पुलवामा के शहीदों के साथ भी जातिवाद ?

अलीगढ़, उत्तर प्रदेश (Aligarh, Uttar Pradesh)। केंद्र और राज्य सरकारें किस प्रकार इस जातिवाद को बढ़ावा देने का काम करती हैं, क्या पुलवामा के शहीदों के साथ भी जातिवाद हुआ है ??
वर्ष 2019, 14 फ़रवरी, एक आतंकी हमले को अंजाम दिया गया।
स्थान - पुलवामा हाईवे
अर्द्धसैनिक बलों के एक वाहन को निशाना बनाते हुए, विस्फोटक सामग्री से भरी कार द्वारा धमाके से उड़ा दिया गया।
लगभग 42 जवानों के वीरगति को प्राप्त होने की सूचना।समाचार एजेंसी द्वारा प्रसारित की जाने लगी। बड़े दुःख की बात थी, देश इसकी क्षतिपूर्ति कभी पूरा नहीं कर पाएगा।
पूरे देश में दुख की लहर दौड़ गई।
पूरा देश इन जवानों के साथ एक साथ खड़ा नज़र आया।
होना भी चाहिए। पर आगे जैसे ही समय बीता, वीरगति प्राप्त जवानों की लिस्ट में नामों का इज़ाफ़ा हुआ। कुछ और जवानों के नाम जुड़ गए। सबसे ज्यादा जवान जिस प्रदेश से वीरगति को प्राप्त हुए,
वो था उत्तर प्रदेश........
पूरे के पूरे 12 जवान वीरगति को प्राप्त हुए। पूरा उत्तर प्रदेश ग़मगीन हो उठा।
नामों की सूची कुछ इस प्रकार थ-
(1) प्रदीप सिंह - कनौज
(2)श्याम बाबू - कानपुर देहात
(3) अजीत कुमार आज़ाद - उन्नाव
(4)अवधेश कुमार - चंदौली
(5)पंकज कुमार त्रिपाठी (ब्राम्हण)- महराजगंज
(6) अमित कुमार- शामली
(7) विजय कुमार - देवरिया
(8) राम वकील - मैनपुरी
(9) महेश कुमार - प्रयागराज
(10)रमेश - वाराणसी
(11)कौशल कुमार- आगरा
(12) प्रदीप कुमार - शामली
ये सूची दिनाँक 16/02/2019 के समाचार पत्र में जारी की गई थी।
जातिवाद कौन करता है, जानिए-
ख़ास तौर पर बाकी जवान एससी, ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। केवल एक को छोड़कर
केवल उसके आगे ही मैंने जानबूझकर (ब्राम्हण) लिखा है।
बाकी के 11 जवानों के नाम के आगे जाति नहीं लिखी।
बल्कि उसके ग्रह जनपद का उल्लेख किया है।
16/02/2019 के दैनिक जागरण के समाचार को आप ज़रा गौर से पढ़ेगें, तो आपको उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ़ से की गई घोषणा पर ध्यान दें।
यहीं से शुरू होता है, राज्य सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा जातिवाद का जीता जागता उदाहरण।
 पहले उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा की गई घोषणा के बारे में जान लें।
(1) हर जवान के परिवारीजनों को 25-25 लाख रुपए की अनुग्रह राशि दी जाएगी।
(2) एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी।
(3)जवानों के नाम पर स्थलों, सड़को का नामकरण किया जाएगा।
(4) शहीद जवानों के आश्रितों को नौकरी दिए जाने का शासनादेश सैनिक कल्याण विभाग ने जारी किया था।
जिसके तहत वर्ष 2017-18 के माह अप्रैल के प्रथम सप्ताह दिवस अथवा उसके बाद के शहीद सैनिकों /अर्द्धसैनिक बलों के जवानों के आश्रितो का शासकीय सेवा में नियोजित करने की व्यवस्था है।
(5) 12 शहीद जवानों के परिजनों को नौकरी मिलेगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वीरगति प्राप्त जवान - पंकज कुमार त्रिपाठी (ब्राम्हण) महराजगंज के पैतृक गांव 17/02/2019 को दुख प्रकट करने पहुँच गए। संवेदना व्यक्त कर, उसके हर दुख की घड़ी में साथ देने का वादा किया।
यहाँ तक तो सब सही था।
यहीं से मामले में नया मोड़ आया।
वीरगति प्राप्त ब्राम्हण पंकज कुमार त्रिपाठी के परिजनों ने 6 सूत्रीय माँग पत्र रख दिया।
आपको बताता चलूँ कि 2004 के बाद भर्ती हुए हर सरकारी नौकरी करने वालों को पेंशन योजना का लाभ नहीं दिया जाता है। इस पेंशन योजना को बीजेपी के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने बंद किया था।
अब आते हैं मुद्दे पर-
6 सूत्रीय माँग क्या थी जानिए-
(1) दिवंगत पंकज कुमार त्रिपाठी की पत्नी रोहिणी के पेट में पल रहे, बच्चे की उच्च शिक्षा मुफ़्त।
(2)माता- पिता को पेंशन।
(3) सगे भाई सुभम त्रिपाठी को सरकारी नौकरी।
(4) परिवार के भरण पोषण के लिए पैट्रोल पम्प या गैस एजेंसी।
(5) सीआरपीएफ की तरह राज्य सरकार की तरफ से मिलने वाली आर्थिक मदद का 70% पत्नी और 30 % माता पिता को दिया जाए।
(6) चचेरे भाई राहुल त्रिपाठी को सरकारी नौकरी दी जाए।
आपको बता दूँ कि दिवंगत पंकज त्रिपाठी की शादी 2010 मे हुई थी, सीआरपीएफ में नौकरी 2012 मे लगी थी।
योगी आदित्यनाथ बापस चले आये।
इस दिन इसी समाचार के कोने में एक और घोषणा की थी, कि हर शहीद जवान के अंतिम संस्कार पर एक मंत्री, डीएम, एसपी मौजूद रहेगें।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ठीक 20 दिन बाद शहीद पंकज त्रिपाठी की पत्नी रोहाणी त्रिपाठी को खंड विकास में कनिष्ठ लिपिक के पद पर नियुक्त पत्र देकर, रोहाणी त्रिपाठी की ज्वायनिंग 21/03/ 2019 को नौकरी दे दी गई।
अब मेरा सभी ब्राम्हण/सवर्णो / केंद्र सरकार/ राज्य सरकार से सवाल है कि-
बाकी 11 दिवंगत जवानों के परिजनों को कब नौकरी, 25 लाख रुपए अनुग्रह राशि आदि दी गई।
अगर 1 साल बाद तक नहीं दी गई तो क्यों नहीं ??
जातिगत भेदभाव कौन कर रहा है।
क्या जैसे पंकज त्रिपाठी की विधवा रोहाणी त्रिपाठी को 21 दिनों में नौकरी दे दी गई थी, ठीक वैसे ही क्या बाकी 11 दिवंगत जवानों के आश्रितों को भी नौकरी दे दी गई ??
अगर नही तो क्यों नहीं ?????
समाज में जातिगत भेदभाव कौन कर रहा है ????
(अरुण कुमार की फेसबुक वॉल से सभार लेकर सामाजिक जागरूकता के लिए प्रकाशित)