अतिपिछड़ी 17 जातियों को क्यों आरक्षण नहीं दे रही है भाजपा सरकार-देखें सांसद विशम्भर प्रसाद निषाद जी को केंद्र सरकार द्वारा दिये गए जबाब को

नई दिल्ली (New Delhi), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) ब्यूरो रिपोर्ट। केंद्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकारें होने के बावजूद क्यों जानबूझकर नहीं दिया जा रहा है उत्तर प्रदेश की 17 अतिपिछड़ी जातियों को संवैधानिक आरक्षण, देखें केंद्रीय मंत्री द्वारा निषाद वंश के आरक्षण के सबसे बड़े पैरोकार सांसद विशम्भर प्रसाद निषाद जी को लिखे पत्र के जबाब में।

    संसद के मानसून सत्र के दौरान 20 सितम्बर 2020 को राज्यसभा में सांसद श्री विशम्भर प्रसाद निषाद जी द्वारा उठाये गए उत्तर प्रदेश की 17 अति पिछड़ी जातियों के संवैधानिक आरक्षण के प्रश्न का उत्तर केन्द्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गेहलोत ने अपने लिखित जवाब में उत्तर देते हुए लिखा है- संविधान के अनुच्छेद 341 अनुसूचित जातियों की पहली सूची राष्ट्रपति के अदेश द्वारा अधिसूचित की जाती है। उक्त सूची में बाद में कोई भी संसोधन केवल संसद के अधिनियम द्वारा ही किया जा सकता है। इसके अलावा अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सूची में जातियों को शामिल करने, जातियों को हटाने और अन्य संसोधन करने के दावों के बारे में निर्णय लेने के लिए सरकार ने प्रक्रियायें निर्धारित की हैं। मौजूदा प्रक्रियाओं के अनुसार सम्बंधित राज्य सरकार या संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन को नृजातीय ब्यौरे सहित विधिवत समर्थित प्रस्ताव भेजना चाहिए। अनुमोदित तौर तरीकों के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार से अनुसूचित जातियों की सूची के क्रम संख्या 18 में बेलदार के साथ बिन्द, क्रम संख्या 36 में गौंड़ के साथ कहार, कश्यप, बाथम, रैकवार, क्रम संख्या 53 में मझबार के साथ मल्लाह, केवट, मांझी, निषाद, क्रम संख्या 66 में तुरैहा के साथ तुरहा, धीवर, धीमर, क्रम संख्या 59 में पासी, तरामली के साथ भर, राजभर, क्रम संख्या 65 में शिल्पकार के साथ कुम्हार, प्रजापति को शामिल करने के लिए कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है तथापि आपको अवगत कराना चाहूंगा कि विगत में अनुसूचित जातियों की सूची में कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति,  धींवर, बिन्द, धीमर, बाथम, तुरहा, मांझी, भर, राजभर, मछुआ, गोड़िया को शामिल करने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिनाँक 15.02.2013 के पत्र द्वारा विस्तृत नृजातीय रिपोर्ट सहित प्रस्ताव प्राप्त हुआ था, जिसकी जांच अनुमोदित प्रक्रियाओं के अनुसार की गई थी। चूंकि भारत के महापंजीयक ने इस प्रस्ताव का दूसरी बार भेजने पर भी समर्थन नहीं किया, अतः उक्त प्रस्ताव को सक्षम प्राधिकारी द्वारा नामंजूर कर दिया गया है। तथा राज्य सरकार को इसकी सूचना दिनांक 20.07.2015 को दे दी गई। 

   केंद्र सरकार के द्वारा दिये गए जबाब का उत्तर भी केंद्र और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकारों को अच्छी तरह से पता है, क्योंकि खुद योगिआदित्यनाथ जी ने संसद में और जुलाई 2015 को गोरखपुर में वीर शहीद अखिलेश निषाद की शहादत के बाद भाजपा मछुआ प्रकोष्ठ द्वारा गोरखपुर में आयोजित धरना प्रदर्शन के दौरान और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान निषाद समाज की गोरखपुर में हुई एक सभा में आरक्षण के लिए वायदा किया और सरकारें बनायीं लेकिन इन 17 जातियों के परिभाषित आरक्षण पर लगातार धोखा ही दे रही हैं।

देखें पत्र