अयोध्या मंदिर मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला

नई दिल्ली (New Delhi), एकलव्यम मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) ब्यूरो रिपोर्ट, 11 नवम्बर 2019। अयोध्या की विवादित (2.77 एकड़) जगह जहां राम लला विराजमान हैं, राम मंदिर निर्माण के लिए दी सुप्रीम कोर्ट ने और मुस्लिम पक्ष के सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन दी जायेगी।
     सिया वक्फ बोर्ड  और निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज़ किया सुप्रीम कोर्ट ने।
राम मंदिर बनाने के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाकर कार्य योजना बनाकर पेश करने के लिए कहा है।
    17 नवम्बर 2019 को रिटायर्ड हो रहे सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस सुधीर रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 जजों की पीठ ने ऐतिहासिक फैसले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
  राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है, इसके तहत कोर्ट ने सरकार को ट्रस्ट बनाकर अयोध्या में राम मंदिर बनवाने का आदेश दिया है। साथ ही, सुन्नी वफ्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन अयोध्या में ही मस्जिद बनाने के लिए दी जाएगी।
     कोर्ट ने इससे पहले शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाडे की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट का कहना हे कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। एएसआई की रिपोर्ट के मुताबिक, खुदाई में मिला सामान इस्लामिक ढांचा नहीं था। खुदाई में मदिर के सबूत मिले थे। साथ ही, 1 8 वीं सदी तक नमाज पढे जाने के सबूत नहीँ मिले हैं। हिंदू सीता रसोई में पूजा करते थे। मुस्लिम पक्ष विवादित जमीन पर अपना अधिकार साबित नहीं कर पाया है। 
   सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की जिस संविधान पीठ के आज अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया उसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई अध्यक्ष, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल थे।
    मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन फैसले में कई विरोधाभास है, लिहाजा हम फैसले से संतुष्ट नहीं है।उन्होंने कहा कि हम फैसले का मूल्यांकन करेंगे और आगे की कार्रवाई पर फैसला लेंगे।
एकलव्य मानव संदेश और एकलव्य मानव कल्याण आर्मी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं और देश में एकता व समृद्धि की कामना करते हैं।