बरेली, उत्तर प्रदेश (Barelie, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश ब्यूरो रिपोर्ट। निषाद पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक और बड़ा झटका पूरी जिला इकाई ने दिया सामूहिक त्यागपत्र।
जिलाध्यक्ष ने सामूहिक त्याग पत्र में कहा कि अब हम अनुसूचित जाति के आरक्षण की लड़ाई लड़ेंगे और इसके लिये पार्टी को छोड़ रहे हैं। इससे पहले पश्चिम उत्तर प्रदेश के सभी अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों ने सामूहिक त्याग पत्र देकर मुजफ्फरनगर नगर में 2 मार्च से अनूसूचित जाती के लिए अनिश्चितकालीन धरना प्रारंभ कर दिया है।
इसी प्रकार उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के अधिकांश बड़े और मजबूत हज़ारों पदाधिकारी और कार्यकर्ता डॉ. संजय की समाज को धोखा देकर अपना घर भरने और अनुसूचित जाति के आरक्षण आंदोलन को भाजपा के साथ मिलकर कमजोर करने से ख़फ़ा होकर पार्टी को छोड़ चुके हैं। अब निषाद पार्टी केवल 5000 से 10000 महीना के नौकरी पर रखे हुए लगभग 50 कार्यकर्ताओं के सहारे एक पारिवारिक प्राइवेट कंपनी की तरह चल रही है। क्योंकि आज डॉ. संजय का बेटा भाजपा का सांसद है और अब वह योगी सरकार द्वारा 22 दिसम्बर 2016 को अखिलेश यादव सरकार द्वारा दिये गए 17 जातियों के अनुसूचित जाति के आरक्षण के शासनादेशों को वापिस लेने पर आना मुँह नही खोल रहा है और खुद डॉ. संजय निषाद समाज को 2022 का सपना दिखा कर बरगलाता फिर रहा है। जबकि सभी को मालूम है कि जब संजय निषाद का बेटा 2024 तक भाजपा सांसद है तो वह 2022 का चुनाव 2 से 5 सीटों पर भाजपा से लड़ेगा। और समाज के वोट का सौदा करता रहेगा। क्योंकि उसका बेटा प्रवीण निषाद भाजपा से 2022 में त्यागपत्र देने वाला नहीं है। इसलिए अब वह आरक्षण पर सपा, बसपा और कांग्रेस की बात करता है, भाजपा के महा धोखे को नहीं। अब निषादों को भी पता चल गया है कि डॉ. संजय पर्ची से लेकर किताब, कलेंडर, फ़ोटो, झंडा, टोपी, पट्टा, आरती, टिकिट तक सभी कुछ केवल बेचता है। न कि समाज की तरक्की के लिए कोई योजना पर कार्य।
जिलाध्यक्ष ने सामूहिक त्याग पत्र में कहा कि अब हम अनुसूचित जाति के आरक्षण की लड़ाई लड़ेंगे और इसके लिये पार्टी को छोड़ रहे हैं। इससे पहले पश्चिम उत्तर प्रदेश के सभी अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों ने सामूहिक त्याग पत्र देकर मुजफ्फरनगर नगर में 2 मार्च से अनूसूचित जाती के लिए अनिश्चितकालीन धरना प्रारंभ कर दिया है।
इसी प्रकार उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के अधिकांश बड़े और मजबूत हज़ारों पदाधिकारी और कार्यकर्ता डॉ. संजय की समाज को धोखा देकर अपना घर भरने और अनुसूचित जाति के आरक्षण आंदोलन को भाजपा के साथ मिलकर कमजोर करने से ख़फ़ा होकर पार्टी को छोड़ चुके हैं। अब निषाद पार्टी केवल 5000 से 10000 महीना के नौकरी पर रखे हुए लगभग 50 कार्यकर्ताओं के सहारे एक पारिवारिक प्राइवेट कंपनी की तरह चल रही है। क्योंकि आज डॉ. संजय का बेटा भाजपा का सांसद है और अब वह योगी सरकार द्वारा 22 दिसम्बर 2016 को अखिलेश यादव सरकार द्वारा दिये गए 17 जातियों के अनुसूचित जाति के आरक्षण के शासनादेशों को वापिस लेने पर आना मुँह नही खोल रहा है और खुद डॉ. संजय निषाद समाज को 2022 का सपना दिखा कर बरगलाता फिर रहा है। जबकि सभी को मालूम है कि जब संजय निषाद का बेटा 2024 तक भाजपा सांसद है तो वह 2022 का चुनाव 2 से 5 सीटों पर भाजपा से लड़ेगा। और समाज के वोट का सौदा करता रहेगा। क्योंकि उसका बेटा प्रवीण निषाद भाजपा से 2022 में त्यागपत्र देने वाला नहीं है। इसलिए अब वह आरक्षण पर सपा, बसपा और कांग्रेस की बात करता है, भाजपा के महा धोखे को नहीं। अब निषादों को भी पता चल गया है कि डॉ. संजय पर्ची से लेकर किताब, कलेंडर, फ़ोटो, झंडा, टोपी, पट्टा, आरती, टिकिट तक सभी कुछ केवल बेचता है। न कि समाज की तरक्की के लिए कोई योजना पर कार्य।