लखनऊ, उत्तर प्रदेश (Lucknow, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh), ब्यूरो रिपोर्ट, 4 जुलाई 2019।
माया का अनौखा खेल, 2012 में 17 जातियां हो गईं थीं गोल। उत्तर प्रदेश में 17 जातियों के आरक्षण मामला 2007 से विचाराधीन है और केंद्र से मंजूरी के लिए इसे दिल्ली भेजा गया था। लेकिन इन जातियों को अधिकार दिलाने वाली यह फ़ाइल ही 2012 में तत्कालीन कांग्रेस की मनमोहन सिंह जी की सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की मंत्री कु. शैलजा और मुकुल वासनिक के मंन्त्री रहते गुम हो गई। जब यह फाइल दिल्ली गई थी तब उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव जी की सरकार थी और जब फाइल गायब हुई तब उत्तर प्रदेश में सुश्री मायावती जी की सरकार थी। मायावती जी इन जातियों के अनुसूचित जाति के आरक्षण का हमशा विरोध ही करती रही हैं। केंद्र की मनमोहन सिंह जी की कांग्रेस सरकार को सपा और बसपा दोनों का ही समर्थन रहा और मछुआरों की हितैषी बनने वाले मुलायम सिंह यादव या उनके सुपुत्र अखिलेश यादव जी ने या मायावती जी ने कभी भी इस फ़ाइल के बारे में पता ही नहीं किया। क्योंकि इनको इन 17 जातियों को आरक्षण देना ही नहीं था।
अब एक आरटीआई के द्वारा पता चला है कि यह फ़ाइल गयाब है। इस गुम हुई फ़ाइल के विरोध में आरटीआई कार्यकर्ता ने दिल्ली में कु.शैलजा और मुकुल वासनिक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया है।
जब अब 29 मार्च 2017 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ जी की सरकार निषाद पार्टी के समझौते के तहत इन जातियों को अनुसूचित जाति का अधिकार दे रही है तो, मायावती और उनके राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने इस पर अपना विरोध जताया है और राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने भी उनकी हां में हां मिला कर उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को आयना दिखाने की कोशिश की। लेकिन अगले ही दिन 3 जुलाई को गेहलोत जी अपनी बात पर पलट गए।
अब मा. सतीश चंद्र मिश्रा एवं मा. थावर सिंह गहलोत इस पर क्या अपना बयान देंगे, जो यह 17 पिछड़ी जातियों के साथ उन्हीं के मंत्रालय में धोखेबाजी हो रही है। इसका जवाब उन्हें सदन में देना चाहिए और निषाद समाज और पिछड़ी जातियों के सभी संसद सदस्यों को इस पर इन दोनों से सीधे जवाब देने के लिए जो 17 पिछड़ी जातियों के साथ 1950 से धोखेबाजी हो रही है, इस पर स्थिति स्पष्ट राज्यसभा और लोकसभा में करें और दोषियों पर दण्डानात्मक कार्रवाई करें और 17 पिछड़ी जातियों को केन्द्र में तत्काल अनुसूचित जाति में शामिल करके इस समाज के लोगों को बैकलॉक के रूप में सभी क्षेत्रों में सुविधाएं दें।
माया का अनौखा खेल, 2012 में 17 जातियां हो गईं थीं गोल। उत्तर प्रदेश में 17 जातियों के आरक्षण मामला 2007 से विचाराधीन है और केंद्र से मंजूरी के लिए इसे दिल्ली भेजा गया था। लेकिन इन जातियों को अधिकार दिलाने वाली यह फ़ाइल ही 2012 में तत्कालीन कांग्रेस की मनमोहन सिंह जी की सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की मंत्री कु. शैलजा और मुकुल वासनिक के मंन्त्री रहते गुम हो गई। जब यह फाइल दिल्ली गई थी तब उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव जी की सरकार थी और जब फाइल गायब हुई तब उत्तर प्रदेश में सुश्री मायावती जी की सरकार थी। मायावती जी इन जातियों के अनुसूचित जाति के आरक्षण का हमशा विरोध ही करती रही हैं। केंद्र की मनमोहन सिंह जी की कांग्रेस सरकार को सपा और बसपा दोनों का ही समर्थन रहा और मछुआरों की हितैषी बनने वाले मुलायम सिंह यादव या उनके सुपुत्र अखिलेश यादव जी ने या मायावती जी ने कभी भी इस फ़ाइल के बारे में पता ही नहीं किया। क्योंकि इनको इन 17 जातियों को आरक्षण देना ही नहीं था।
अब एक आरटीआई के द्वारा पता चला है कि यह फ़ाइल गयाब है। इस गुम हुई फ़ाइल के विरोध में आरटीआई कार्यकर्ता ने दिल्ली में कु.शैलजा और मुकुल वासनिक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया है।
जब अब 29 मार्च 2017 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ जी की सरकार निषाद पार्टी के समझौते के तहत इन जातियों को अनुसूचित जाति का अधिकार दे रही है तो, मायावती और उनके राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने इस पर अपना विरोध जताया है और राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने भी उनकी हां में हां मिला कर उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को आयना दिखाने की कोशिश की। लेकिन अगले ही दिन 3 जुलाई को गेहलोत जी अपनी बात पर पलट गए।
अब मा. सतीश चंद्र मिश्रा एवं मा. थावर सिंह गहलोत इस पर क्या अपना बयान देंगे, जो यह 17 पिछड़ी जातियों के साथ उन्हीं के मंत्रालय में धोखेबाजी हो रही है। इसका जवाब उन्हें सदन में देना चाहिए और निषाद समाज और पिछड़ी जातियों के सभी संसद सदस्यों को इस पर इन दोनों से सीधे जवाब देने के लिए जो 17 पिछड़ी जातियों के साथ 1950 से धोखेबाजी हो रही है, इस पर स्थिति स्पष्ट राज्यसभा और लोकसभा में करें और दोषियों पर दण्डानात्मक कार्रवाई करें और 17 पिछड़ी जातियों को केन्द्र में तत्काल अनुसूचित जाति में शामिल करके इस समाज के लोगों को बैकलॉक के रूप में सभी क्षेत्रों में सुविधाएं दें।