प्रयागराज, उत्तर प्रदेश (Prayagraj, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश ब्यूरो रमाकान्त निषाद की रिपोर्ट। प्रयागराज जनपद के ग्राम बक्शी मोढ़ा में 5 अप्रैल 2020 को लॉक डाउन के दौरान तब्लीगी जमात पर टिप्पणी के विरुद्ध में चली गोली में मृतक लौटन निषाद के परिवार का बीपीएल राशन कार्ड मुख्यमंत्री द्वारा घोषित पाँच लाख रुपये मुआवजा राशि आज तक नहीं मिली है। क्योंकि यह घटना उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के संज्ञान में है। उसके बाद भी घटना के लगभग 2 महीने बाद भी आज तक एक पैसे की सरकारी सहायता इस गरीब परिवार को नहीं मिलना कहीं न कहीं इस भाजपा और योगी सरकार का एक प्रकार से उत्पीड़न ही कहा जायेगा।
क्योंकि लौटन निषाद की मौत के लिए भाजपा सरकार की नीतियां ही जिम्मेदार हैं। लॉक डाउन की घोषण के बाद जिस तरह से समाज में हिन्दू मुस्लिम जहर भाजपा के प्रवक्ताओं द्वारा लगातार टीवी चैनलों और संचार माध्यमों में फैलाया गया और एक समाचार पत्र में पड़कर तब्लीगी जमात के नाम पर टिप्पणी करने से हुए झगड़े के बाद मुस्लिम पक्ष के लोगों ने एक गरीब निषाद पर गोली चला दी थी। और इतने दिनों बाद भी एक मुख्यमंत्री द्वारा घोषित धन राशि और सुविधाओं का न मिलना कहीं न कहीं योगी और मोदी सरकारों को कटघरे में खड़ा करता है। बीपीएल का राशन कार्ड बनाने में अधिकारियों को कुछ ही घण्टे लगते हैं, लेकिन इस लॉक डाउन में जब लौटन निषाद जैसे का आज तक राशन कार्ड जब नहीं बना है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उत्तर प्रदेश में जमीनी हकीकत क्या होगी। आज लाखों लोगों के राशन कार्ड इस माहमारी के दौरान अभी तक नहीं बने हैं।
प्रयागराज की इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ और भाजपा के महानगर अध्यक्ष सहित कई पदाधिकारी अपनी राजनीति चमकाने के लिए मृतक के घर संवेदना व्यक्त करने तो गए हैं लेकिन सरकारी सहायता लेकर न जाना बहुत ही निंदनीय कार्य लगता है। भाजपा के लोग लौटन निषाद के घर अपनी राजनीतिक चमकाने और सोशल मीडिया पर फ़ोटो दिखाने के लिए जाते रहे हैं, लेकिन आर्थिक मदद न भाजपा और न निषाद पार्टी द्वारा किये जाने से गांव और परिवार के लोगों में बहुत ही गुस्सा देखने को मिल रहा है। लौटन निषाद का परिवार बहुत ही गरीबी में जीवन यापन कर रहा है। इस परिवार को अब तक समाज सेवियों ने ही आर्थिक मदद, कुछ ने ऑनलाइन खाते हैं पैसा जमा करके और कुछ ने घर जाकरके दी है।
वीर एकलव्य फाउंडेशन के प्रयागराज के संयोजक जितेंद्र बजरंगी भी कई बार परिवार को मिलते रहे हैं और आर्थिक सहायता भी देते रहे हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि यह गांव इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा के क्षेत्र में आता है, और सिद्धार्थनाथ सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता भी हैं, लेकिन एक बार अब पौने दो महीने बाद जाकर पीड़ित परिवार से मिले जरूर, हालचाल जाना, लेकिन एक रुपया की मदद आज तक नहीं की है। और यही सिद्धार्थनाथ सिंह की वजह से 2019 में लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी और भाजपा का गठबंधन हुआ था जिसमें प्रयागराज जनपद के ही निषाद नेता पीयूष रंजन निषाद भी शामिल थे लेकिन न निषाद पार्टी और न भाजपा के किसी पदाधिकारी ने इस पीड़ित परिवार की आज तक एक पैसे की आर्थिक सहायता की है।
जब एक मुख्यमंत्री और कैबनेट मंत्री उस वर्ग को जिसकी जनसंख्या उत्तर प्रदेश में 3 करोड़ और 125 विधानसभा में 50000 से 125000 तक है, को एक तरह से ठेंगा दिखा सकते हैं वोट के बाद अपनी सरकार बनाकर तो आप सोच सकते हैं कि निषाद वंश के साथ कितनी बड़ी ठगी हुई है और इस बारे में मुख्यधारा के समाचार माध्यम आज चुप हैं तो, इस समाज को कोई लाभ कैसे मिलेगा यह सोचना होगा।
ऐसी ही एक घटना मुख्यमंत्री के गृह नगर गोरखपुर में एक दारोगा की पिटाई से मंदिर के पुजारी की हत्या की है, जिसमें भी अभी तक कोई मदद सरकार ने नहीं दी है। अभी पिछले दिनों 2 निषाद युवाओं की हत्या का मामला प्रकाश में आया था। बड़े दबाव के बाद अब दोषी पकड़े गये हैं।
यही धोखेबाजी का परिणाम भाजपा को 2022 के चुनाव में देखने को मिले तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
क्योंकि लौटन निषाद की मौत के लिए भाजपा सरकार की नीतियां ही जिम्मेदार हैं। लॉक डाउन की घोषण के बाद जिस तरह से समाज में हिन्दू मुस्लिम जहर भाजपा के प्रवक्ताओं द्वारा लगातार टीवी चैनलों और संचार माध्यमों में फैलाया गया और एक समाचार पत्र में पड़कर तब्लीगी जमात के नाम पर टिप्पणी करने से हुए झगड़े के बाद मुस्लिम पक्ष के लोगों ने एक गरीब निषाद पर गोली चला दी थी। और इतने दिनों बाद भी एक मुख्यमंत्री द्वारा घोषित धन राशि और सुविधाओं का न मिलना कहीं न कहीं योगी और मोदी सरकारों को कटघरे में खड़ा करता है। बीपीएल का राशन कार्ड बनाने में अधिकारियों को कुछ ही घण्टे लगते हैं, लेकिन इस लॉक डाउन में जब लौटन निषाद जैसे का आज तक राशन कार्ड जब नहीं बना है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उत्तर प्रदेश में जमीनी हकीकत क्या होगी। आज लाखों लोगों के राशन कार्ड इस माहमारी के दौरान अभी तक नहीं बने हैं।
प्रयागराज की इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ और भाजपा के महानगर अध्यक्ष सहित कई पदाधिकारी अपनी राजनीति चमकाने के लिए मृतक के घर संवेदना व्यक्त करने तो गए हैं लेकिन सरकारी सहायता लेकर न जाना बहुत ही निंदनीय कार्य लगता है। भाजपा के लोग लौटन निषाद के घर अपनी राजनीतिक चमकाने और सोशल मीडिया पर फ़ोटो दिखाने के लिए जाते रहे हैं, लेकिन आर्थिक मदद न भाजपा और न निषाद पार्टी द्वारा किये जाने से गांव और परिवार के लोगों में बहुत ही गुस्सा देखने को मिल रहा है। लौटन निषाद का परिवार बहुत ही गरीबी में जीवन यापन कर रहा है। इस परिवार को अब तक समाज सेवियों ने ही आर्थिक मदद, कुछ ने ऑनलाइन खाते हैं पैसा जमा करके और कुछ ने घर जाकरके दी है।
वीर एकलव्य फाउंडेशन के प्रयागराज के संयोजक जितेंद्र बजरंगी भी कई बार परिवार को मिलते रहे हैं और आर्थिक सहायता भी देते रहे हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि यह गांव इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा के क्षेत्र में आता है, और सिद्धार्थनाथ सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता भी हैं, लेकिन एक बार अब पौने दो महीने बाद जाकर पीड़ित परिवार से मिले जरूर, हालचाल जाना, लेकिन एक रुपया की मदद आज तक नहीं की है। और यही सिद्धार्थनाथ सिंह की वजह से 2019 में लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी और भाजपा का गठबंधन हुआ था जिसमें प्रयागराज जनपद के ही निषाद नेता पीयूष रंजन निषाद भी शामिल थे लेकिन न निषाद पार्टी और न भाजपा के किसी पदाधिकारी ने इस पीड़ित परिवार की आज तक एक पैसे की आर्थिक सहायता की है।
जब एक मुख्यमंत्री और कैबनेट मंत्री उस वर्ग को जिसकी जनसंख्या उत्तर प्रदेश में 3 करोड़ और 125 विधानसभा में 50000 से 125000 तक है, को एक तरह से ठेंगा दिखा सकते हैं वोट के बाद अपनी सरकार बनाकर तो आप सोच सकते हैं कि निषाद वंश के साथ कितनी बड़ी ठगी हुई है और इस बारे में मुख्यधारा के समाचार माध्यम आज चुप हैं तो, इस समाज को कोई लाभ कैसे मिलेगा यह सोचना होगा।
ऐसी ही एक घटना मुख्यमंत्री के गृह नगर गोरखपुर में एक दारोगा की पिटाई से मंदिर के पुजारी की हत्या की है, जिसमें भी अभी तक कोई मदद सरकार ने नहीं दी है। अभी पिछले दिनों 2 निषाद युवाओं की हत्या का मामला प्रकाश में आया था। बड़े दबाव के बाद अब दोषी पकड़े गये हैं।
यही धोखेबाजी का परिणाम भाजपा को 2022 के चुनाव में देखने को मिले तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।