साल में एक दर्जन तहसीलदार नहीं देख पाए अवैध कब्जे को

बटियागढ़, दमोह, मध्यप्रदेश, एकलव्य मानव संदेश ब्यूरो रिपोर्ट। 6 साल में एक दर्जन तहसीलदार नहीं देख पाए अवैध कब्जे को। दमोह जिले की बटियागढ़ तहसील का मामला है, जहां सरकार अपने आपको जनता की हर समस्या को हल करने के प्रति बचनबद्ध बताती है वहीं उसके अधिकारियों व कर्मचारियों की उदासीनता के कारण सरकार की किरकिरी भी हो रही है।

    ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के दमोह जिले की बटियागढ़ तहसील का है जहाँ की ग्राम पंचायत लुकायन के एक ग्राम बरर्क्वाइन का है, जहाँ पटवारी हल्का नंबर 42 में स्थित सरकारी भूमि खसरा नंबर 49 रास्ता पर हुए अवैध कब्जे की शिकायत बटियागढ़ तहसील में तत्कालीन सरपंच द्वारा 2014 में की गई थी, जिस पर संज्ञान लेते हुये तहसीलदार ने संबंधित हल्का पटवारी और राजस्व निरीक्षक को अवैध कब्जा की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। लेकिन आज दिनांक तक न ही रास्ते का सीमांकन किया गया और न ही अवैध कब्जे का मौका निरीक्षण किया गया।


उपरोक्त मामले में हित रखने बाले स्थानीय कृषक हरिराम के पुत्र गनेस ने बताया कि अवैध कब्जा वाला रास्ता उनके खेत से मुख्य सड़क तक गया है जिस  पर से निकलने पर अनावेदक रामगोपाल पिता बत्तीलाल और रामचरण पिता चिरोंजीलाल विवाद करते हैं। जिसकी शिकायत उनके द्वारा संबंधित पुलिस थाना में भी की गई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं कि गईं।
    हद तो तब हो गई जब तहसील से इस प्रकरण की प्रति मांगी गई तब यकीन हुआ कि अधिकारी कर्मचारी ने अवैध कब्जा धारी से घूस लेकर जानबूझ कर इस अवैद्य कब्जे को करवाया है जिसमे तत्कलीन हल्का पटवारी द्वारा न्यायालय को गुमराह किया गया है कि खसरा नंबर 49 रास्ते पर किसी का कब्जा नहीं है।
आरटीआई कार्यकर्ता गणेश ने यह भी बताया कि अनावेदक उसकी जमीन हथियाना चाहता है तथा पैसों के बल पर गुंडागिरी से उन्हें परेशान कर रहा है। वहींअनावेदक आरटीआई कार्यकर्ता की पैतृक भूमि खसरा नंबर 140 में से 40.20 भूमि जिसमें उनका प्रधनमन्त्री आवास बना हुआ है, उसके मुख्य द्वार के सामने अवैध चीरा पत्थर गाड़कर गुंडागिरी से कब्जा कर लिया है। जिसकी शिकायत उनके द्वारा सीएम हेल्पलाईन 5988430 9605408, राष्ट्रपति, पीएमओ, एसडीएम, कलेक्टर आदि से भी कर चुके हैं, लेकिन ज़िम्मेदारों द्वारा किस तरह मनमानी की जा रही है
खुद अन्दाजा लगा सकते हैं।
  शिकायत दिनांक 9/10/2014 से आज दिनांक तक 12 तहसीलदार बदल चुके हैं लेकिन किसी ने भी अवैध कब्जा हटवाने की कार्यवाही नहीं कि है।
   ऐसे लापवाह और घूसखोर अधिकारियो के विरूद्ध मध्यप्रदेश सरकार को कार्यवाही करना चाहिए।