एक बार फिर बढ़ा गरीब निषादो में रोजी-रोटी का संकट

राजापुर, चित्रकूट, एकलव्य मानव संदेश रिपोर्टर दशरथ लाल निषाद की रिपोर्ट। एक बार फिर बढ़ा गरीब निषादो में रोजी-रोटी का संकट

 एक-एक रुपये को मोहताज हैं गरीब किसान और छोटे व्यापारी। उनका हर समान आज घाटे में जा रहा है। चहरे पर एक उदासी सी छाई हुई है। दिन की इस भीषण गर्मी में ग्राहक के आने का इंतजार करते रहते हैं कि कोई आये जो उनको अपनी सब्जी का उचित दाम दे कर खरीद सके। लेकिन अब ये सभी अपनी इस बेबसी को किसके सामने रखें जिससे इनका दर्द कुछ हल्का हो जाय। तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि यहाँ हमको सब्जी बेंचने की कोई व्यवस्था भी नहीं कि गई और पास से ही मुख्य सड़क भी गई हुई है जिससे दुर्घटनाओं के होने का भी डर उनमें बना रहता है।
आज यदि कोई ज्यादा परेशान है तो वही गरीब, शोषित, निषाद हैं। क्योंकि इनके पास एक मात्र साधन हुआ करता था बालू खनन, जिससे ये अपना औऱ अपने परिवार का भरण पोषण करते थे लेकिन ईसको तो सरकार द्वारा पहले ही बंद करा दिया गया था।
(देखें वीडियो https://youtu.be/TD6cVrHfvto)
 लेकिन जब उन्होंने सोचा कि हमारा व्यवसाय तो बंद हो गया औऱ हमारी रोजी रोटी खतरे में आ गई है तो इन लोगों नदी किनारे सब्जी लगाना शुरू किया। अब जैसे ही बेंचने की बारी आई तो कोविड-19 जैसी महामारी ही आ गई जो आज पूरी दुनिया में अपने पैर पसार रहा है; ने इनको तवाह करके रख दिया।      आज इनको केवल अपना खर्च ही निकाल पाना मुश्किल हो गया है। कई बार तो अपनी सब्जियों को सड़क फेंकना पड़ता है या घर में ला कर पशुओं को खिला दिया जाता है क्योंकि आज सब्जी मंडी में सब्जी का कोई भाव नहीं मिल पाता है। तो वहीं दूसरी तरफ महँगी कीटनाशक दवाओं, खाद, जिंक की भी मार इनको झेलना पड़ती है। मैडिकल स्टोर पर एक रुपया कम नहीं किया जाता, लेकिन सब्जी का रेट कम कराने में लोग पूरा जोर लगा देतें हैं। 10 रुपये किलो वाली सब्जी कोई पूंछता भी नहीं, हालत ये हो गई है सब्जी मंडी की।
    इस महामारी ने तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया गया और इसका सबसे ज्यादा असर हमारे देश के गरीब मजदूरों निषादों पर  देखने को मिल रहा है।