नई दिल्ली (New Delhi) 14 जनवरी 2020। शांतिपूर्ण प्रदर्शन के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने सख्त नाराजगी जताई है । कोर्ट ने कहा, दिल्ली पुलिस का व्यवहार ऐसा है, जैसे जामा मस्जिद पाकिस्तान में हो।
अतिरिक्त सत्र न्यायाथीश कामिनी लाउ ने गिरफ्तार भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दोरान यह टिप्पणी करते हुए कहा, लोग सडक पर इसलिए हैं क्योकि जो बातें संसद में कही जानी चाहिए, वह नहीं कही गईं। जामा मस्जिद पाकिस्तान में हो, तो वहां भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो सकता है। पहले पाकिस्तान भी भारत का ही हिस्सा था। कोर्ट ने सुनवाई बुधवार तक स्थगित कर दी।
इससे पहले, आजाद के वकील महमूद प्राचा ने कहा, एफआईआर में यूपी की घटनाओं का हवाला है। सरकारी वकील ने कहा, आजाद ने सोशल मीडिया पर जामा मस्जिद इलाके में धरने की बात कही।
जज ने पूछा, इसमें गलत क्या है । हिंसा कहां है, किसने कहा कि प्रदर्शन नहीं कर सकते, क्या आपने संविधान पढा है? आप मामले को ऐसे पेश कर रहे हैँ जैसे जामा मस्तिद पाकिस्तान में हो। हमें अपना विचार रखने का पूरा हक है लेकिन देश बर्बाद नहीं कर सकते। प्रदर्शन काने वाले आज सीएम हैं। विरोध-प्रदर्शन सांविधानिक अधिकार है। सरकारी वकील ने कहा इसके लिए अनुमति लेनी होती है। इस पर जज ने कहा, मैंने संसद के बाहर प्रदर्शन होते देखे हैं। जिन लोगों ने प्रदर्शन किए, वे आज मंत्री और मुख्यमंत्री हैँ। आप हमें कोई सबूत दीजिए या ऐसा कानून बताइए, जिसके तहत कहीं जमा होना या विरोध-प्रदर्शन करना गलत हो।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर। नाराजगी के साथ दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने गिरफ्तार भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को भी सलाह देते हुए मंगलबार को जमानत अर्जी पर सुनवाई के दोरान कहा, डॉ. आंबेडकर मुस्लिम, सिख और समाज के दबे-कुचले वर्ग के करीब थे। वे भी अपने अर्थों में क्रांतिकारी, थे। शायद आजाद इसे थोड़ा ही समझते हैं। कोई मुदूदां उठाने से पहले शोध करना चाहिए, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए। आजाद पर . जामा मस्जिद पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप पर कोर्ट ने पुलिस से साक्ष्य मांगे थे। ज़वाब में पुलिस ने ड्रोन से ली गई तस्वीरों को साक्ष्य बताया और रिकॉर्डिंग नहीं होने की बात कही। इस पर भी जज ने पुलिस को लताड़ लगाते हुए कहा "क्या दिल्ली पुलिस इतनी पिछड़ी है कि उसके पास रिकॉर्डिग उपकरण तक नहीं हैं?
अतिरिक्त सत्र न्यायाथीश कामिनी लाउ ने गिरफ्तार भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दोरान यह टिप्पणी करते हुए कहा, लोग सडक पर इसलिए हैं क्योकि जो बातें संसद में कही जानी चाहिए, वह नहीं कही गईं। जामा मस्जिद पाकिस्तान में हो, तो वहां भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो सकता है। पहले पाकिस्तान भी भारत का ही हिस्सा था। कोर्ट ने सुनवाई बुधवार तक स्थगित कर दी।
इससे पहले, आजाद के वकील महमूद प्राचा ने कहा, एफआईआर में यूपी की घटनाओं का हवाला है। सरकारी वकील ने कहा, आजाद ने सोशल मीडिया पर जामा मस्जिद इलाके में धरने की बात कही।
जज ने पूछा, इसमें गलत क्या है । हिंसा कहां है, किसने कहा कि प्रदर्शन नहीं कर सकते, क्या आपने संविधान पढा है? आप मामले को ऐसे पेश कर रहे हैँ जैसे जामा मस्तिद पाकिस्तान में हो। हमें अपना विचार रखने का पूरा हक है लेकिन देश बर्बाद नहीं कर सकते। प्रदर्शन काने वाले आज सीएम हैं। विरोध-प्रदर्शन सांविधानिक अधिकार है। सरकारी वकील ने कहा इसके लिए अनुमति लेनी होती है। इस पर जज ने कहा, मैंने संसद के बाहर प्रदर्शन होते देखे हैं। जिन लोगों ने प्रदर्शन किए, वे आज मंत्री और मुख्यमंत्री हैँ। आप हमें कोई सबूत दीजिए या ऐसा कानून बताइए, जिसके तहत कहीं जमा होना या विरोध-प्रदर्शन करना गलत हो।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर। नाराजगी के साथ दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने गिरफ्तार भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को भी सलाह देते हुए मंगलबार को जमानत अर्जी पर सुनवाई के दोरान कहा, डॉ. आंबेडकर मुस्लिम, सिख और समाज के दबे-कुचले वर्ग के करीब थे। वे भी अपने अर्थों में क्रांतिकारी, थे। शायद आजाद इसे थोड़ा ही समझते हैं। कोई मुदूदां उठाने से पहले शोध करना चाहिए, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए। आजाद पर . जामा मस्जिद पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप पर कोर्ट ने पुलिस से साक्ष्य मांगे थे। ज़वाब में पुलिस ने ड्रोन से ली गई तस्वीरों को साक्ष्य बताया और रिकॉर्डिंग नहीं होने की बात कही। इस पर भी जज ने पुलिस को लताड़ लगाते हुए कहा "क्या दिल्ली पुलिस इतनी पिछड़ी है कि उसके पास रिकॉर्डिग उपकरण तक नहीं हैं?