डीज़ल पेट्रोल की कीमत बढ़ाकर देश में ही ईस्ट इंडिया कम्पनी पैदा कर रही है मोदी सरकार

एकलव्य मानव संदेश एडीटोरियल रिपोर्ट। देश के इतिहास में पहली बार डीज़ल पेट्रोल से महंगा हुआ।
डीजल - 79.92 रुपया और पेट्रोल - 79.80 रुपया प्रति लीटर  हुआ।
    उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री हरीश रावत जी ने अपना एक वीडियो फ़ेसबुक पर शेयर करते हुए लगातार बढ़ रही पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर निशाना साधते हुए कहा है कि- ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार, कोरोना और लॉकडाउन का सारा खामियाजा, पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ाकर वसूल कर लेना चाहती है। आम आदमी पर कितना बोझ बढ़ गया है, इसका उनको एहसास नहीं है। पेट्रोल की कीमतें ऐतिहासिक हाई हैं और यह इतिहास में पहली बार हो रहा है कि, डीजल की कीमतें, पेट्रोल की कीमतों के बराबर में आ गई हैं। किसान, जो डीजल का सबसे ज्यादा उपयोग करता है, ट्रांसपोर्ट सेक्टर जहां डीजल का सबसे ज्यादा उपयोग होता है, दोनों सेक्टर्स पर इसका कितना दुष्प्रभाव पड़ेगा, सरकार को कोई चिंता नहीं है।
   समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्विट कर कहा है - डीज़ल हुआ पेट्रोल से महँगा!
70 साल में जो मुमकिन न हुआ... वो अब हो गया... अब माल-सामान का परिवहन भी महँगा होगा और खेती-किसानी में सिंचाई की लागत भी बढ़ेगी. आख़िर आ ही गये न पेट्रो-कंपनियों के 'अच्छे दिन’!
ट्रैक्टर, ट्रक वाले भाजपाई समर्थक भी अब साइकिल को अपनाएंगे।
  एक तरफ जहां बेरोजगारी बढ़ने के साथ मंहगाई मुहँ फाड़ रही है, डीज़ल पेट्रोल की बढ़ती कीमत उसमें और आग ही लगाएंगी और ऐसा लगता है कि मोदी सरकार देश के लोगों की जेब पर डकैती डालकर तेल कंपनियों को मालामाल करके और देश में ही इंडिया कंपनी को पैदा कर रही है। जो मानवता और बहुसंख्यक समुदाय के लिए सबसे खतरनाक संकेत है।
इसका आज विरोध नहीं किया गया तो, मोदी सरकार देश के आमजन को मजबूर बनाने के लिए जो भी सम्भव हो रहा है वे सभी कार्य दिन रात करने में लगी हुई है, को पूरी तरह अमल में लाने में कामयाब हो जाएगी।