भाजपा सरकार में गाजीपुर में मझबार के नये बने प्रमाण पत्र डरा धमकाकर किस के इशारे पर वापिस ले गए लेखपाल

गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश (Gazipur, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) रिपोर्टरर दुर्गविजय साहनी की रिपोर्ट, 15 अगस्त 2019। 
भाजपा सरकार में गाजीपुर में मझबार के नये बने प्रमाण पत्र डरा धमकाकर किस के इशारे पर वापिस ले गए लेखपाल।

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   गाज़ीपुर जनपद की कासिमाबाद तहसील की ग्राम सभा मल्लाहटोली बहादुरगंज, नसीरपुर मड़ई पाली और धोबिया तकिया बहादुरगंज में इस साल अप्रैल से जुलाई तक बने मझबार जाति के प्रमाण पत्रों को 12 अगस्त 2019 को लेखपालों द्वारा प्रमाण पत्र धारियों को डरा धमकाकर, एफआईआर की धौंस दिखा कर वापिस ले जाने का मामला प्रकाश में आया है। पीड़ितों के अनुसार लेखपाल खुद के द्वारा लिखे हुए पत्रों पर, उन व्यक्तियों से जबर्दस्ती जेल जाने का डर दिखा कर हस्ताक्षर कराकर बने हुए मझबार के प्रमाण पत्र वापिस ले लिये।
     लेखपाल द्वारा अपने हाथों से लिखकर लाये हुए पत्रों में साफ लिखा हुआ है कि हम पिछड़ी जाति के हैं और हमारे प्रमाण पत्र अनुसूचित जाति के बन गए हैं। अतः इनके बदले हम पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र बनबाना चाहते हैं। लेखपाल की खुद की लिखाई में लिखे इन पत्रों से मझबार के प्रमाण पत्र वापिस लेकर इस जाति के लोगों के साथ योगी आदित्यनाथ जी की भाजपा सरकार में किसके इसारे पर यह सब किया जा रहा है। जबकि अभी सरकार ने 12 जून और 24 जून को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के 29 मार्च के अनुपालन के लिए शासनादेश जारी किये थे।
       जिन प्रमाण पत्रों को गाज़ीपुर में लेखपाल ले गये हैं, उनमें से कुछ की फोटो कॉपी एकलव्य मानव संदेश के हाथ लगी हैं, जो पाठकों के लिए नीचे दिखाई गईं हैं-


 
इसके अलावा 21 और 22 दिसम्बर 2016 के शासनादेश और उसके बाद 29 मार्च 2017 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश और उस आदेश के पालन के लिए 12 जून और 24 जून 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए शासनादेशों के बाद पूरे उत्तर प्रदेश में 17 जातियों के व्यक्तियों द्वारा SC जाती के प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन किये जा रहे हैं, जिनको अलग अलग बहाने बनाकर तहसीलों के लेखपाल सभी जिलों में अस्वीकार कर रहे हैं। जैसे आगरा सदर में सन 1369 के सबूत जाती के रूप में मांगा गया है।
जब ये सन 1369 का जाती का सबूत आवेदकों के पास अगर होता तो सरकार से G.O. की आवश्यकता ही क्यों होती। जाती के सबूत के तौर पर G.O. को ही स्वीकार करके प्रमाण पत्र जारी किए जाने की आवश्यकता है। यह स्पस्ट आदेश का G. O. तुरंत उत्तर प्रदेश सरकार को जारी करना चाहिए।

 जबकि 17 जातियाँ SC आरक्षण की पहले से ही SC आरक्षण की हकदार हैं- प्रमाण पत्र जारी कराने के लिए पक्के कागजी सबूत हैं। उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार के मंत्री मण्डल ने 22 जुलाई 2016 को 17 जातियों को परिभाषित करके ही किया था SC में शामिल। जिसके बाद शासन के द्वारा जारी शासनादेश के लिएदेखें मंत्रिमंडल की बैठक में हुई निर्णय की यह रिपोर्ट

मंत्रिमंडल के निर्णय के बाद प्रमुख सचिव मनोज सिंह के आदेश से समाज कल्याण अनुभाग 3 के द्वारा जारी 22 दिसम्बर 2016 का 17 जातियों को SC में शामिल करने का शासनादेश

इससे पहले 21 दिसम्बर 2016 को मझबार के अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र निर्गत करने का शासनादेश

 21 और 22 दिसम्बर 2016 के शासनादेश और इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को लागू और किलियर करने के लिए पुनः 12 और 24 जून 2019 को संत कबीर नगर के सांसद ईं. प्रवीण कुमार निषाद के द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आदेश के बाद प्रमुख सचिव समाज कल्याण अनुभाग 3 द्वारा जारी हुआ नया शासनादेश








31 दिसम्बर 2016 का कार्मिक अनुभाग-2 लखनऊ द्वारा जारी आदेश जो कहता है कि 194 में उल्लखित अनुसूची की अन्य पिछड़े वर्ग की कतिपय जातियां अन्य पिछड़े वर्ग के बजाय अनुसूचित जाति का लाभ प्राप्त करने के हकदार समझी जाएंगी। 

 31 दिसम्बर 2016 की कार्मिक अनुभाग-2 लखनऊ की अधिसूचना जो 3 भाग में 17 जातियों को बांटकर जारी की गई।
 2 जनवरी 2016 को उत्तर प्रदेश शासन के समाज कल्याण अनुभाग-3  लखनऊ के 17 जतियों के सम्बंध में जारी शुद्धि पत्र
 12 जनवरी 2016 को उत्तर प्रदेश शासन के कार्मिक अनुभाग-2 द्वारा जारी पत्र

 सेन्सस ऑफ इंडिया 1961 की उत्तर प्रदेश सरकार की लिस्ट





1961 की जनगणना की रिपोर्ट दिखाती है कि बेलदार, मझबार, गौंड, कुम्हार अनुसूचित जाति के अंतर्गत थे और बेलदार व मझबार पूरे उत्तर प्रदेश के लिए लागू था।




मंडल आयोग के लागू होने पर स्पस्ट लिखा आदेश में भारत सरकार के संयुक्त सचिव वैयक्तिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अपने आदेश में स्पस्ट आदेश दिया है कि जो जातियां ओबीसी की सूची के अलावा अन्य सूची में पहले से मौजूद हैं तो वे पहले वाली स्थिति का ही लाभ की हकदार होंगी। जिसका अनुपालन नहीं किया गया और 17 जातियों की अज्ञानता से इनको बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।देखें इस आदेश में-

29 मार्च 2019 का इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश
जिला समाज कल्याण अधिकारी अलीगढ़ द्वारा जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी/तहसीलदार को 24 जून 2019 को जारी G.O. के अनुपालन के लिए पत्र 

ऑफलाइन जारी शासनादेशों के अनुपालन के लिए दिनांक 2019 को जारी शासनादेश 

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का पत्र
अनुसूचित जाति के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी

उपरोक्त महत्वपूर्ण कागज़ातों
में से कई कागज़ात अलीगढ़ महानगर निवासी राम अवतार प्रजापति जी से साभार प्राप्त किये गए हैं। राम अवतार प्रजापति जी ने इन सहित बहुत से और कागजातों को आरटीआई द्वारा सत्यापित प्रतिलिपि मंगाकर अपने पास संकलित किया है।

इन जातियों को 30 साल से ज्यादा समय से SC आरक्षण के नाम पर गुमराह करने के साथ धोखा दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के वर्तमान मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ जी लोकसभा और निषाद पार्टी की इसी वर्ष मार्च के महीने में गोरखपुर में आयोजित एक कार्यकर्ता सभा में वायदा कर चुके हैं कि इन जातियों को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। लेकिन इसके बाद और शासनादेश के बाद भी नए प्रमाण पत्र बनाने की जगह लोगों को धमका कर बने बनाये प्रमाण पत्र किसके इसारे पर वापिस लिए जा रहे हैं। अगर यह बात सरकार के संज्ञान में नहीं है तो, एकलव्य मानव संदेश की इस रिपोर्ट की सत्यता जांच कर दोषी अधिकारियों को तुरंत दंडित करने का कार्य योगी आदित्यनाथ जी की सरकार को करना चाहिए। और नए प्रमाण पत्र बिना रुकावट के जारी हों इसके लिए कदम उठाने चाहिए। 
क्योंकि सरकार भी जानती है कि उत्तर प्रदेश की जिन 17 जातियों की बात की जाती है असल में ये 17 जाती नहीं हैं, ये पहले से ही अनुसूचित जाति में शामिल केवल 5 जातियों मझबार, तुरैहा, गोंड़, बेलदार जातियों के ही 17 अतिरिक्त बोलचाल और कार्य आधारित नाम हैं। यह उल्लेख 22 दिसम्बर 2016 की उत्तर प्रदेश सरकार की मंत्रिमंडल की बैठक में इन जातियों के अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र जारी करने के निर्णय में भी स्पष्ट लिखा हुआ है। लेकिन इसके बावजूद भी अगर इनको अपनी मूल 5 अनूसूचित जातियों के नाम से प्रमाण पत्र उत्तर प्रदेश सरकार अगर जारी नहीं कर रही है या जारी नहीं करा पा रही है तो यह भाजपा की योगी सरकार की इन जातियों के विरुद्ध एक बड़ी साजिश रची गई है। क्योंकि 1856 की लड़ाई के दौरान कानपुर के सती चौराहा की घटना जिसमें 167 नावों को डुबोकर अंग्रेजी सैनिकों का एक बड़ा संहार करने के बाद अंग्रेजी सरकार ने इन जातियों को वश में करने के लिए 5 एक्ट लगाए थे। ये एक्ट थे नॉर्दन इंडिया फिशरीज एक्ट, नॉर्दन इंडिया फ़ेरीज एक्ट, नॉर्दन इंडिया माइनिंग एक्ट, नॉर्दन इंडिया फॉरेस्ट एक्ट और अंत में सबसे खतरनाक क्रिमिनल एक्ट। इन एक्टो से बचने के लिए इन जातियों के लोगों ने नदियों के किनारे से भागकर अलग अलग जाकर जब अपनी जान बचाई और देश के लिए कुर्बानी दी तो एक ही जाती के लोग अलग अलग जगह पर अलग अलग जैसा काम मिला उसी को करते हुए उसे ही अपनी जाती बताने लगे। जैसे अलीगढ़ और आगरा मंडल में आज भी आप देख सकते हैं कि मल्लाह, वर्मा, केवट, निषाद, मझबार, तोमर, दीक्षित, सिकरवार, तुरैहा, बाथम, कश्यप, चौहान, आदि नाम से जाने जाने के बाद भी इनके आपस में रोटी बेटी के सम्बंध हैं। जिनके एक ही भाई के परिजन अलग अलग जिलों में आज भी अलग अलग नामों से जाने जाते हैं, क्योंकि ये नाम इन लोगों ने ब्रिटिश शासन से अपनी जान बचाने के लिए अपना लिए थे। 

2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने निषाद पार्टी के द्वारा भाजपा से हुए चुनावी समझौते के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए S.C.आरक्षण लागू करने का वायदा किया था। 

आप इस वीडियो लिंक को किलिक करके भी देख सकते हैं।

इसलिए 17 जातियों के प्रति सरकार की लापरवाही पूर्ण धोखेबाजी के खिलाफ सीघ्र ही पूरे उत्तर प्रदेश में वीर शहीद अखिलेश निषाद स्मारक ट्रस्ट के तत्वावधान में 10.30 बजे प्रातः एकलव्य आर्मी जिलाधिकारियों के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन देकर न्याय की गुहार लगाई जाएगी। 

नोट-2-आप उपरोक्त सभी पत्रों की प्रिंट निकाल कर अपने पास जरूर रखिये, जो वक्त जरूत आपको काम आएंगे।