पुलिस अभिरक्षा में हुयी निषाद युवक की मौत

सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश (Sultanpur, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव सन्देश (Eklavya Manav Sandesh), रिपोर्टर राम सतन निषाद की रिपोर्ट, 5 दिसम्बर 2019। पुलिस अभिरक्षा में हुयी निषाद युवक की मृत्यु, वरिष्ट नेत्री रेखा निषाद के दबाव के कारण अधिकारियों ने दिया मुवावजे का भरोषा।
    सुल्तानपुर जनपद में, घरेलू विवाद के बाद थाने लाए गए एक युवक की 2 दिसम्बर 2019 सोमवार की शाम संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। पुलिस अभिरक्षा में मौत होने के बाद पुलिस कर्मियों के हाथ-पांव फूल गए। पुलिस युवक को लेकर पहले सीएचसी पहुंची, जहां चिकित्सकों ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जिला अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। 3 दिसम्बर 2019 पोस्टमार्टम हाउस पर, सुबह से निषाद समाज के लोग घटना को लेकर आंदोलित थे। मीडिया भी जुटने लगी थी। निषाद समाज से जुड़ा मामला होने के नाते घटना की सूचना मिलने पर पोस्टमार्टम हाउस पहुँची रेखा निषाद, अधिकारियों की उदासीनता देख विफर पड़ी और स्थानीय सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका संजय गांधी को घटना की जानकारी देकर निर्धन परिवार की मदद की अपील की। तब कहीं जाकर एस डी एम व मौजदा आधिकारियों ने सुध ली और तहसीलदार द्वारा मुवाबजा दिलाये जाने का अस्वासन दिया गया।
     कुड़वार थाना क्षेत्र के भड़रा परशुरामपुर निवासी महेंद्र निषाद उर्फ पदानू (38) की 1 दिसम्बर 2019 रविवार की शाम अपनी पत्नी रीता से किसी बात पर कहासुनी हुई थी।रीता की सूचना के बाद यूपी 112 से बाइक पर दो पुलिस कर्मी गांव पहुंचे और महेंद्र को हिरासत में लेकर कुड़वार थाने पहुंचे थे। यूपी 112 के पुलिस कर्मी महेंद्र को कुड़वार थाने की पुलिस की अभिरक्षा में देकर चले गए थे। 2 दिसम्बर 2019 सोमवार शाम 4 बजे लगभग चार बजे संदिग्ध परिस्थियों में कुड़वार थाने में ही महेंद्रनिषाद की मौत हो गयी थी और मौत से पुलिस कर्मियों के हाथ पांव फूल गये थे।
     आनन-फानन में उसे लेकर पुलिस कर्मी सीएचसी पहुंचे, जहां चिकित्सक ने हालत नाजुक बताते हुए उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। पुलिस कर्मी महेंद्र को उसके बेटे चादू के साथ लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव को मार्च्यूरी में रखवाया। मृतक महेन्द्र निषाद के पिता महंगू निषाद का आरोप है कि पुलिस उन्हें बेटे को ले जाने की बात कहकर घर से थाने ले गयी और उनसे पहले से तैयार तहरीर पर अंगूठा लगवा लिया गया। अंगूठा लगाने के बाद उन्हें रात में 11 बजे बताया गया कि महेंद्र निषाद की मृत्यु हो गयी है, उनके शव का पोस्टमार्टम कराना है।
     मृतक के पिता महंगू निषाद (निवासी भंडरा परशुरामपुर) ने 3 दिसम्बर 2019 मंगलवार को बताया कि महेंद्र निषाद को पुलिसकर्मी घर से पीटते हुए 1 दिसम्बर 2019 को साथ ले गये थे। उसे थाने में भी पीटा और पिटाई से उसकी मृत्यु हो गयी।
    महेंद्र निषाद के शव का मंगलवार 3 दिसम्बर 2019 को तीन चिकित्सकों की टीम ने पोस्टमार्टम किया। सी एम एस डॉ बी बी सिंह ने बताया की पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों की टीम में डॉ. गोपाल प्रसाद, डॉ. डी पी अग्रवाल और डॉ. अमित सिंह शामिल थे। पोस्टमॉर्टम की वीडियो ग्राफी भी करायी गयी है। पोस्टमार्टम में मृत्यु का कारण स्पष्ट न होने के कारण बिसरा सुरक्षित रख लिया गया है।
      सूत्रों से पता चला है कि महेन्द्र निषाद के सीने में ख़रोंच के निशान पाये गये हैं। जिसका उल्लेख पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी किया गया है। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नही की गई है।
     सुलतानपुर एस पी शिवराज ग्रामीण ने बताया कि उन्होंने खुद जांच की है। मौत का कारण स्पष्ट न होने के कारण बिसरा सुरक्षित रखा गया है। अभी तक कि जांच में पता चला है कि मृतक की पत्नी ने यूपी 112 को फोनकर झगड़े की सूचना दी थी। यूपी 112 की पी आर वी धम्मौर में मौजूद थी, इसलिये यूपी 112 की बाइक गयी थी, सिपाही उसे थाने ले जाने लगे तो वह बैठ नही रहा था। इसलिए सिपाही उसे दो चार हाथ मारकर उसे बैठाकर ले गये थे। एस ओ अशोक कुमार का कहना है कि वह थाने में नहीं था। लेकिन मेरा मानना है कि महेन्द्र निषाद रात भर थाने में मौजूद था। उसे ठंड लग गयी या अन्य कारणों से मृत्यु हुई इसकी जाँच की जा रही है।
       4 दिसम्बर 2019 बुधवार सुबह से ही महेन्द्र निषाद के अंतिम संस्कार न करने की सुगबुगाहट होने लगी थी, लेकिन सी ओ सिटी, एस डी एम ने मौके पर पहुँचकर, उच्च स्तरीय जांच व अहैतुक सहायता का आस्वासन देकर उन्हें मना लिया। उप जिलाधिकारी रामजी लाल, राजस्व निरीक्षक केसरी प्रसाद मिश्र, सहित क्षेत्रीय लेखपाल कल्लूराम ने परिजनों को आवासीय भूमि आवंटित करने का भरोषा दिया। अंतिम संस्कार करने तक धम्मौर एस ओ शिवकांत तिवारी, बल्दीराय एस ओ आकाश सिंह पवार, कुड़वार के उपनिरीक्षक अजयकुमार, शास्त्राजीत, विमल कुमार, अधिकारीगण, केश कुमारी निषाद व समाज के लोग मौजूद रहे। और जो नेता वहाँ  गये थे श्रद्धांजलि देकर रुकसत हुये।
मामले को लीपापोती कर अधिकारियों ने दोषी पुलिस वालों को तो बचा लिया, किन्तु कुछ अनसुलझे सवाल जो पुलिस का पीछा नहीं छोड़ेंगे।
1. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि युवक के शरीर पर 6 चोटों के निशान मिले हैं। हालांकि चोटें मौत का कारण नहीं मानी गयीं हैं, इसलिए बिसरा सुरक्षित रखा गया।
  2. कुड़वार सी एच् सी में पुलिस इलाज के लिए ले गयी थी, वहाँ रिकार्ड बता रहे हैं।
3. अस्पताल एम्बुलेंस से लाया गया लेकिन एम्बुलेंस पुलिस वाले ही बुलाये थे।
4. 112 पुलिस के रिकार्ड भी बता रहे है कि महेन्द्र निषाद को घर से लाकर थाने छोड़ा गया।
उपर्यक्त तथ्य जो पुलिस पर सवाल खड़े कर रहें है।
 मानव शरीर के अंदरुनी अंगों: फेफड़ा, किडनी, आंत को विसरा कहा जाता है।किसी व्यक्ति का शव देखने पर उसकी मृत्यु संदिग्ध लगने या उसे जहर देने की आशंका पर उस व्यक्ति की मौत के बाद,मौत के कारणों को पता लगाने के लिए मृतक के शरीर के कुछ आंतरिक अंगों को सुरक्षित रखा जाता है, इसे विसरा कहते हैं। बिसरा का रासायनिक परीक्षण करने के बाद मौत की वजह स्पष्ट हो जाती है। विसरा सैम्पल की जांच फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री में होती है। किस अंग को कितना सुरक्षित रखना है यह भी निश्चित होता है। मृतक के शरीर से 100 ग्राम खून,100 ग्राम पेशाब, 500 ग्राम लीवर सुरक्षित रखा जाता है। इसे सेचूरेटेड सॅाल्ट सोल्यूशन में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे बाद में जांच करने पर सही रिपोर्ट पता किया जा सके। विसरा को तीन शीशे के जारों में सुरक्षित रखा जाता है, एक में जितने भी पाचन तंत्र हैं उन्हें रखते हैं, दूसरे में ब्रेन, किडनी, लीवर और तीसरे में ब्लड को रखा जाता है।
बिसरा शक की स्थिति में दोबारा जांच के लिए रखा जाता है, वादी पक्ष या कोर्ट के आदेश पर जांच होती है, अन्यथा ये रखे ही रहते हैं, पुलिस अपनी तरफ से जांच नहीं कराती।
   मृतक महेन्द्र निषाद पुत्र महंगू निषाद।के आश्रितों में तीन पुत्री व एक पुत्र है।