पक्ष और विपक्ष की और से पेश अधिवक्ता की विशेषता देखकर अपना फैसला सुनते हैं या सुनाते हैं। अगर मामले का विशेषज्ञ वकील बहस करता है तो विद्वान न्यायाधीश उस पर गौर करते हैं, लेकिन अगर वकील किसी और मामलों का विशेषज्ञ है तो विद्वान न्यायाधीश उसकी बात को कम तबज्जो देते हैं। जैसे एक हड्डी का विशेषज्ञ आंख का कैसा ऑपरेशन करेगा आप खुद ही जान सकते हैं।
इसलिए जो भी वकील 17 जातियों के SC आरक्षण पर 17 जातियों की तरफ से केस लड़ रहे हैं उनको चाहिए किसी संवैधानिक विशेषज्ञ के साथ समन्वय स्थापित करें। क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह मामला 2 साल से ज्यादा समय से लटका हुआ है और 17 जातियों के वकील इतने कमजोर सावित हुए हैं कि 29 मार्च 2017 के 17 जातियों के फेवर के केश को अभी तक धरातल पर नहीं पहुंचा सके। क्योंकि इस केश में 6 माह में ही कंप्लाइन्स हो जाना चाहिए था। जो नहीं हो सका। अब 24 जून 2019 को इन 17 जातियों के आरक्षण पर उत्तर प्रदेश सरकार भी तब लागू करने को राजी हुए है, जब निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामना डॉ. संजय कुमार निषाद जी ने भाजपा से 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन किया और बड़ी संख्या में निषाद वंशियों के वोट थोक में दिलाकर भाजपा की केंद्र में सरकार बनबाने में सहयोग किया है।
आज उत्तर प्रदेश सरकार भी चाहती है कि इन गरीब पिछड़े वर्गों का कल्याण हो इसलिए हमारे वकीलों को भी मजबूत पैरवी करने के लिए अपने अहम की नहीं सामज की चिंता करनी चाहिए। बिना उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग के निषाद वंश का आरक्षण का मुद्दा हल नहीं होगा।
बड़ी विडम्बना यह भी है कि इस समाज को कुछ नेता और अपनी रोजी रोटी के लिए ठगने वाले लोग, महामना डॉ. संजय कुमार निषाद जी के मजबूत नेतृत्व को गाली देने का काम करते हैं।
इसलिए हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि अगर कोई 17 जातियों के आरक्षण के पैरोकार के रूप में आपके बीच पहुंच कर निषाद पार्टी और महामना डॉ. संजय कुमार निषाद जी की बुराई करता है तो, समझ लो कि यह मूर्ख और धूर्त है।
निषाद पार्टी और राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद पिछले6 सालों से निषाद वंशियों के हक अधिकार के साथ राजनीतिक भागेदारी और उचित हिस्सेदारी के लिए लगातार संघर्ष कर रही है। और आज तक महामना डॉ. संजय कुमार निषाद जी के जैसा नेतृत्व कर्ता इस समाज में पैदा नहीं हुआ, जिसके हर कदम निषाद वंश के कल्याण के लिए ही उठा हो।
अंत में आप सभी को चाहिए ज्यादा से ज्यादा संख्या में पूरे देश के निषाद वंशियों को तुरंत निषाद पार्टी की सदस्यता लेकर 1 दिवसीय कैडर और 3 दिवसीय कैडर कार्यक्रम में भागेदारी लेकर अपने ज्ञान को बढ़ाकर समाज का कल्याण करने में मदद कीजिए।
जय निषाद राज
आप को मालूम होना चाहिए कि न्याय व्यवस्था की पढ़ाई में भी डॉक्टरों की तरह सभी प्रकार के विशेषज्ञ वकीलों की भी पढ़ाई का प्रावधान है। जैसे सिविल, क्रिमिनल, फौजदारी, संवैधानिक अधिकार आदि के लिए भी पढ़ाई के रूप में अधिवक्ता विशेषज्ञ बनने के लिए विषय चुनकर पढ़ते हैं। और जब मुकद्दमा न्यायाधीश महोदय के पास पहुंचता है तो वे सुनवाई करते समय पक्ष और विपक्ष की और से पेश अधिवक्ता की विशेषता देखकर अपना फैसला सुनते हैं या सुनाते हैं। अगर मामले का विशेषज्ञ वकील बहस करता है तो विद्वान न्यायाधीश उस पर गौर करते हैं, लेकिन अगर वकील किसी और मामलों का विशेषज्ञ है तो विद्वान न्यायाधीश उसकी बात को कम तबज्जो देते हैं। जैसे एक हड्डी का विशेषज्ञ आंख का कैसा ऑपरेशन करेगा आप खुद ही जान सकते हैं।
इसलिए जो भी वकील 17 जातियों के SC आरक्षण पर 17 जातियों की तरफ से केस लड़ रहे हैं उनको चाहिए किसी संवैधानिक विशेषज्ञ के साथ समन्वय स्थापित करें। क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह मामला 2 साल से ज्यादा समय से लटका हुआ है और 17 जातियों के वकील इतने कमजोर सावित हुए हैं कि 29 मार्च 2017 के 17 जातियों के फेवर के केश को अभी तक धरातल पर नहीं पहुंचा सके। क्योंकि इस केश में 6 माह में ही कंप्लाइन्स हो जाना चाहिए था। जो नहीं हो सका। अब 24 जून 2019 को इन 17 जातियों के आरक्षण पर उत्तर प्रदेश सरकार भी तब लागू करने को राजी हुए है, जब निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामना डॉ. संजय कुमार निषाद जी ने भाजपा से 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन किया और बड़ी संख्या में निषाद वंशियों के वोट थोक में दिलाकर भाजपा की केंद्र में सरकार बनबाने में सहयोग किया है।
आज उत्तर प्रदेश सरकार भी चाहती है कि इन गरीब पिछड़े वर्गों का कल्याण हो इसलिए हमारे वकीलों को भी मजबूत पैरवी करने के लिए अपने अहम की नहीं सामज की चिंता करनी चाहिए। बिना उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग के निषाद वंश का आरक्षण का मुद्दा हल नहीं होगा।
बड़ी विडम्बना यह भी है कि इस समाज को कुछ नेता और अपनी रोजी रोटी के लिए ठगने वाले लोग, महामना डॉ. संजय कुमार निषाद जी के मजबूत नेतृत्व को गाली देने का काम करते हैं।
इसलिए हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि अगर कोई 17 जातियों के आरक्षण के पैरोकार के रूप में आपके बीच पहुंच कर निषाद पार्टी और महामना डॉ. संजय कुमार निषाद जी की बुराई करता है तो, समझ लो कि यह मूर्ख और धूर्त है।
निषाद पार्टी और राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद पिछले6 सालों से निषाद वंशियों के हक अधिकार के साथ राजनीतिक भागेदारी और उचित हिस्सेदारी के लिए लगातार संघर्ष कर रही है। और आज तक महामना डॉ. संजय कुमार निषाद जी के जैसा नेतृत्व कर्ता इस समाज में पैदा नहीं हुआ, जिसके हर कदम निषाद वंश के कल्याण के लिए ही उठा हो।
अंत में आप सभी को चाहिए ज्यादा से ज्यादा संख्या में पूरे देश के निषाद वंशियों को तुरंत निषाद पार्टी की सदस्यता लेकर 1 दिवसीय कैडर और 3 दिवसीय कैडर कार्यक्रम में भागेदारी लेकर अपने ज्ञान को बढ़ाकर समाज का कल्याण करने में मदद कीजिए।
जय निषाद राज